फैसला मैत्रीय पुष्पा कहानी की समीक्षा तथा विशेषता

# समीक्षा एवं विशेषताएँ: मैत्रेयी पुष्पा की कहानी "फैसला"

## कहानी का सारांश
"फैसला" मैत्रेयी पुष्पा की एक प्रसिद्ध कहानी है जो ग्रामीण भारत में महिलाओं की स्थिति, पुरुषसत्तात्मक समाज की विसंगतियों और नारी सशक्तिकरण के संघर्ष को उजागर करती है। कहानी की मुख्य पात्र वसुमती गाँव की प्रधान चुनी जाती है, लेकिन वास्तविक शक्ति उसके पति रणवीर (ब्लॉक प्रमुख) के हाथों में रहती है। एक महत्वपूर्ण घटना में, वसुमती हरदेई नामक युवती को उसके पति के साथ भेजने का निर्णय लेती है, जिसे रणवीर बदल देता है, जिसके परिणामस्वरूप हरदेई आत्महत्या कर लेती है। इस घटना के बाद वसुमती अंततः अपने पति के विरुद्ध "फैसला" लेती है और अगले चुनाव में उसे वोट न देकर उसके प्रतिद्वंद्वी को वोट देती है, जिससे रणवीर एक वोट से हार जाता है ।

## कहानी की समीक्षा

### 1. विषयवस्तु और सामाजिक संदर्भ
- **नारी विमर्श**: कहानी पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के उत्पीड़न और उनकी संघर्षशीलता को दर्शाती है। यह दिखाती है कि कैसे महिलाओं को नाममात्र की सत्ता दी जाती है, जबकि वास्तविक निर्णय पुरुषों द्वारा लिए जाते हैं ।
- **राजनीतिक पृष्ठभूमि**: पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका और उनके साथ होने वाले छल को उजागर करती है। वसुमती का चरित्र इस विसंगति का प्रतीक है ।
- **मनोवैज्ञानिक गहराई**: वसुमती के आंतरिक संघर्ष को दर्शाया गया है - एक ओर वह पारंपरिक भूमिका निभाती है, दूसरी ओर उसमें विद्रोह की चिंगारी भी है ।

### 2. पात्र और चरित्र-चित्रण
- **वसुमती**: कहानी की नायिका जो शिक्षित होने के बावजूद पुरुष प्रधान व्यवस्था में जकड़ी हुई है। उसका चरित्र विकास कहानी में स्पष्ट है - आरंभ में वह आज्ञाकारी पत्नी है, लेकिन अंततः अपनी स्वतंत्र इच्छा से निर्णय लेती है ।
- **रणवीर**: वसुमती का पति और ब्लॉक प्रमुख जो पारंपरिक पुरुषवादी मानसिकता का प्रतिनिधित्व करता है। वह वसुमती के निर्णयों को नियंत्रित करता है ।
- **ईसुरिया**: एक निर्भीक महिला जो सामाजिक बंधनों को चुनौती देती है। वह नारी सशक्तिकरण की प्रतीक है और वसुमती को प्रभावित करती है ।
- **हरदेई**: एक युवती जो सामाजिक दबाव के कारण आत्महत्या कर लेती है। उसकी मृत्यु वसुमती के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित होती है 。

### 3. भाषा शैली और शिल्प
- **लोकभाषा का प्रयोग**: कहानी में बुंदेलखंडी लोकभाषा और मुहावरों का सटीक प्रयोग किया गया है, जो ग्रामीण परिवेश को जीवंत बनाता है ।
- **पत्र शैली**: कहानी का कुछ भाग वसुमती के पत्र के रूप में है, जो उसकी आंतरिक भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है ।
- **प्रतीकात्मकता**: "झाड़ू से छूना", "कागद पर दस्तखत" जैसे प्रतीक सामाजिक रूढ़ियों और शोषण को दर्शाते हैं 。

## कहानी की प्रमुख विशेषताएँ

1. **नारी विमर्श की मार्मिक अभिव्यक्ति**: कहानी नारी अस्मिता, स्वतंत्रता और संघर्ष को गहनता से उकेरती है। यह दिखाती है कि कैसे महिलाएँ पारंपरिक बंधनों से मुक्ति पाने का प्रयास कर रही हैं ।

2. **ग्रामीण यथार्थ का सजीव चित्रण**: मैत्रेयी पुष्पा ने बुंदेलखंड के ग्रामीण जीवन, उसकी भाषा, रीति-रिवाजों और सामाजिक संरचना को बड़े ही यथार्थवादी ढंग से प्रस्तुत किया है ।

3. **मनोवैज्ञानिक गहराई**: पात्रों के आंतरिक संघर्ष, विशेषकर वसुमती के मानसिक द्वंद्व को बहुत ही सूक्ष्मता से चित्रित किया गया है ।

4. **राजनीतिक व्यंग्य**: पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की नाममात्र की भागीदारी और पुरुषों के वर्चस्व पर तीखा व्यंग्य किया गया है ।

5. **आदर्श और यथार्थ का समन्वय**: कहानी में एक ओर क्रूर सामाजिक यथार्थ है तो दूसरी ओर वसुमती के अंतिम फैसले के माध्यम से आदर्श की संभावना भी दिखाई गई है ।

## निष्कर्ष
"फैसला" कहानी मैत्रेयी पुष्पा के सामाजिक सरोकारों और नारी चेतना को प्रभावी ढंग से व्यक्त करती है। यह केवल एक कहानी नहीं बल्कि ग्रामीण भारत की महिलाओं के संघर्ष का दस्तावेज है। कहानी की सबसे बड़ी शक्ति यह है कि यह पाठक को झकझोरती है और सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रेरित करती है। मैत्रेयी पुष्पा की यह रचना हिंदी साहित्य में नारी विमर्श की एक महत्वपूर्ण कड़ी है जो अपनी यथार्थपरक दृष्टि, मार्मिक अभिव्यक्ति और सशक्त संदेश के कारण आज भी प्रासंगिक बनी हुई है ।

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