प्रतिशोध एकांकी -डॉ रामकुमार वर्मा प्रस्तुति -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

प्रतिशोध -एकांकी डॉ रामकुमार वर्मा 
 प्रस्तुति -डॉ संघप्रकाश दुड्डे
                    संगमेश्वर कॉलेज सोलापूर

प्रश्न 1.संस्कृत के महापंडित कौन हैं?
उत्तर:संस्कृत के महापंडित भारवि के पिता श्रीधर हैं।
प्रश्न 2.संस्कृत के महाकवि कौन हैं?
उत्तर:संस्कृत के महाकवि भारवि हैं।
प्रश्न 3.भारवि की माँ का नाम क्या है?
उत्तर:भारवि की माँ का नाम सुशीला है।
प्रश्न 4.सुशीला किसके लिए बेचैन है?
उत्तर:सुशीला अपने बेटे भारवि के न आने से बेचैन है।
प्रश्न 5.कवि किस पर शासन करता है?
उत्तर:कवि समय पर शासन करता है।
प्रश्न 6.शास्त्रार्थ के नियमों में किसके हृदय को नहीं बाँधा जा सकता?
उत्तर:शास्त्रार्थ के नियमों में माता के हृदय को नहीं बाँधा जा सकता।
प्रश्न 7.पुत्र को कौन निर्वासित कर सकता है?
उत्तर:पुत्र को पिता निर्वासित कर सकता है।
प्रश्न 8.पुत्र को कब निर्वासित किया जा सकता है?
उत्तर:पुत्र यदि अन्याय का आचरण करे, धर्म के प्रतिकूल चले तो उसे निर्वासित किया जा सकता है।
प्रश्न 9.शास्त्रार्थों में पंडितों को किसने पराजित किया?
उत्तर:शास्त्रार्थों में पंडितों को भारवि ने पराजित किया।
प्रश्न 10.भारवि में किस कारण अहंकार बढ़ता जा रहा था?
उत्तर:पंडितों की हार से भारवि में अहंकार बढ़ता जा रहा था।
प्रश्न 11.पिता क्या नहीं सहन कर सकता?
उत्तर:पिता यह नहीं सहन कर सकता कि उसका पुत्र दंभी या घमण्डी हो।
प्रश्न 12.पिता ने भारवि की किन शब्दों में ताड़ना की?
उत्तर:पिता ने भारवि की इन शब्दों में ताड़ना की – कि तू महामूर्ख है, दंभी है, अज्ञानी है।
प्रश्न 13.पंडित किस प्रकार भारवि का परिहास करने लगे?
उत्तर:पंडित भारवि की ओर देखकर, उनके स्वर में ही बोलकर वे उसका परिहास करने लगे और ताली पीटने लगे।
प्रश्न 14.ग्लानि से भरे हुए भारवि को जाने से क्यों नहीं रोका गया?
उत्तर:अनुशासन की मर्यादा रखने के लिए भारवि को जाने से नहीं रोका गया।
प्रश्न 15. अनुशासन की मर्यादा पर क्या किया जा सकता है?
उत्तर:अनुशासन की मर्यादा पर बड़े से बड़े व्यक्ति का बलिदान किया जा सकता है।
प्रश्न 16. श्रीधर पंडित का पुत्र क्या नहीं हो सकता?
उत्तर:श्रीधर पंडित का पुत्र इतना पतित नहीं हो सकता।
प्रश्न 17. श्रीधर पंडित के घर की सेविका का नाम लिखिए।
उत्तर:श्रीधर पंडित के घर की सेविका का नाम आभा है।
प्रश्न 18. सुशीला किसको खोजकर लाने के लिए आभा से कहती है?
उत्तर:सुशीला अपने पुत्र भारवि को खोजकर लाने के लिए कहती है।
प्रश्न 19. प्रेम के बिना किसका मूल्य नहीं है?
उत्तर:प्रेम के बिना अनुशासन का मूल्य नहीं है।
प्रश्न 20.श्रीधर पंडित भारवि को खोजने के लिए किसका सहारा लेना चाहते थे?
