दलाई लामस्स गुण गाथा
दलाई लामस्स गुणगाथा**
**(दलाई लामा के गुणों की गाथा )
**नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स!**
(उस भगवान, अर्हत्, सम्यक् सम्बुद्ध को नमस्कार!)
**अयं महाकारुणिको, लोकहिते रतो,
दलाई लामो नाम जिनसावको।
मैत्रीमयो, सन्ततं दयालुको,
सब्बसत्तहितसुखे यो निय्यतो।**
**नवुतिवस्से पतिते अयं दलाई लामा ,
ज्ञानपज्जोतो विपुलं विराजते।
धम्मचक्कं पवत्तेति सन्तो,
सङ्घस्स सेट्ठो विजितिन्द्रियो च।**
**तिब्बतखेत्ते पहुतपुण्णभूमि,
ततो समुत्पन्नो यस्स महानुभावो।
अहिंसा धम्मो च यस्स मूलं,
सो धीरो लोके परमपूजितो च।**
**सुखी होन्तु सब्बे सत्ता,
दुक्खमुच्चन्तु निरन्तरं।
एवं दलाई लामस्स,
करुणापुण्णो दिवसो सदा॥**
इस का हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है
**दलाई लामा की गुणगाथा**
(दलाई लामा के गुणों की कथा)
**नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स!**
(उस भगवान, अर्हत्, पूर्णतः ज्ञान प्राप्त को नमस्कार!)
**यह महाकरुणामय, लोक-कल्याण में संलग्न,
दलाई लामा नामक जिनशिष्य हैं।
मैत्रीपूर्ण, सदैव दयालु,
सभी प्राणियों के हित और सुख में निरत।**
**नब्बे वर्ष की आयु प्राप्त इस दलाई लामा में,
ज्ञान का प्रकाश विराजमान है।
धर्मचक्र को प्रवर्तित करते हैं शांतमना,
संघ के श्रेष्ठ और इंद्रियजयी हैं।**
**तिब्बत भूमि पुण्यभूमि है,
वहाँ उत्पन्न हुए हैं यह महान् प्रभावशाली।
अहिंसा और धर्म जिनके मूल हैं,
वे धीर हैं और संसार में परम पूज्य।**
**सुखी हों सभी प्राणी,
दुःख से सदा मुक्त हों।
इस प्रकार दलाई लामा का,
करुणापूर्ण दिन सदा बना रहे॥**
(यह गाथा दलाई लामा के गुणों, करुणा और शांति के संदेश को दर्शाती है।)
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