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Showing posts from February, 2024
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गुरुजनों के साथ माता-पिता का भी सम्मान करो-डॉ इरेश स्वामी  संगमेश्वर महाविद्यालय सोलापुर हिंदी विभाग द्वारा आयोजित हिंदी उत्सव प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह के समय डॉक्टर इरेश  स्वामी जी ने कहा कि माता-पिता के साथ-साथ गुरुजनों का सम्मान भी करना चाहिए गुरुजनों का सम्मान माता-पिता के सम्मान जैसा है और गुरु ही हमें मार्ग क्रमण कर सकता है साथ ही साथ हर एक क्षेत्र में उन्नति करने के पश्चात जो भी ऊंचाई हम हासिल करते हैं इसकी बुनियाद माता-पिता के चरणों पर होती है तो हमें हर कोई पुरस्कार माता-पिता के चरणों पर अर्पित करके उनके पास से आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए इस प्रकार की मनोकामना छात्रों में जागने का कार्य डॉ इरेश  स्वामी जी ने अपने अध्यक्ष की मंतव्य से कहा उन्होंने कहा कि हर विद्यार्थी को छात्र जीवन में हर एक प्रतियोगिता में भाग लेना बहुत ही आवश्यक है आपको सफलता मिले या ना मिले लेकिन प्रतियोगिता में हिस्सा लेना बहुत ही आवश्यक है जब हम प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे तो हमारा मानसिक धैर्य बढ़ जाता है हमें प्रतियोगिता म...

समाचार लेखन -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

समाचार लेखन एक महत्वपूर्ण प्रकार का पत्रकारिता है जिसमें विभिन्न विषयों पर ख़बरों और घटनाओं की सूचना प्रसारित की जाती है। समाचार लेखन का मुख्य उद्देश्य लोगों को सटीक, निष्पक्ष, और उपयुक्त सूचना प्रदान करना होता है ताकि वे जागरूक और जानकार रह सकें। समाचार लेखन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को निम्नलिखित रूप में समझाया जा सकता है: शीर्षक (Headline): समाचार लेख का शीर्षक उस ख़बर के सार को संक्षेप में दिखाता है। यह ऐसा होना चाहिए जो पठनीयता और ध्यान आकर्षित करे। लेखक का नाम (Byline): समाचार लेख के अंत में लेखक का नाम उपस्थित होता है। पूर्वावलोकन (Lead): समाचार लेख का पूर्वावलोकन उस ख़बर का मूल तथ्य और महत्वपूर्ण जानकारी देता है। यह भाग सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह लोगों को ख़बर के अहमीयत को समझने में मदद करता है। संपूर्ण जानकारी (Body): पूर्वावलोकन के बाद, समाचार लेख के शरीर में पूरी जानकारी प्रस्तुत की जाती है। इसमें ख़बर के सभी पहलु, संदर्भ, विचार और उपयुक्त बिंदुओं को शामिल किया जाता है। संपर्क जानकारी: समाचार लेख के अंत में, लेखक की संपर्क जानकारी उपलब्ध कराई जाती है ताकि पाठक या संपा...

रेडियो नाटक -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

रेडियो नाटक (Radio Natya) एक रुचिकर कला है जिसमें किसी कहानी, नाटक, या किसी विषय पर आधारित विभिन्न भूमिकाओं को रेडियो के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। यह एक सुनने योग्य नाटक होता है जिसमें विशेषकर वाद्य, ध्वनि और अभिनय का उपयोग किया जाता है ताकि सुनने वालों को वास्तविकता का अनुभव हो सके। रेडियो नाटक रेडियो के प्रारंभिक दिनों से विकसित हुआ है और यह एक प्रसिद्ध माध्यम था जिसमें जनता को मनोरंजन, संवेदना, और नैतिक सन्देश प्रदान किया गया। रेडियो नाटक ने अपने समय में लोगों की मनोरंजन की ज़िम्मेदारी निभाई थी और उसे अपने अद्भुत रंगायन और अच्छे किरदारों से यादगार बना दिया था। रेडियो नाटक का निर्माण विशेषज्ञ लेखकों द्वारा किया जाता है, जो विभिन्न विषयों पर कहानियों, सामाजिक मुद्दों, रोमांस, क्राइम आदि पर आधारित लेखते हैं। रेडियो नाटक में उच्च गुणवत्ता वाले वाद्य, ध्वनि, और अभिनय का उपयोग किया जाता है जो श्रोताओं को कहानी में खींचता है और उन्हें रंगायन के साथ एक अद्भुत संगठित अनुभव प्रदान करता है। वर्तमान में, रेडियो नाटक की प्रसारण रेडियो स्टेशन और इंटरनेट पर किए जाते हैं। इंटरनेट ने रेडियो न...

