भारतीय समाज में स्त्री का स्थान -डॉ संघप्रकाश दुड्डे
भारतीय समाज में स्त्री का स्थान एक महत्वपूर्ण और व्यापक विषय है। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं: प्राचीन काल : प्राचीन भारतीय समाज में स्त्रियों को उच्च स्थान प्राप्त था। वेदों और पुराणों में उन्हें देवी, शक्ति और सम्मान का प्रतीक माना गया है 1 2 । गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषियों ने शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया 1 .जैन धर्म के उन्नीसवें तीर्थंकर मल्लिनाथ थे। मल्लिनाथ जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय से थी। इनका जन्म बिहार के मिथिला में मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को हुआ था। इनकी माता का नाम प्रभावती था और पिता का नाम कुंभराज था। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही इन्होंने दीक्षा ग्रहण कर अपने सन्यासी जीवन की शुरुआत की और इसी तिथि को लंबे समय के तपस्या के पश्चात इन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति भी हुई। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की बारस को इन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ। मध्यकाल : इस काल में स्त्रियों की स्थिति में गिरावट आई। उन्हें शिक्षा और स्वतंत्रता से वंचित किया गया और पितृसत्तात्मक समाज में उनकी भूमिका सीमित हो गई 3 . आधुनिक युग : आधुनिक समय में स्त्रिय...