बड़े घर की बेटी की समीक्षा -डॉ संघप्रकाश दुड्डे
बड़े घर की बेटी की समीक्षा हिंदी साहित्य जगत में कहानीकार उपन्यासकार के रूप में जाने माने जाने वाले प्रसिद्ध कहानी का मुंशी प्रेमचंद जी ने बड़े घर की बेटी द्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण कहानी है इस कहानी में उन्होंने संयुक्त परिवार में उत्पन्न होने वाली समस्याओं को पलकों को बात का बतंगड़ बन जाने और फिर आपसी समझदारी से बिगड़ती पर स्थिति को सामान्य करने का हुनर को दर्शाया है बड़े घर की बेटी में कहानीकार ने पारिवारिक मनोविज्ञान को बड़ी ही सूक्ष्मता से दिखाया गया है बेनी माधव सिंह गौरीपुर के जमींदार है उनके बड़े पुत्र की पत्नी आनंदी देवर द्वारा खड़ाऊ मारने पर कोप भवन में चली जाती है और अपने पति से देवर की शिकायत करती है श्रीकांत क्रोधित होकर भाई का मुख ना देखने की कसम खाते हैं परिवार में क्लेश और झगड़ा देखने के लिए कई लोग हुक्का चिलम के बहाने घर में जुट जाते हैं दुखी लाल बिहारी घर छोड़कर जाने लगता है जाते-जाते भाभी से क्षमा मांग लेता है आनंदी का ह्रदय पिघल जाता है और अपने देवर लाल बिहारी को क्षमा कर देती है दोनों भाई गले मिलते हैं और सब कुछ पहले की तरह सामान्य और आनंददायक हो जाता है पहले बेनी म...