निंदा रस हरिशंकर परसाई कृत निबंध की समीक्षा
हरिशंकर परसाई द्वारा रचित **"निंदा रस"** एक प्रखर व्यंग्यात्मक निबंध है, जो समाज में व्याप्त निंदा की प्रवृत्ति को उजागर करता है। यह निबंध न केवल मनोरंजक है बल्कि गहन सामाजिक विश्लेषण भी प्रस्तुत करता है। नीचे इसकी समीक्षा, विशेषताएँ और महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है:
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### **समीक्षा (Critical Analysis)**
1. **विषयवस्तु और उद्देश्य**
परसाई जी ने इस निबंध में निंदा करने वाले लोगों के स्वभाव, उनकी मानसिकता और सामाजिक प्रभाव को गहराई से चित्रित किया है। वे निंदा को एक "रस" के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसमें लोग आनंद लेते हैं। यह निबंध समाज की उस विसंगति को दर्शाता है जहाँ लोग दूसरों की बुराई करके स्वयं को श्रेष्ठ समझते हैं ।
2. **भाषा और शैली**
परसाई की भाषा सरल, सहज और व्यंग्यात्मक है। वे प्रतीकों और उदाहरणों का सटीक उपयोग करते हैं, जैसे "धृतराष्ट्र का प्राणघाती स्नेह" या "मिशनरी निंदक" जैसे बिंबों के माध्यम से निंदकों की मानसिकता को उजागर करते हैं ।
3. **सामाजिक व्यंग्य**
निबंध में निंदा के विभिन्न रूपों को दर्शाया गया है:
- **ईर्ष्यापूर्ण निंदा**: जहाँ लोग दूसरों की सफलता से जलकर बुराई करते हैं।
- **मिशनरी निंदा**: जहाँ लोग बिना किसी द्वेष के, केवल आदतन निंदा करते हैं।
- **निंदा को पूँजी बनाना**: कुछ लोग निंदा को अपनी सामाजिक पहचान बनाते हैं ।
4. **मनोवैज्ञानिक पहलू**
परसाई ने निंदा के पीछे छिपी हीनभावना और आत्म-तुष्टि को रेखांकित किया है। उनके अनुसार, निंदा करने वाले लोग अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए दूसरों की बुराई करते हैं ।
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### **विशेषताएँ (Key Features)**
1. **व्यंग्य की तीक्ष्णता**
परसाई का व्यंग्य केवल हँसाने के लिए नहीं है, बल्कि यह पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। उनकी शैली में एक अनूठा "अपनापन" है, जो पाठक को लेखक के निकट ले आता है ।
2. **प्रतीकात्मकता**
- **धृतराष्ट्र का उदाहरण**: निंदकों की कपटपूर्ण मित्रता को दर्शाता है।
- **टॉनिक का प्रतीक**: निंदा को कुछ लोगों के लिए ऊर्जा का स्रोत बताया गया है ।
3. **यथार्थपरकता**
निबंध में समाज के विभिन्न वर्गों (जैसे पड़ोसन, रिश्तेदार, मित्र) के उदाहरण देकर निंदा की सार्वभौमिकता को दिखाया गया है ।
4. **भाषाई नवाचार**
परसाई ने हिंदी व्यंग्य को एक नया मोड़ दिया है। उनकी भाषा में मुहावरेदार प्रयोग और लोकप्रिय उदाहरणों का समावेश है ।
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### **निबंध का महत्वपूर्ण पहलू**
1. **सामाजिक आईना**
यह निबंध समाज के उस चेहरे को दिखाता है जहाँ लोग दूसरों की निंदा करके स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने की कोशिश करते हैं। यह एक प्रकार का "सामाजिक मनोरोग" है जिसे परसाई ने बखूबी उजागर किया है ।
2. **नैतिक शिक्षा**
निबंध पाठकों को यह संदेश देता है कि निंदा एक नकारात्मक प्रवृत्ति है जो व्यक्ति और समाज दोनों के लिए हानिकारक है। परसाई के शब्दों में, "निंदकों को दंड देने की जरूरत नहीं, वे खुद ही दंडित हैं" ।
3. **रचनात्मकता**
निबंध में निंदा को "रस" के रूप में प्रस्तुत करना परसाई की मौलिक दृष्टि को दर्शाता है। यह हिंदी साहित्य में व्यंग्य की नई परिभाषा गढ़ता है ।
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### **निष्कर्ष**
"निंदा रस" हरिशंकर परसाई की एक अनूठी रचना है जो व्यक्ति और समाज की मानसिकता को बेबाकी से उजागर करती है। इसकी **व्यंग्यात्मक शैली, यथार्थपरक उदाहरण और गहन सामाजिक विश्लेषण** इसे हिंदी साहित्य की एक कालजयी रचना बनाते हैं। यह निबंध न केवल पाठकों को मनोरंजन प्रदान करता है बल्कि उन्हें आत्मचिंतन के लिए भी प्रेरित करता है।
**संदर्भ के लिए:**
- [निंदा रस का पूर्ण पाठ](https://hindikahani.hindi-kavita.com/Ninda-Ras-Harishankar-Parsai.php)
- [हरिशंकर परसाई की अन्य रचनाएँ](https://hi.wikipedia.org/wiki/हरिशंकर_परसाई)
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