राहुल सांकृत्यायन -जीवन से संघर्ष

राहुल सांकृत्यायन (9 अप्रैल 1893 – 14 अप्रैल 1963) जिन्हें महापंडित की उपाधि दी जाती है हिंदी के एक प्रमुख साहित्यकार थे। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। वह हिंदी यात्रासाहित्य के पितामह कहे जाते हैं। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिंदी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत लिखे जो साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। राहुल सांकृत्यायन राहुल सांकृत्यायन जन्म 9 अप्रैल 1893 पन्दहा,आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत मौत 14 अप्रैल 1963 (उम्र 70) दार्जिलिंग, [[पश्चिम बंगाल ]], भारत पेशा बहुभाषाविद्, अग्रणी विचारक, साम्यवादी चिन्तक, यात्राकार, इतिहासविद्, तत्त्वान्वेषी, युगपरिवर्तक, साहित्यकार राष्ट्रीयता भारतीय यात्रा वृतांत उल्लेखनीय काम वोल्गा से गंगा, मेरी जीवन यात्रा 21वीं सदी के इस दौर में जब संचार-क्रांति (सञ्चार क्रान्ति) के साधनों ने समग्र विश्व...

सरजू भैया (रामवृक्ष बेनीपुरी) डॉ संघप्रकाश दुड्डे सोलापूर

सरजू भैया (रामवृक्ष बेनीपुरी) डॉ संघप्रकाश दुड्डे                                              सोलापूर – प्रस्तुत पाठ ‘सरजू भैया‘ में लेखक ने सरजू भैया का शारीरिक, आर्थिक एवं चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन किया है। लेखक के घर के पास ही सरजू भैया का घर है। वह अपनी माँ की अकेली संतान थे। लेखक उन्हें अपना बड़ा भाई तथा स्वयं को छोटा भाई मान एक साथ समय गुजारने लगे सरजू भैया की शारीरिक विशेषता यह थी कि गाँव के सबसे लम्बे और दुबले आदमियों में उनकी गिनती होती थी। रंग साँवला, बड़ी-बड़ी टाँगे तथा बाँहें थीं। धोती पहने, कंधे पर गमछा डाले जब खड़ा होते तो उनका शरीर अस्थिपंजर जैसा प्रतीत होता था। लेकिन वह जिन्दादिल, मिलनसार, मजाकिया और हँसोड़ प्रकृति के थे। जब वह हँसते तो उनके दाँत चमक पड़ते, शरीर के अंग ऐसे हिलने-डुलने लगते जैसे सभी अंग हँस रहे हों। आर्थिक स्थित ऐसी थी कि वह अपने परिवार के साथ-साथ अतिथि-सेवा भी मजे से कर सकते थे, फिर उनकी शारीरिक दशा इतनी कमजोर क्यों थीं? इस संबंध में लेखक का क...

प्रतिशोध एकांकी -डॉ रामकुमार वर्मा प्रस्तुति -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

प्रतिशोध -एकांकी डॉ रामकुमार वर्मा   प्रस्तुति -डॉ संघप्रकाश दुड्डे                     संगमेश्वर कॉलेज सोलापूर प्रश्न 1.संस्कृत के महापंडित कौन हैं? उत्तर:संस्कृत के महापंडित भारवि के पिता श्रीधर हैं। प्रश्न 2.संस्कृत के महाकवि कौन हैं? उत्तर:संस्कृत के महाकवि भारवि हैं। प्रश्न 3.भारवि की माँ का नाम क्या है? उत्तर:भारवि की माँ का नाम सुशीला है। प्रश्न 4.सुशीला किसके लिए बेचैन है? उत्तर:सुशीला अपने बेटे भारवि के न आने से बेचैन है। प्रश्न 5.कवि किस पर शासन करता है? उत्तर:कवि समय पर शासन करता है। प्रश्न 6.शास्त्रार्थ के नियमों में किसके हृदय को नहीं बाँधा जा सकता? उत्तर:शास्त्रार्थ के नियमों में माता के हृदय को नहीं बाँधा जा सकता। प्रश्न 7.पुत्र को कौन निर्वासित कर सकता है? उत्तर:पुत्र को पिता निर्वासित कर सकता है। प्रश्न 8.पुत्र को कब निर्वासित किया जा सकता है? उत्तर:पुत्र यदि अन्याय का आचरण करे, धर्म के प्रतिकूल चले तो उसे निर्वासित किया जा सकता है। प्रश्न 9.शास्त्रार्थों में पंडितों को किसने पराजित किया? उत्तर:शास्त्रार्थों मे...