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Showing posts from December, 2024

पंच उपादान-स्कन्ध की व्याख्या ॥

॥ पंच उपादान-स्कन्ध की व्याख्या ॥ रूप, वेदना, सञ्ञा, संखार, विञ्ञाण; ये पंच उपादान स्कन्ध हैं। पंच स्कन्ध और पंच उपादान स्कन्ध दोनों अलग-अलग चीज हैं। “भिक्षुओं ! रूप स्कन्ध क्या है ?  भिक्षुओं ! अतीत, अनागत और वर्तमान के जितने भी रूप है, अपना हो या पराया, कठोर हो या मुलायम, ऊँच हो या नीच, नजदीक हो या दूर वे सभी रूप स्कन्ध हैं।” इसका अर्थ यह है कि किसी के मरने पर उसका रूप अतीत में चला जाता है। कोई अभी जीवित है तो उसका रूप वर्तमान में है। जिसने अभी तक जन्म नहीं लिया है तो उसका रूप भविष्य का है। अपना शरीर अध्यात्मिक रूप होता है। दूसरों का शरीर बाहरी रूप होता है। कठोर शरीर कठोर रूप होता है। मुलायम शरीर मुलायम रूप होता है। नीच योनि में जन्मा शरीर नीच रूप होता है। ऊँच योनि में जन्मा शरीर ऊँच रूप होता है। दूर का शरीर दूर रूप होता है। नजदीक का शरीर नजदीक रूप होता है। ये अर्थ ना लेकर यदि हम कोई दूसरा अर्थ ले, तो विपस्सना चिंतन गड़बड़ा जायेगा। यहाँ उपादान की चर्चा नहीं है। केवल स्कन्ध के बारे में बताया गया है। अतीत, अनागत, वर्तमान काल में अध्यात्मिक, बाहरी, कठोर, मुलायम, नीच, ऊँच, दूर, नजदीक...

बुधिया का चरित्र चित्रण कीजिए?

बुधिया का चरित्र चित्रण कीजिए? रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित ‘बुधिया’ शीर्षक रेखाचित्र एक सामान्य स्त्री का बचपन, जवानी और बुढ़ापे का मार्मिक चित्रण है। बेनीपुरी जी की हर कहानियों की तरह यह भी शिल्प विधा पर आधारित है। आइए जानते हैं ‘बुधिया’ रेखाचित्र का सारांश एवं चरित्र-चित्रण। बुधिया रेखाचित्र का सारांश ‘बुधिया’ शीर्षक रेखाचित्र एक सामान्य स्त्री का बचपन, जवानी और बुढ़ापे का मार्मिक चित्रण है। बचपन की बुधिया चंचल और चुलबुली हैं, तो जवानी में हजारों जवानों की दिल की धड़कन है। लेखक बुधिया के बारे में कहते हैं- “वृंदावन में एक गोपाल और हजार गोपियाँ थी, यहाँ एक गोपी और हजार गोपाल है। अधेड़ उम्र में फटे हुए कपड़े चोली का नाम नहीं, बिखरे बाल, चेहरे पर झुर्रियां, सूखा हुआ चेहरा यह चित्र दिखाई देता है। फिर भी अपने बच्चों पर मातृत्व को लेखक वंदन करते हैं।” बुधिया का बचपन कुछ ऐसा था–एक छोटी सी बच्ची। सात-आठ से ज्यादा की क्या होगी। कमर में एकरंगे की खंडुकी लपेटे, जिसमें कितने पैबंद लगे थे और जो मुश्किल से उसके घुटने के नीचे पहूँचती थी। समूचा शरीर नंग-धडंग, गर्द-गुबार से भरा। साँवले चेहरे पर काल...

बुधिया रेखाचित्र की विशेषता स्पष्ट कीजिए

बुधिया रेखाचित्र की विशेषता रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित ‘बुधिया’ रेखाचित्र एक सामान्य स्त्री के जीवन के तीन प्रमुख चरणों - बचपन, जवानी और बुढ़ापे - का मार्मिक चित्रण है 1 . बचपन : बुधिया का बचपन चंचल और चुलबुली है। वह एक छोटी सी बच्ची है, जो फटे-पुराने कपड़े पहनती है और उसके बाल बिखरे रहते हैं 1 . जवानी : जवानी में बुधिया गाँव के नौजवानों की दिल की धड़कन बन जाती है। उसकी सुंदरता और आकर्षण का वर्णन किया गया है 1 . बुढ़ापा : बुढ़ापे में बुधिया का जीवन संघर्षपूर्ण हो जाता है। उसके कपड़े फटे-पुराने होते हैं और चेहरा सूखा और झुर्रियों से भरा होता है 1 . बेनीपुरी जी ने बुधिया के माध्यम से स्त्री जीवन के विभिन्न पहलुओं को बड़े ही प्रभावशाली और संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत किया है 1 .