उत्तर:श्रीधर पंडित भारवि को खोजने के लिए राजकीय सहायता लेना चाहते थे।
प्रश्न 21.शास्त्रार्थ के लिए जाते समये भारवि ने किस रंग के कपड़े पहने हुए थे?
उत्तर:शास्त्रार्थ के लिए जाते समय भारवि ने कौशेय वस्त्र, पीतरंग का अधोवस्त्र और नील रंग का उत्तरीय पहने थे।
प्रश्न 22.भारवि से मिलने आयी स्त्री का नाम लिखिए।
उत्तर:भारवि से मिलने आई स्त्री का नाम भारती है।
प्रश्न 23.वसंत ऋतु में किसके स्वर से सभी परिचित हैं?
उत्तर:वसंत ऋतु में कोकिल के स्वर से सभी परिचित हैं।
प्रश्न 24.ब्रह्म ज्ञान किसकी वीणा पर नृत्य करने के समान था?
उत्तर:ब्रह्मज्ञान सरस्वती की वीणा पर नृत्य करने के समान था।
प्रश्न 25.भारती ने भारवि को कहाँ देखा था?
उत्तर:भारती ने भारवि को मालिनी-तट पर देखा था।
प्रश्न 26.भारती ने जब भारवि को देखा तो उनकी स्थिति कैसी थी?
उत्तर:भारती ने जब भारवि को देखा, तो वे उस वक्त ध्यानमग्न थे, लगता था कि वे भारती की उपासना कर रहे थे।
प्रश्न 27.बीज से दूर रहने पर भी फूल क्या नहीं होता?
उत्तर:बीज से दूर रहने पर भी फूल मलिन नहीं होता।
प्रश्न 28.भारवि के पिता को किसके पांडित्य को देखकर प्रसन्नता होती थी?
उत्तर:भारवि के पांडित्य को देखकर उसके पिता को हार्दिक प्रसन्नता होती थी।
प्रश्न 29.अहंकार किसमें बाधक है?
उत्तर:अहंकार उन्नति में बाधक है।
प्रश्न 30.पिता के क्रोध में किसके प्रति मंगल कामना छिपी है?
उत्तर:पिता के क्रोध में पुत्र की मंगल कामना छिपी है।
प्रश्न 31.तलवार का प्रमाण किसका प्रमाण है?
उत्तर:तलवार का प्रमाण निर्बलों का प्रमाण है।
प्रश्न 32.जीवन से क्या उत्पन्न होती है?
उत्तर:जीवन से ग्लानि उत्पन्न होती है।
प्रश्न 33.ब्रह्म का निवास कहाँ होता है?
उत्तर:मस्तक में स्थित सहस्रदल में ब्रह्म का निवास होता है।
प्रश्न 34.भारवि के अनुसार क्या जघन्य पाप है?
उत्तर:भारवि के अनुसार आत्महत्या जघन्य पाप है।
प्रश्न 35.भारवि को अपमान किसके समान खटक रहा था?
उत्तर:भारवि को अपमान शूल के समान खटक रहा था।
प्रश्न 36.भारवि ने प्रतिशोध की आग में क्या करना चाहा?
उत्तर:भारवि ने प्रतिशोध की आग में पिता की हत्या करना चाहा।
प्रश्न 37.पितृ-हत्या का दण्ड क्या नहीं है?
उत्तर:पितृ-हत्या का दण्ड प्रतिशोध या पुत्र-हत्या नहीं है।
प्रश्न 38.भारवि के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा अपराध क्या है?
उत्तर:भारवि के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा अपराध जीवन को चिंता में घुलाना, पाप में लपेटना और दुःख में बिलखाना है।
प्रश्न 39.‘प्रतिशोध’ एकांकी के एकांकीकार का नाम लिखिए।
उत्तर:प्रतिशोध’ एकांकी के एकांकीकार डॉ. रामकुमार वर्मा हैं।
प्रश्न 40.भारवि किस महाकाव्य की रचना कर महाकवि भारवि बने?
उत्तर:भारवि ‘किरातार्जुनीयम’ महाकाव्य की रचना कर महाकवि भारवि बने।

