सरजू भैया का व्यक्तित्व एवं चरित्र चित्रण
# **सरजू भैया का व्यक्तित्व एवं चरित्र चित्रण: एक विस्तृत विश्लेषण**
## **1. रेखाचित्र का परिचय एवं लेखक का उद्देश्य**
रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित **"सरजू भैया"** उनके प्रसिद्ध रेखाचित्र संग्रह **'माटी की मूरतें'** (1941-45) का एक हृदयस्पर्शी शब्दचित्र है। यह रेखाचित्र हजारीबाग जेल में बंदी जीवन के दौरान लिखा गया था, जहाँ बेनीपुरी ने अपने गाँव के साधारण परंतु असाधारण व्यक्तित्व वाले लोगों को अमर करने का प्रयास किया ।
- **लेखक का उद्देश्य**:
- सरजू भैया जैसे **ग्रामीण जीवन के अनसुने नायकों** की मानवीय गरिमा को उजागर करना।
- समाज के **उपेक्षित वर्ग** के प्रति सहानुभूति और सम्मान जगाना।
- **मिट्टी से जुड़े लोगों** की सादगी, त्याग और सामाजिक योगदान को चित्रित करना ।
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## **2. सरजू भैया का व्यक्तित्व चित्रण**
### **(क) शारीरिक एवं सामाजिक पहचान**
- सरजू भैया गाँव का एक **साधारण किंतु जिंदादिल व्यक्ति** थे, जिनका घर "टट्टी और फूस के छप्पर" से बना था ।
- वे लेखक के **मुँहबोले बड़े भाई** थे और गाँव में उनकी प्रतिष्ठा एक **सहज, मिलनसार एवं हँसोड़ व्यक्ति** के रूप में थी ।
### **(ख) चरित्र की विशेषताएँ**
1. **परोपकारी स्वभाव**:
- सरजू भैया सदैव दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहते थे, यहाँ तक कि **अपनी आर्थिक हानि** की परवाह नहीं करते थे ।
- उनका मानना था कि **"ब्याज पर पैसा लेना मानवता के विरुद्ध है"** ।
2. **सिद्धांतप्रियता**:
- वे **कर्ज लेने से इनकार** कर देते थे, भले ही उनका घर भूकंप में ध्वस्त हो गया हो ।
- उनके लिए **मानवीय मूल्य** भौतिक सुखों से ऊपर थे।
3. **मजाकिया एवं उदार**:
- लेखक ने उन्हें **"हँसोड़ और मजाकिया"** बताया है, जो गाँव के लोगों को हँसाते रहते थे ।
4. **अनुसरणीय जीवनशैली**:
- बेनीपुरी लिखते हैं: *"उनका चरित्र न केवल अनुसरणीय बल्कि **पूजनीय** है"* ।
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## **3. सरजू भैया का समग्र जीवन एवं प्रभाव**
### **(क) सामाजिक योगदान**
- सरजू भैया **ग्रामीण समाज के स्तंभ** थे, जो संकट के समय सबसे आगे खड़े होते थे।
- उनका जीवन **सादगी और सेवा** का प्रतीक था, जिसने गाँव के लोगों को **स्वार्थरहित जीवन** की प्रेरणा दी ।
### **(ख) लेखक पर प्रभाव**
- बेनीपुरी उन्हें **"अपना ज्ञानी मस्तिष्क झुकाने वाला"** व्यक्ति मानते थे ।
- उनके चरित्र ने लेखक को **मानवीय संबंधों की गहराई** समझने में मदद की।
### **(ग) आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता**
- आज के भौतिकवादी युग में सरजू भैया का चरित्र **सादगी, ईमानदारी और परोपकार** की याद दिलाता है।
- उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि **वास्तविक समृद्धि** धन में नहीं, बल्कि मानवीय संबंधों में निहित है ।
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## **4. रेखाचित्र की साहित्यिक विशेषताएँ**
1. **शब्दचित्रात्मक शैली**: बेनीपुरी ने कम शब्दों में सरजू भैया के व्यक्तित्व को **सजीव एवं मर्मस्पर्शी** ढंग से उकेरा है ।
2. **यथार्थवादी अंकन**: गाँव की गरीबी, टूटे घर और सरजू के संघर्ष को **बिना अलंकरण** के प्रस्तुत किया गया है ।
3. **संवेदनशीलता**: लेखक ने सरजू के प्रति **आत्मीयता और सम्मान** को शब्दों में पिरोया है ।
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## **5. निष्कर्ष: सरजू भैया की सांस्कृतिक महत्ता**
सरजू भैया का चरित्र **"माटी की मूरतें"** के केंद्रीय विचार को दर्शाता है—**"साधारण व्यक्ति भी असाधारण कर्मों से देवत्व प्राप्त कर सकता है"** । यह रेखाचित्र न केवल एक व्यक्ति का चित्रण है, बल्कि **ग्रामीण भारत की मानवीय गाथा** है, जो पाठकों को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करती है।
> **"सरजू भैया जैसे लोग मिट्टी से बने होते हैं, पर उनका हृदय सोने जैसा चमकता है।"** — रामवृक्ष बेनीपुरी
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