सिनेमा का जनहित में सहयोग

सिनेमा का जनहित में सहयोग कई महत्वपूर्ण तरीकों से होता है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं: सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता : सिनेमा सामाजिक मुद्दों जैसे कि जातिवाद, लैंगिक असमानता, गरीबी, और पर्यावरण संरक्षण पर जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, सत्यजित रे की “पाथेर पांचाली” और श्याम बेनेगल की “अंकुर” जैसी फिल्में समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं 1 . शिक्षा और प्रेरणा : सिनेमा शिक्षा का एक प्रभावी माध्यम है। यह दर्शकों को प्रेरित करता है और उन्हें विभिन्न विषयों पर जानकारी प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, “तारे ज़मीन पर” ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रति समाज की सोच को बदलने में मदद की 2 . सांस्कृतिक संरक्षण : सिनेमा विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं को संरक्षित और प्रचारित करने में मदद करता है। यह विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच पुल का काम करता है 3 . मनोरंजन और मानसिक स्वास्थ्य : सिनेमा मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है, जो लोगों को तनाव से राहत दिलाने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है 2 . आर्थिक योगदान : सिनेमा उद्योग रोजगार के अवसर प्रद...

रेडियो का प्रबोधन

रेडियो का प्रबोधन (प्रबोधन का अर्थ है जागरूकता या शिक्षा) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं जो रेडियो के प्रबोधन को स्पष्ट करते हैं: सूचना का प्रसार : रेडियो ताजातरीन समाचार और जानकारी प्रदान करता है, जिससे श्रोता देश-दुनिया की घटनाओं से अवगत रहते हैं 1 . शिक्षा : रेडियो के माध्यम से विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं, जो छात्रों और आम जनता को शिक्षित करने में सहायक होते हैं 2 . सामाजिक जागरूकता : रेडियो सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का एक प्रभावी माध्यम है। यह स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण, और अन्य सामाजिक विषयों पर कार्यक्रम प्रस्तुत करता है 3 . मनोरंजन : रेडियो मनोरंजन का भी एक प्रमुख साधन है। संगीत, नाटक, और अन्य मनोरंजक कार्यक्रम श्रोताओं को आनंदित करते हैं 2 . संचार की कला : रेडियो में संचार की कला महत्वपूर्ण होती है। आरजे (रेडियो जॉकी) अपनी आवाज़ और शब्दों के माध्यम से श्रोताओं से जुड़ते हैं और उन्हें विभिन्न विषयों पर जानकारी और मनोरंजन प्रदान करते हैं 2 . रेडियो का प्रबोधन समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचता है और उन्हें जागरूक, शिक्षित ...

समाचार पत्र का दायित्व

समाचार पत्र का दायित्व बहुत महत्वपूर्ण और व्यापक होता है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज को सूचित करना, शिक्षित करना और जागरूक बनाना है। यहाँ कुछ प्रमुख दायित्वों का उल्लेख किया गया है: सूचना प्रदान करना : समाचार पत्र का सबसे प्रमुख दायित्व है समाज को ताजातरीन और सटीक जानकारी प्रदान करना। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचार, खेल, व्यापार, मनोरंजन, और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी देता है 1 . शिक्षा : समाचार पत्र शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे छात्रों और आम जनता को विभिन्न विषयों पर जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे उनकी ज्ञानवृद्धि होती है 2 . जनमत निर्माण : समाचार पत्र समाज में जनमत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संपादकीय लेख और टिप्पणियाँ पाठकों को विभिन्न मुद्दों पर सोचने और अपनी राय बनाने में मदद करती हैं 1 . सामाजिक जागरूकता : समाचार पत्र सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का कार्य भी करते हैं। वे सामाजिक बुराइयों, भ्रष्टाचार, और अन्य समस्याओं पर प्रकाश डालते हैं, जिससे समाज में सुधार की दिशा में कदम उठाए जा सकें 2 . मनोरंजन : समाचार पत्र मनोरंजन...

रेखा चित्र का स्वरूप और परिभाषा स्पष्ट कीजिए?