अतिरिक्त प्रश्न :
प्रश्न 1.भारवि किससे तलवार लेकर आया था?
उत्तर:भारवि मित्र विजयघोष से तलवार लेकर आया था।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.भारवि से संबंधित माता-पिता के बीच होने वाले प्रारंभिक संवाद का सार लिखिए।
उत्तर:भारवी से संबंधित माता-पिता के बीच होनेवाला प्रारंभिक संवाद इस प्रकार से है – भारवि के पिता श्रीधर अपनी पत्नी सुशीला को वेद सुना रहे हैं। सुशीला का ध्यान कहीं और है क्योंकि अभी तक उसका पुत्र घर नहीं आया। श्रीधर कहते हैं कि भारवि शास्त्रार्थ में पण्डितों को पराजित करता जा रहा था और इस वजह से उसका घमण्ड बढ़ता जा रहा था। मैंने उसे ताड़ना दी क्योंकि मैं चाहता था कि मेरा पुत्र सुमार्ग पर चले। इसके लिए कभी-कभी ताड़ना अनिवार्य हो जाती है। सुशीला कहती है कि माँ के हृदय को शास्त्रार्थ के नियमों में नहीं बाँधा जा सकता।

प्रश्न 2.शास्त्रार्थ में पंडितों को हराते देख पिता ने भारवि के बारे में क्या सोचा?
उत्तर:शास्त्रार्थ में पंडितों को हराते देख पिता ने भारवि के बारे में सोचा कि पंडितों की हार से उसका अहंकार बढ़ता जा रहा है। उसे अपनी विद्वता का घमंड हो गया है। उसका गर्व सीमा को पार कर रहा है। भारवि आज संसार का श्रेष्ठ महाकवि है। दूर-दूर के देशों में उसकी समानता करने वाला कोई नहीं है।

उसने शास्त्रार्थ में बड़े से बड़े पण्डितों को पराजित किया है। उसका पांडित्य देखकर पिता को बहुत प्रसन्नता होती है। पर भारवि के मन में धीरे-धीरे अहंकार बढ़ता जा रहा है। पिता चाहते हैं कि भारवि और भी अधिक पंडित और महाकवि बने। पर अहंकार उन्नति में बाधक है। इसलिए पिता ने अहंकार पर अंकुश रखना चाहा। जिसे अपने पांडित्य का अभिमान हो जाता है वह अधिक उन्नति नहीं कर सकता। इसी कारण से पिता भारवि को समय-समय पर मूर्ख और अज्ञानी कहते हैं। पिता नहीं चाहते हैं कि अहंकार के कारण उसके पुत्र की उन्नति रुक जाये।
प्रश्न 3.सुशीला के अनुरोध पर श्रीधर ने भारवि को कहाँ-कहाँ और कैसे तलाश करने का वचन दिया?
उत्तर:जब पुत्र भारवि वापस नहीं लौटा तो माता सुशीला बहुत चिंतित हो गई। बार-बार अपने पुत्र की खोज के लिए पति श्रीधर से आग्रह करने लगी। श्रीधर हिम्मत करते हुए कहते हैं कि पुत्र तो है ही, किन्तु वह संसार का जनक भी है। अपनी कल्पना से वह न जाने कितने संसारों का निर्माण कर सकता है। श्रीधर उसे जनपदों से खोज लाने का वादा करते हैं, राजकीय सहायता लेकर उसको खोजने की बात करते है। सुशीला को शांत रहने के लिए कहते हैं।

