सम्राट अशोक के अभिलेख और उसकी विशेषता और उनका योगदान

सम्राट अशोक के **40 शिलालेखों** (अभिलेखों) को **ब्राह्मी लिपि** और प्राकृत भाषा में उत्कीर्ण किया गया था। ये शिलालेख पत्थरों और स्तंभों पर मिलते हैं, जिनमें अशोक के धम्म (धर्म) के सिद्धांत, प्रशासनिक नीतियाँ और बौद्ध धर्म के प्रचार संबंधी आदेश शामिल हैं।  *1. अशोक के अभिलेखों का लिप्यंतरण, मूल स्वरूप और अर्थ**  
*प्रमुख शिलालेखों का उदाहरण (शिलालेख-12):**  
**मूल (ब्राह्मी लिपि में प्राकृत):**  
*"देवानांप्रिय प्रियदर्शी राजा सर्वत्र पियदसिनं च सुसमतानं च एवमाह"*  
**लिप्यंतरण (IAST):**  
*"Devānaṃpriya Priyadarśī rājā sarvatra piyadasinaṃ ca susamataṃ ca evamāha"*  
**हिंदी अर्थ:**  
*"देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी राजा (अशोक) कहते हैं कि सभी संप्रदायों के लोगों का सम्मान किया जाना चाहिए और उनमें सद्भाव बना रहना चाहिए।"*  **उपदेश:**  
- अशोक ने **सहिष्णुता, अहिंसा और नैतिक जीवन** पर जोर दिया।  उन्होंने **धम्म (धर्म)** का पालन करने, पशु-बलि रोकने, माता-पिता की सेवा करने और सत्य बोलने का संदेश दिया।  2. बौद्ध धर्म के प्रचार में अशोक का योगदान**  - अशोक ने **बौद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण** दिया और **तीसरी बौद्ध संगीति** का आयोजन किया।  उन्होंने **धर्ममहामात्र** (धर्म प्रचारक) नियुक्त किए, जो जनता को नैतिक शिक्षा देते थे।  - अपने पुत्र **महेंद्र** और पुत्री **संघमित्रा** को श्रीलंका में बौद्ध धर्म प्रचार के लिए भेजा।  
- **बौद्ध ग्रंथों का प्रसार** करवाया और विहारों (मठों) का निर्माण कराया। 3. पवित्र बौद्ध स्थलों पर स्तंभ निर्माण**  अशोक ने बौद्ध धर्म से जुड़े पवित्र स्थलों पर **स्तंभ** बनवाए, जिन पर उनके संदेश उत्कीर्ण थे:  
*स्थान**       | **स्तंभ का संदेश/महत्व**                **लुम्बिनी**     | यहाँ गौतम बुद्ध का जन्म हुआ। अशोक ने यहाँ एक स्तंभ लगवाया और लिखवाया कि यहाँ कर माफ किया जाएगा। |
| **कपिलवस्तु**   | बुद्ध का बचपन यहाँ बीता। स्तंभ पर बौद्ध धर्म की महत्ता लिखी गई।                          |
| **सारनाथ**      | यहाँ बुद्ध ने पहला उपदेश दिया। अशोक ने यहाँ **सिंहशीर स्तंभ** बनवाया, जो भारत का राष्ट्रीय चिह्न बना। |
| **बोधगया**      | बुद्ध को यहाँ ज्ञान प्राप्त हुआ। अशोक ने **महाबोधि मंदिर** का निर्माण शुरू करवाया।           |
| **कुशीनगर**     | बुद्ध का महापरिनिर्वाण यहाँ हुआ। स्तंभ पर उनके अंतिम उपदेश उत्कीर्ण किए गए।             *4. बोधगया और बोधिवृक्ष की सुरक्षा**  
- अशोक ने **बोधगया में विहार (मंदिर)** बनवाया, जो आज **महाबोधि मंदिर** के नाम से जाना जाता है।  
- उन्होंने **बोधिवृक्ष (पीपल का वृक्ष)** की रक्षा के लिए एक **घेरा बनवाया** और उसकी देखभाल के लिए नियम बनाए।  5. भारत में अशोक के अभिलेखों के स्थान**  अशोक के शिलालेख और स्तंभ भारत के **निम्नलिखित स्थानों** पर पाए जाते हैं:  
*प्रमुख शिलालेख:**  
1. **मानसेरा** (हिमाचल प्रदेश)  
2. **शाहबाजगढ़ी** (पाकिस्तान)  
3. **कालसी** (उत्तराखंड)  
4. **गिरनार** (गुजरात)  
5. **सोपारा** (महाराष्ट्र)  
6. **येर्रागुडी** (आंध्र प्रदेश)  
7. **धौली** (ओडिशा)  
8. **जौगढ़** (ओडिशा)  
*प्रमुख स्तंभ:**  
1. **सारनाथ** (उत्तर प्रदेश) – सिंहशीर स्तंभ  
2. **वैशाली** (बिहार)  
3. **लौरिया नंदनगढ़** (बिहार)  
4. **दिल्ली-टोपरा** (फिरोज शाह तुगलक द्वारा दिल्ली लाया गया)  *निष्कर्ष:**  सम्राट अशोक ने अपने अभिलेखों और स्तंभों के माध्यम से **धम्म, अहिंसा और सामाजिक एकता** का संदेश दिया। उन्होंने बौद्ध धर्म को विश्व धर्म बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत के पवित्र स्थलों को चिह्नित कर उन्हें ऐतिहासिक महत्व दिया। आज भी उनके अभिलेख **भारतीय इतिहास और संस्कृति की धरोहर** हैं।

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