पंचलाइट कहानी की समीक्षा -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

पंचलाइट कहानी की समीक्षा इस कहानी के द्वारा फणीश्वर नाथ रेणु जी ने ग्रामीण जीवन का वास्तविक चित्रण जो है पंचलाइट कहानी में फणीश्वर नाथ रेणु जी ने वास्तविक दर्शन हमारे सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है ग्रामीण जीवन आज भी किस प्रकार से पिछड़ा है ग्रामीण जीवन आज भी हमारे अलग-अलग प्रकार के सुविधाओं से किस प्रकार से वंचित है इसका वास्तविक दर्शन करने वाला इस कहानी का चित्रण फणीश्वर नाथ रेणु जी ने हमारे सामने रखने का प्रयास किया है महत्त्व टोली में गांव की कुछ अशिक्षित लोग है उन्होंने रामनवमी के मेले में एक पेट्रोमैक्स खरीदा है इस पेट्रोमैक्स को गांव वाले पंचलाइट कहकर पुकारते थे पंचलाइट खरीदने के बाद जो ₹10 बच गए थे उनसे पूजा का सामान लाया गया सबको पंचलाइट आने की प्रसन्नता थी इस खुशी में कीर्तन का आयोजन भी किया गया था थोड़ी देर में टोली के सभी लोग पंचलाइट देखने के लिए एकत्र हो गए सरदार ने पंच लाइट खरीदने का पूरा किस्सा लोगों को सुनाया टोली के लोगों ने अपने सरदार और दीवान को श्रद्धा भरी नजरों से देखा लेकिन प्रश्न यह था कि पंच लाइट को जलाए गा को खरीदने से पहले किसी के मन में यह बात नहीं आई थी यह निर्णय हुआ कि दूसरी पंचायत के आदमी की मदद से पंच लाइट नहीं जलाया जाएगा चाहे वह बिना जले ही पढ़ा रहे आज किसी ने अपने घर की टीमली भी नहीं जलाई थी पंचलाइट के ना जलने से पंच के चेहरे पर पूरा निराशा गए थे चेहरे उतर गए थे राजपूत टोली के लोग उनका मजाक बनाने लगे लेकिन सब ने धैर्य पूर्वक उस मजाक को सहन किया गुलरी काकी की बेटी मुनरी वहीं पर बैठी थी उसे पता था कि गोधन पंच लाइट जलाना जानता है लेकिन पंचलाइट ने गोधन का हुक्का पानी बंद कर रखा था गोधन से प्रेम करती थी उसने अपनी बात अपनी सहेली कनेली को बताए कनेली ने यह सूचना सरदार तक पहुंचा दी कि गोधन पंच लाइट जलाना जानता है सभी पंच सोच विचार में पड़ गए कि गोधन को बुलाया जाए अथवा नहीं अंत में उसे बुलाने का निर्णय लिया गया सरदार ने शनिवार को भेजा लेकिन खरीदार के कहने से गोधन पंच लाइट जलाने नहीं आया बाद में गुलरी गोधन के पास गई और उसे मना कर ले आए गोधन ने पूछा कि स्प्रिट्स कहां है प्रीत का नाम सुनकर सभी लोग उदास हो गए लेकिन को धन्य अपनी होशियारी से गिरी नारियल के तेल से ही पंच लाइट जला दी पंच लाइट जलने पर सभी लोगों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई पंच गोधन को पुनः जाति में ले लेते हैं कीर्तन करने वाले लोगों ने एक स्वर में महावीर स्वामी की जय ध्वनि की कीर्तन शुरू हो गया गोधन ने सबका दिल जीत लिया मुनरी ने भी प्रेम दृष्टि से उसकी ओर देखा सरदार ने गोधन से कहा कि तुम्हारा सात खून माफ अंत में अंत में गुलरी काकी ने गोधन को रात के खाने पर बुलाया इस कहानी में एक दृष्टि हमें दिखाई देती है कि वह दृष्टि है कि आज भी ग्रामीण परिवेश में देहातों में किस प्रकार की अशिक्षा के कारण लोग पंचलाइट भी चलाना नहीं जानते इतनी अज्ञानता और नेवर पड़ी है लोग अंधविश्वास में पड़े हैं लोगों के मन में भय चिंता है और लोग अपने अपने घरों में अंधकार में अपना जीवन जी रहे हैं यह सदियों से चल रहा है इस सदियों के अंधकार को मिटाने का एक प्रयास जो है पंचलाइट कहानी के माध्यम से फणीश्वर नाथ रेणु जी ने करने का प्रयास किया है यह कहानी हमें सोचने के लिए मजबूर करती है आज भी हमारे भारत में ऐसे कई इलाके हैं जो रोशनी से दूर है वहां रोशनी अभी तक नहीं पहुंचाई गई है वहां बिजली अभी तक नहीं गई है तो सदियों से यह गांव अंधकार में है और आगे जाकर कुछ सुविधा अगर हो जाती है पंचलाइट अगर आ जाती है तो उसको जलाने की भी सुविधा जो है इन लोगों के पास नहीं है इस प्रकार की वास्तविकता फणीश्वर नाथ रेणु जी ने इस पंचलाइट कहानी के माध्यम से हमारे सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है उसमें उन्हें बहुत बड़ी सफलता मिली है रेनू जी ग्रामीण देहातों का चित्रण करने में बहुत ही मशहूर माने आते हैं बहुत ही श्रेष्ठतम साहित्यकार माने जाते हैं लोगों का वास्तविक जीवन लोगों की दीन दशा लोगों का दुख दर्द पीड़ा को स्पष्ट शब्दों में लोगों के सामने रखने का काम फणीश्वर नाथ रेणु जी ने पंचलाइट कहानी के माध्यम से करने का प्रयास किया है
डॉ संघप्रकाश दुड्डे
संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर
हिंदी विभाग प्रमुख 

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