प्रश्न 4.भारती और सुशीला के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:भारती भारवि को मालिनी के तट पर ध्यानमग्न बैठे देखती है, वह उन्हें मिलना चाहती थी लेकिन अचानक उद्विग्नता में उठकर भारवि चला गया वह उससे बात न कर सकी। यही बात वह सुशीला से कह रही है। सुशीला ने जानना चाहा कि क्या वह उसे जानती है। तब वह कहती है कि पिछले पूर्णिमा के त्योहार में उन्होंने बहुत ही बढ़िया शास्त्रार्थ किया था, वेदान्त की सुन्दर मीमांसा की थी। उस तरह भारती ने कही भी नहीं सुना था। ऐसे महान कवि भारवि को कौन नहीं जानता? वह कल फिर से आने की बात कर जाने लगती है तो सुशीला उसे कहती है कि उस बीच कुछ पता मिले तो हमें भी बताना।

प्रश्न 5.भारवि अपने पिता से क्यों बदला लेना चाहता था?
उत्तर:भारवि महाकवि था, शास्त्रार्थ में सारे पंडितों को हराता था लेकिन जब उसके मन में अहंकार भर गया तब उसके पिता उन्हीं पंडितों के सामने उसे लांछित करते हैं। जिन पंडितों को वह हराया था वे ही उसका परिहास करते थे। दो बार उन्होंने पण्डितों के सामने भारवि को मूर्ख अज्ञानी कहा, उसकी निन्दा की तो भारवि क्रोध और ग्लानि से भर गया। उसने समझा कि जबतक उसके पिता जिंदा है वह ऐसे ही अपमानित होता रहेगा, इसलिए वह अपने पिता से बदला लेना चाहता था।

प्रश्न 6.‘अहंकार उन्नति में बाधक है।’ एकांकी के आधार पर श्रीधर के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:श्रीधर का यह कथन ‘अहंकार उन्नति में बाधक है’ बहुत ही सार्थक प्रतीत होता है। भारवि श्रीधर का पुत्र था। वह शास्त्रार्थ में पंड़ितों को पराजित करता जा रहा था। उसके साथ ही साथ उसके अंदर घमंड की भावना बढ़ती जा रही थी। यह श्रीधर के बर्दाश्त के बाहर था। उन्होंने भरी सभा में अपने पुत्र को उग्र रूप से ताड़ना दी। उसे महामूर्ख, दंभी और अज्ञानी कहा। वे उसका भला चाहते थे। वे नहीं चाहते थे कि अहंकार या दंभ उसके पुत्र के मार्ग मे बाधक बने। अहंकार व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकता है। उसकी प्रतिभा का भी एक प्रकार से हनन करता है। अनुशासन के बिना व्यक्ति जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता और वह आगे बढ़ भी गया तो अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता।

