संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर ,हिंदी साहित्य मंडल तथा हिंदी विकास मंच आयोजित काव्य दीपोत्सव 2020
संगमेश्वर महाविद्यालय सोलापुर द्वारा आयोजित काव्य दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन 22 नवंबर 2020 को जूम एप के द्वारा आयोजित किया गया इस समारोह में अध्यक्षता के रूप में सोलापुर विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉ इरेश स्वामी सर् स्थित है प्रारंभ में डॉ संघप्रकाश दुड्डे हिंदी विभाग प्रमुख प्रास्ताविक भाषण और अन्य अतिथि गणों का मान्यवर कविता पाठ करने वाले कवियों का शब्द सुमन के द्वारा सभी महानुभव के प्रति कृतज्ञता की भावना प्रकट की और अपने प्रास्ताविक में संगमेश्वर महाविद्यालय की हिंदी परंपरा को आगे बढ़ाने में सहयोग करने वाले सभी छात्रों के प्रति कृतज्ञता की भावना प्रकट की हिंदी विकास मंच तथा संगमेश्वर महाविद्यालय हिंदी साहित्य मंडल द्वारा आयोजित इस समारोह में देश के विभिन्न प्रदेशों से उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक के मान्यवर महान कवियों के द्वारा इस काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया इस काव्य गोष्ठी में प्राध्यापक समाधान भड़कुबे पुणे ,माधव पवार सोलापुर ,निलेश वैद्य बालाघाट मध्य प्रदेश, डॉ जयप्रकाश कर्दम दिल्ली, डॉ प्रफुल्ल गढ़पाल लखनऊ, मारुती कटधोंड सोलापुर, डॉ रतन कुमार बेंगलुरु कर्नाटक, राजेंद्र भोसले सोलापुर, डॉक्टर विकास सिंह दिल्ली ,वंदना कुलकर्णी सोलापुर, कावेरी देवी झारखंड ,असंग घोष मध्य प्रदेश, प्राध्यापक धन्यकुमार बिराजदार सोलापुर, प्राचार्य सुभाष शास्त्र सोलापुर ,सुयश कविटकर सोलापुर, प्रा ममता बोल्ली सोलापुर इन महानुभवो ने अपनी कविताओं के द्वारा एक भाव इस प्रकार से प्रकट किया अंधकार का नाश होकर ज्ञान का दीप जले अत्त दीप भव का प्रकाश चारों ओर फैले भय का अंधकार दूर हो ,कोरोनावायरस दूर हो ,भ्रष्टाचार का अंधकार दूर हो ,भय का अंधकार दूर हो ,बेरोजगारी का अंधकार दूर हो ,सारे मानव समता बंधुता न्याय के पक्ष में अपना अपना योगदान देने के लिए आगे बढ़े ,मनुष्यता का विकास हो ,सारे प्राणी सुखी रहे, कोई किसी के साथ बैर न करें ,दुश्मनी ना करें, हर एक के मन में समृद्धि बनी रहे, भारत के प्रति देश के प्रति हर एक के मन में प्यार जगे, ममता जगे, सारे लोग आपस में मिलजुल कर रहे ,इस प्रकार की भावना सारे कवियों ने अपने काव्य के द्वारा प्रकट की /
इस काव्य गोष्ठी में डॉ प्रफुल्ल गढ़पाल लखनऊ से संस्कृत और पाली भाषा में अपने काव्य छंद प्रस्तुत किए ,डॉ विकास सिंग नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से सम्राट अशोक के योगदान पर अपनी कविता प्रस्तुत की, कावेरी देवी ने समतामूलक देश का निर्माण हो इस प्रकार की कविता प्रस्तुत की ,असंग घोष ने मैं ईश्वर को नहीं मानता ईश्वर कहां है इस प्रकार का सवाल उठाया ,और अंत में उन्होंने कबीर की वाणी को हमारे सामने रखा पत्थर पूजे हरि मिले मैं पूजू पहाड़ इस प्रकार का संदेश भी उन्होंने दे दिया, प्राध्यापक धन्यकुमार बिराजदार ने अपनी वाणी के द्वारा हिंदी भाषा को समृद्ध करने के लिए समतामूलक दीपक जलाने की बात अपने शब्दों के द्वारा दी अंधकार का नाश होने की भावना उन्होंने हमारे सामने रखी, प्राध्यापिका ममता बोल्ली ने अपनी कविता के द्वारा काव्य सृजन में हमारा योगदान किस प्रकार से होना चाहिए हिंदी की सेवा किस प्रकार से करनी चाहिए हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और उस राष्ट्रभाषा के प्रति हमारे मन में किस प्रकार का भाव हो उस भाव को लेकर उन्होंने अपनी कविता प्रस्तुत की ,मारुती कटधौड जी ने मराठी में अपनी कविता प्रस्तुत की काव्य दीपोत्सव इस प्रकार का हो किस प्रकार से दिया जलाना चाहिए अंधकार किस प्रकार से नष्ट करना चाहिए इस बात को उन्होंने अपने काव्य के द्वारा हमारे सामने रखा ,माधव पवार ने भी हिंदी गजल प्रस्तुत की और उस ग़ज़ल के द्वारा लोगों के मन में श्रद्धा का भाव किस प्रकार से प्रकट होना चाहिए किस प्रकार से हमें आगे बढ़ना चाहिए इस बात को उन्होंने हमारे सामने रखा /
अध्यक्षीय भाषण में डॉ इरेश स्वामी जी ने हमें लाभान्वित होने का मौका देने के लिए हिंदी विभाग को धन्यवाद दिया हिंदी गतिविधियां इसी प्रकार से आगे बढ़ती रहें हिंदी की सेवा करने वाले लोगों का सम्मान हो उनके प्रति आस्था हो गुरु जनों के प्रति आस्था हो साहित्यकारों के प्रति आस्था हो इस प्रकार की भावना उन्होंने प्रकट कि आने वाले दिनों में अन्य अन्य प्रकार की गतिविधियां होनी चाहिए उसके लिए सब हिंदी प्रेमी एक साथ मिलकर अपना योगदान देना चाहिए इस प्रकार की विचारधारा उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में रखें /डॉ संघप्रकाश दुड्डे को धन्यवाद दे दिया कि पूरे भारतवर्ष के कवियों को एक साथ लाकर राष्ट्रीय एकता अखंडता को मजबूत करने का प्रयास इस काव्य दीपों के द्वारा करने का प्रयास किया गया इसलिए उन्होंने विशेष रूप से हिंदी विभाग को धन्यवाद दिया इस कार्यक्रम का सूत्र संचालन शिव जहागिर्दार ने किया /इस समारोह में अलग-अलग महाविद्यालय के प्राध्यापक गण अलग-अलग महाविद्यालय के छात्र गण बड़ी मात्रा में उपस्थित रहे /और हमें हौसला बढ़ाने का काम किया उनके प्रति भी हिंदी विभाग के द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया/अंत मे डॉ दादासाहेब खांडेकर जी ने कृतज्ञता ज्ञापित किया/
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