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Showing posts from September, 2024

भारतीय समाज में स्त्री का स्थान -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

भारतीय समाज में स्त्री का स्थान एक महत्वपूर्ण और व्यापक विषय है। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं: प्राचीन काल : प्राचीन भारतीय समाज में स्त्रियों को उच्च स्थान प्राप्त था। वेदों और पुराणों में उन्हें देवी, शक्ति और सम्मान का प्रतीक माना गया है 1 2 । गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषियों ने शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया 1 .जैन धर्म के उन्नीसवें तीर्थंकर मल्लिनाथ थे। मल्लिनाथ जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय से थी। इनका जन्म बिहार के मिथिला में मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को हुआ था। इनकी माता का नाम प्रभावती था और पिता का नाम कुंभराज था। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही इन्होंने दीक्षा ग्रहण कर अपने सन्यासी जीवन की शुरुआत की और इसी तिथि को लंबे समय के तपस्या के पश्चात इन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति भी हुई।  फाल्गुन कृष्ण पक्ष की बारस को इन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ। मध्यकाल : इस काल में स्त्रियों की स्थिति में गिरावट आई। उन्हें शिक्षा और स्वतंत्रता से वंचित किया गया और पितृसत्तात्मक समाज में उनकी भूमिका सीमित हो गई 3 . आधुनिक युग : आधुनिक समय में स्त्रिय...

हिंदी दिवस विभिन्न प्रतियोगिताएं संपन्न14 सितंबर2024

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हिंदी दिवस के उपलक्ष में संगमेश्वर महाविद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन तथा बख्शीश वितरण समारोह संपन्न किया गया प्रमुख अतिथि के रूप में उप प्रधानाचार्य डॉ सुहास  पुजारी उपस्थित थे आरंभ में दीपक प्रज्वलन प्रमुख अतिथि के कर कमल द्वारा किया गया स्वागत प्रस्ताविक हिंदी  विभाग प्रमुख संघ प्रकाश दुड्डे ने किया इस समारोह में छात्रों को मार्गदर्शन करते हुए डॉ सुहास पुजारी ने कहा कि छात्रों को कॉलेज के दिनों में विभिन्न प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी मां की मनोकामनाओं को प्रकट करना चाहिए साथ ही साथ साहित्य और अनेक अंगों का काव्य अंगों का अभ्यास करते हुए अपनी कला गुना को विकसित करना बहुत ही आवश्यक है जब तक हम इस प्रकार की प्रतियोगिता में भाग नहीं लेंगे तब तक हमें आगे आने के लिए कोई रास्ता नहीं मिलेगा इसलिए ऐसी प्रतियोगिता में भाग लेना भगवती आवश्यक है इस प्रकार की विचारधारा उन्होंने दे दी  I विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया शेरो शायरी प्रतियोगिता में प्रथम निरंजन  ढोबले,द्वितीय तनुजा बेलभंडारे ,तृतीय आदर्...

ब्राह्मी लिपि को राष्ट्रीय लिपि घोषित किया जाए" अशोक तपासे

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ब्राह्मी लिपि को राष्ट्रीय लिपि घोषित किया जाए" अशोक तपासे - संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर हिंदी विभाग द्वारा आयोजित ब्राह्मी लिपि उद्भव विकास तथा संवर्धन इस विषय पर 20 सितंबर 2024 को गूगल मीट द्वारा ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया गया था इस समय हिंदी विभाग प्रमुख डॉ संघ प्रकाश दुड्डे ने स्वागत और प्रस्ताविक किया उसके पश्चात डॉ वंदना शर्मा ने हिंदी विभाग विविध भाषा समन्वयक जम्मू इन्होंने प्रमुख अतिथि का परिचय करके दिया इस समय छात्रों को मार्गदर्शन करते हुए माननीय अशोक तपासे जी ने ""कहा कि ब्राह्मी लिपि भारत की सबसे प्राचीन लिपि है इस लिपि से ही भारत की अन्य लिपि बन गई है उदाहरण के तौर पर अगर देखा जाए तो आज की तमिल लिपि  आज की कन्नड़,देवनागरी तथा जितनी भी सारी लिपियां है उसकी जननी ब्राह्मी लिपि है ब्राह्मी लिपि से ही सारी लिपियां विकसित हो गई है आज ब्राह्मी का जो विकास और उद्धव हमें दिखाई देता है इससे पता चलता है की हर कालखंड में ब्राह्मी लिपि का विकास होता गया है दर पीढ़ी में ब्राह्मी लिपि में अलग-...

भगवान बुद्ध अस्थि कलश वैशाली-डॉ संघप्रकाश दुड्डे सोलापूर

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बुद्ध अस्थि कलश वैशाली -डॉ संघप्रकाश दुड्डे, सोलापुर स्तूप का कला, संस्कृति और मिथोलॉजी में महत्वपूर्ण स्थान है।कला में: स्तूप भारतीय वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं। सांची, सारनाथ, और भरहुत के स्तूप भारतीय वास्तुकला के बेजोड़ नमूने हैं1. इन स्तूपों की संरचना में एक गुम्बद होता है, जिसके आधार पर प्रदक्षिणा मार्ग होता है। स्तूप के चारों ओर घेरा या रेलिंग होती है जिसे वेदिका कहा जाता है1. संस्कृति में: स्तूप बौद्ध धर्म का सबसे विशिष्ट स्मारक है। यह पवित्र बौद्ध अवशेषों (जैसे बुद्ध की अस्थियाँ) और अन्य पवित्र वस्तुओं को स्मृति स्वरूप संरक्षित रखने के लिए बनाए जाते हैं2. सम्राट अशोक ने बुद्ध के अवशेषों पर बड़ी संख्या में स्तूप बनाए थे, जिससे बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ2. मिथोलॉजी में: स्तूप को बुद्ध के महा-परिनिर्वाण के प्रतीक के रूप में देखा जाता है2. बौद्ध ग्रंथ महापरिनिर्वाणसूत्र में चार प्रकार के स्तूपों का उल्लेख किया गया है: तथागत के स्मारक, बुद्ध के विभिन्न रूपों के स्मारक, मुख्य बौद्ध भिक्षुओं के स्मारक, और चक्रवर्ती नरेशों के स्मारक1. स्तूपों का निर...