प्रश्न 7.ग्लानि और जीवन के संबंध में श्रीधर के क्या विचार हैं?
उत्तर:ग्लानि और जीवन के संबंध में श्रीधर के विचार इस प्रकार हैं – ग्लानि से जीवन उत्पन्न नहीं होता। जीवन से ग्लानि उत्पन्न होती है। इस तरह ग्लानि प्रधान नहीं है, जीवन प्रधान है। श्रीधर अपने पुत्र भारवि से कहते हैं कि जब तुम जीवन के अधिकारी हो तो जीवन की शक्ति से ही ग्लानि को दूर करो, तलवार की अपेक्षा क्यों करते हो? तुम्हारे हाथों में लेखनी चाहिए, तलवार नहीं। ग्लानि काले बादल के समान है जो जीवन के चंद्र को मिटा नहीं सकता। कुछ क्षणों के लिए उसके प्रकाश को रोक ही सकता है। ग्लानि के पोषण के लिए ब्रह्मदेव की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 8.प्रायश्चित को लेकर पिता और पुत्र के बीच हुए संवाद को लिखिए।
उत्तर:प्रायश्चित को लेकर पिता और पुत्र के बीच का संवाद इस प्रकार है – भारवि क्रोध और ग्लानि से भरकर अपने पिता श्रीधर की हत्या करना चाहता था। जब उसे पता चलता है कि उसके पिता की ताड़ना के पीछे उनकी शुभकामनाएँ और मंगल कामनाएँ छिपी हैं तो वह दुखी हो जाता है। उसने अपने पिता से कहा कि वह अपने अपराध के लिए प्रायश्चित करना चाहता है। पिता कहते हैं कि पश्चाताप ही प्रायश्चित है। वे उसे माँ की सेवा कर अपने जीवन को सफल बनाने के लिए कहते हैं। भारवि कहता है – माता की सेवा तो मेरे जीवन की चरम साधना है ही लेकिन यदि आप चाहते हैं कि आपका पुत्र भारवि जीवित रहे तो उसे दण्ड दीजिए। पुत्र के बहुत कहने पर वे उसे दण्ड देते हैं – छः मास तक ससुराल में जाकर सेवा करना और जूठे भोजन पर अपना पोषण करना। भारवि उसे सहर्ष स्वीकार कर लेता है।
प्रश्न 9.भारवि ने अपने पिता से किस प्रकार का दण्ड चाहा और उसे क्या दण्ड मिला?
उत्तर:भारवि बदले की आग में जलते हुए अपने पिता की हत्या करना चाहता था। पिता की प्रताड़ना के पीछे उनकी मंगलकामनाओं का पता चलने पर वह लज्जित हो गया। उसने पिता से तलवार से उसका मस्तक काटने को कहा जिससे उसकी ग्लानि भी कट जाए। पिता कहते हैं कि पितृ-हत्या का दंड पुत्र-हत्या नहीं है। वे भारवि को क्षमा कर देते हैं। भारवि कहता है कि पाप के लिए न सही, उसके प्रायश्चित के लिए भी तो कुछ व्यवस्था होनी चाहिए। वह कहता है कि यदि आप चाहते हैं कि आपका भारवि जीवित रहे तो उसे दंड दीजिए। उसके पिता उसे छः मास तक ससुराल में जाकर सेवा करने तथा जूठे भोजन पर अपना पोषण करने का दंड देते हैं।

प्रश्न 10.निम्नलिखित पात्रों का चरित्र-चित्रण कीजिए :
१. महापंडित श्रीधर
२. सुशीला
३. महाकवि भारवि
उत्तर:
१. महापंडित श्रीधर
महापण्डित श्रीधर संस्कृत के महापण्डित थे। उनका पुत्र महाकवि था और वह शास्त्रार्थ में पण्डितों को पराजित करता चला जा रहा था। इससे उसका अहंकार बढ़ता जा रहा था। उसे अपनी विद्वता का घमंड हो गया था। श्रीधर अपने पुत्र को सही राह पर लाना चाहते थे। वे अपने पुत्र को ताड़ना देते हैं क्योंकि वे उसका भला चाहते हैं। अहंकार व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकता है। वे एक आदर्श पिता का फर्ज निभाते हुए अपने पुत्र को सही राह पर लाने के लिए ताड़ना देते हैं। उनका पुत्र उन्हें गलत समझता है लेकिन अपने पिता के उद्देश्य का पता चलने पर वह लज्जित हो जाता है। वह अपनी गलती के लिए प्रायश्चित करना चाहता है। इस तरह श्रीधर का चरित्र उच्च कोटि का है।

२. सुशीला
सुशीला महापंडित श्रीधर की पत्नी तथा महाकवि भारवि की माता है। अपने विद्वान पुत्र पर पिता की तरह इसे भी गर्व है। वह अपने पुत्र भारवि के घर न लौटने के कारण दुःखी है। वह पुत्र शोक में सो नहीं पाती। वह मानती है कि यदि पुत्र के लिए माँ की ममता मूर्खता है तो ऐसी मूर्खता हमेशा बनी रहे। पति के समझाने पर भी पुत्र-मोह कम नहीं होता। पुत्र के व्यामोह में वह अपने पति से भी काफी वाद-विवाद करती है, परन्तु अपनी मर्यादा में रहकर, अपने पति-धर्म को निभाती है।