रेखाचित्र (Sketch) एक साहित्यिक विधा है जिसमें लेखक किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना या दृश्य का सजीव और मर्मस्पर्शी वर्णन करता है। यह शब्द अंग्रेजी के ‘स्कैच’ का हिंदी रूपांतरण है। रेखाचित्र में लेखक अपने अनुभवों और संवेदनाओं को शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत करता है, जिससे पाठक उस व्यक्ति या घटना को अपने सामने सजीव रूप में देख सके। रेखाचित्र की परिभाषा: 1जय किशन प्रसाद खंडेलवाल के अनुसार, “गद्य का वह रूप जिसमें भाषा के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना का चित्रण या मानसिक प्रत्यक्षिकरण किया जाता है, रेखाचित्र कहलाता है।” 2डॉ. नगेन्द्र के अनुसार, “ऐसी किसी भी रचना को रेखाचित्र की संज्ञा दी जा सकती है जिसमें तथ्यों का उद्घाटन मात्र हो।” 3डॉ. गोविन्द त्रिगुणायत के अनुसार, “रेखाचित्र वस्तु, व्यक्ति अथवा घटना का शब्दों द्वारा विनिर्मित वह मर्मस्पर्शी और भावमय रूप विधान है, जिसमें कलाकार का संवेदनशील हृदय और उसकी सूक्ष्म पर्यवेक्षण दृष्टि अपना निजीपन उड़ेलकर प्राण प्रतिष्ठा कर देती है।” रेखाचित्र का स्वरूप: रेखाचित्र में लेखक किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना का वर्णन इस प्रकार करता है कि पाठक उसे अपने ...

रेखाचित्र के तत्व

रेखाचित्र के तत्वों में निम्नलिखित शामिल होते हैं: संक्षिप्तता : रेखाचित्र संक्षिप्त होते हैं और विषय को कम शब्दों में प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते हैं। चित्रात्मकता : इसमें शब्दों के माध्यम से चित्र खींचे जाते हैं, जिससे पाठक के मन में स्पष्ट चित्र उभरता है। वैयक्तिकता : रेखाचित्र में लेखक की व्यक्तिगत दृष्टि और अनुभवों का समावेश होता है। विवरणात्मकता : इसमें घटनाओं, पात्रों और स्थानों का सजीव और विस्तृत वर्णन होता है। भावनात्मकता : रेखाचित्र में भावनाओं का गहरा प्रभाव होता है, जो पाठक को भावनात्मक रूप से जोड़ता है। सजीवता : इसमें वर्णित घटनाएँ और पात्र जीवंत और वास्तविक प्रतीत होते हैं। रेखाचित्र की इन विशेषताओं के कारण यह विधा पाठकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। 

रेखा चित्र का स्वरूप और परिभाषा विकास यात्रा स्पष्ट कीजिए

रेखाचित्र से आप क्या समझते है? इसके स्वरूप एवं विकास की विवेचना कीजिए । रेखाचित्र साहित्य की वह गद्यात्मक विधा है। इसे चित्रकला और साहित्य के सुन्दर समन्वय से उद्भूत एक अभिनव कला का प्रतिबिम्ब माना जाता है। इस विधा में किसी विषय-विशेष का उसकी बाह्य विशेषताओं को उभारते हुए, विभिन्न संक्षिप्त घटनाओं को समेटते हुए, शब्द-रेखाओं के माध्यम से सजीव, सरस, मर्मस्पर्शी एवं प्रभावशाली चित्र उभारा जाता है। इसका कार्य यह है कि वह वर्णित पात्र के रूप-सौन्दर्य तथा विभिन्न परिस्थितियों में उसके द्वारा की गई विभिन्न घटनाओं की सहायता से उसके चरित्र का एक प्रभावी एवं संवेदनशील चित्र अंकित कर दे। डॉ. मक्खनलाल शर्मा की मान्यता है- “जिस प्रकार चित्र का उद्देश्य किसी भाव विशेष को दृष्टा के हृदय से जागृत कर देना होता है, ठीक उसी प्रकार रेखाचित्र भी इतिहास, घटना, मनोविज्ञान, वातावरण आदि की सहायता से अभीप्सित भाव की अनुभूति करा देता है और थोड़ी देर के लिए पाठक एक नवीन मानसिक अवस्था को प्राप्त कर रसमग्न हो जाता है।” पद्मसिंह शर्मा को कुछ विद्वान रेखाचित्र विधा का जनक मानते हैं, परन्तु इसका स्वतन्त्र रूप से और ‘र...