३. महाकवि भारवि
भारवि संस्कृत के महाकवि थे जो आगे चलकर ‘किरातार्जुनीयम’ महाकाव्य की रचना करते हैं। भारवि शास्त्रार्थ में पंडितों को पराजित कर रहे थे। उनके अंदर पंडितों की हार से अहंकार बढ़ता जा रहा था। उन्हें अपनी विद्वत्ता का घमंड होता जा रहा था। उनका गर्व सीमा का अतिक्रमण कर रहा था। उनके पिता श्रीधर भरी सभा में उन्हें ताड़ते हैं। भारवि उनसे बदला लेना चाहता है। जब भारवि को पिता का उनके प्रति मंगलकामना का पता चलता है तो वे विचलित हो जाते हैं। अपनी गलती पर पछताते हुए पिता से दण्ड माँगते हैं। इस तरह भारवि के चरित्र का पता चलता है कि उन्हें अपनी गलती का पछतावा है। वे पिता द्वारा दिए हुए दण्ड को सहर्ष स्वीकार करते हुए पालन करने की आज्ञा माँगते हैं।

प्रश्न 11.
टिप्पणी लिखिए :
१. आभा
२. भारती
उत्तर:
१. आभा
‘आभा’ भारवि की सेविका है। जब सुशीला ने उससे पूछा कि आभा, भारवि नहीं आया? तो आभा ने कहा – अब तक कवि नहीं आये? मैं तो समझती थी कि वह इस समय तक आ गये होंगे। मैं अभी जाती हूँ, उन्हें खोजकर लाती हूँ। आप भोजन कर लीजिए। मुझे क्षमा करें। एक निवेदन और है – महाकवि से परिचित एक युवती प्रवेश चाहती है। वह स्वामी के दर्शन की अभिलाषा रखती है। ‘आभा’ सच्ची सेविका है।

२. भारती
भारती एक विदुषी है। भारती के हृदय में महाकवि भारवि के प्रति श्रद्धा की भावना है। वह सुशीला से कहती है कि वसंत ऋतु में कोकिल के स्वर से कौन परिचित नहीं? गत पूर्णिमा के पर्व में उन्होंने जो शास्त्रार्थ किया, वह बहुत महत्व का है। आज तक वेदान्त की इतनी सुन्दर मीमांसा मैंने नहीं सुनी, जैसी महाकवि भारवि के मुख से सुनी। वीणापाणि को भी ‘भारती’ ही कहते हैं। वे उस भारती की उपासना कर रहे थे। भारती सुशीला तथा श्रीधर का सम्मान करती है।

प्रतिशोध एकांकीकार का परिचय :

बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. रामकुमार वर्मा (1905-1990. आधुनिक हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण कवि, नाटककार और इतिहासकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। आप प्रयाग विश्वविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक तथा विभागाध्यक्ष रहे। आपके व्यक्तित्व और कृतित्व में विद्वत्ता और सृजनात्मकता का अनोखा संगम दर्शनीय है। हिन्दी एकांकी को नवीन और महत्वपूर्ण आयाम प्रदान करने वालों में डॉ. वर्मा का नाम विशेष उल्लेखनीय है। आपने ऐतिहासिक, राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक तथा व्यंग्य-विनोद से संबंधित विविध प्रकार के एकांकियों की रचना सफलतापूर्वक की है।

आपके प्रमुख एकांकी संग्रहों में – ‘चारूमित्रा’, ‘ऋतुराज’, ‘रेशमी टाई’, ‘दीपदान’, ‘रिमझिम’, ‘पृथ्वीराज की आँखें’, ‘ध्रुवतारा’, ‘सप्तकिरण’ आदि उल्लेखनीय हैं।

डॉ. वर्मा ‘नागरी काव्य पुरस्कार’, ‘देव पुरस्कार’, ‘उत्तर प्रदेश शासन पुरस्कार’ एवं ‘भारतभारती पुरस्कार’ से सम्मानित हैं। आपकी साहित्य साधना के लिए भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण’ से अलंकृत किया।

प्रतिशोध Summary in Hindi
पात्र परिचय :

भारवि : संस्कृत के महाकवि
श्रीधर : संस्कृत के महापण्डित, भारवि के पिता
सुशीला : भारवि की माता
भारती : एक विदुषी
आभा : सेविका
सारांश :
डॉ. रामकुमार वर्मा की प्रसिद्ध सांस्कृतिक एकांकी ‘प्रतिशोध’ है। इसका कथानक संस्कृत के महाकवि भारवि के जीवन से संबंधित है। भारवि की माँ सुशीला बेटे के घर न लौटने के कारण दुखी है। भारवि के पिता श्रीधर अपनी पत्नी सुशीला को समझाने का भरसक प्रयास करते हैं। परन्तु सुशीला का मन भारवि के मोह से मुक्त नहीं हो पाता है।

भारवि के पिता का कहना है कि भारवि कवि है और कवि समय पर शासन करता है, समय उस पर शासन नहीं करता। वह समस्त संसार में रहकर भी संसार से परे हो जाता है, किन्तु वह अपनी कल्पना से न जाने कितने संसारों का निर्माण कर सकता है। तो क्या वह कल्पना से अपनी माता का भी निर्माण कर सकता है? कहीं आप ही ने उसे घर आने से तो नहीं रोक दिया, मैं कभी रोक सकता हूँ? पिता सब कुछ कर सकता है, वह घर से, जाति से, समाज से कभी भी निर्वासित कर सकता है, किन्तु हृदय से निर्वासित नहीं कर सकता। किन्तु पिता घर से निर्वासित तभी कर सकता है जब वह अन्याय का आचरण करे, धर्म के प्रतिकूल चले तो यह भी संभव है।

यदि पिता चाहता है कि उसका पुत्र सुमार्ग पर चले, तो कभी ताड़ना भी अनिवार्य हो जाती है। इधर कई दिनों से मैंने देखा कि पंडितों की हार से उसका अहंकार बढ़ता जा रहा है। उसे अपनी विद्वता का घमण्ड हो गया है। उसका गर्व सीमा का अतिक्रमण कर रहा है। मैं यह सहन नहीं कर सकता कि मेरा पुत्र दम्भी हो। इसलिए मैंने उसे ताड़ना दी और उग्र रूप से दी। इसलिए भारवि ने एक बार व्यथित दृष्टि से मेरी ओर देखा, फिर ग्लानि से अपने हाथों से अपना मुख छिपा लिया और चुप-चाप चला गया।

भारवि नाराज होकर अपने पिता से बदला लेना चाहता था। भारवि को समझ में आ जाता है कि उसके पिता श्रीधर ने उसकी उन्नति के लिए और उसके अहंकार को मिटाने के लिए यह निर्णय लिया था।

तत्पश्चात भारवि पश्चाताप के रूप में वह अपना मस्तक कटवाने की भिक्षा माँगता है। पिता कहता है – न तो मैं प्रतिशोध लेता हूँ और न भिक्षा देता हूँ। पिता ने उसे समझाया कि ऐसा दण्ड नहीं दिया जा सकता क्योंकि पितृ-हत्या के लिए पुत्र-हत्या का दंड नहीं दिया जा सकता।

अन्त में दण्ड तो देना ही था। – श्रीधर भारवि को छः मास तक श्वसुरालय में जाकर सेवा करने और जूठे भोजन पर अपना पालन पोषण करने का दण्ड सुनाते हैं। भारवि पितृवाक्य का पालन करता है; परिणामस्वरूप उसका अहंकार मिट जाता है। अन्ततः वह ‘किरातार्जुनीयम’ महाकाव्य की रचना कर ‘महाकवि भारवि’ बनता है।

Comments

Popular posts from this blog

काल के आधार पर वाक्य के प्रकार स्पष्ट कीजिए?

10 New criteria of NAAC and its specialties - Dr. Sangprakash Dudde, Sangameshwar College Solapur

जन संचार की परिभाषा ,स्वरूप,-डॉ संघप्रकाश दुड्डेहिंदी विभाग प्रमुख,संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर (मायनर हिंदी)