कविता की जरूरत कुंवर नारायण लिखित कविता की समीक्षा
कुंवर नारायण की कविता **"कविता की जरूरत"** (या संभवतः **"कविता के बहाने"**, जो उनकी प्रसिद्ध रचना है) समकालीन हिंदी कविता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह कविता कविता के स्वरूप, उसकी आवश्यकता और उसकी शक्ति पर गहन विचार करती है। नीचे इसकी समीक्षा और विशेषताएँ दी गई हैं:
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### **समीक्षा (Critical Analysis)**
1. **कविता का केंद्रीय भाव**
कुंवर नारायण इस कविता में कविता की असीमित क्षमता और उसकी सार्वभौमिकता को दर्शाते हैं। वे कविता को **चिड़िया, फूल और बच्चे के खेल** जैसी प्रतीकात्मक उपमाओं से जोड़ते हैं, जो दर्शाता है कि कविता कल्पना की स्वतंत्र उड़ान है, जिसकी कोई सीमा नहीं है ।
2. **भाषा और संप्रेषण**
कवि मानते हैं कि कविता भाषा के माध्यम से सीधी और सहज अभिव्यक्ति होनी चाहिए, लेकिन कई बार भाषा के जटिल हो जाने से उसका मूल अर्थ खो जाता है। यह विचार उनकी दूसरी कविता **"बात सीधी थी पर"** में भी स्पष्ट है, जहाँ वे कहते हैं कि **"बात की चूड़ी मर गई"** जब भाषा को अनावश्यक रूप से घुमाया-फिराया जाता है ।
3. **कविता की स्थायित्व और अमरता**
कुंवर नारायण के अनुसार, कविता फूल की तरह खिलती है, लेकिन फूल के विपरीत, यह कभी नहीं मुरझाती। यह समय के बंधन से परे है और सदैव प्रासंगिक रहती है ।
4. **सामाजिक और दार्शनिक पहलू**
कविता को केवल सौंदर्यबोध तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि यह मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक विसंगतियों और दार्शनिक प्रश्नों से भी जुड़ी है। कुंवर नारायण की कविताएँ अक्सर **यथार्थ और कल्पना के बीच संतुलन** बनाती हैं ।
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### **विशेषताएँ (Key Features)**
1. **प्रतीकात्मकता और बिंब विधान**
- कविता में **चिड़िया, फूल और बच्चे** के प्रतीकों का उपयोग करके कवि ने कल्पना की स्वतंत्रता और रचनात्मकता को दर्शाया है।
- ये बिंब सरल होते हुए भी गहन अर्थ रखते हैं ।
2. **सरल और सहज भाषा**
- कुंवर नारायण की भाषा सीधी और बिना कृत्रिमता के होती है, जो पाठक को सीधे प्रभावित करती है।
- वे **खड़ी बोली** का प्रयोग करते हैं, जिसमें एक आंतरिक लय होती है ।
3. **द्वंद्वात्मक शैली**
- उनकी कविताएँ अक्सर **विरोधाभासों** (जैसे कविता की स्वतंत्रता बनाम भाषा की जटिलता) को उजागर करती हैं।
- यह शैली पाठक को चिंतन के लिए प्रेरित करती है ।
4. **कालजयी विषयवस्तु**
- कविता केवल वर्तमान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इतिहास, दर्शन और भविष्य से भी जुड़ी है।
- उदाहरण के लिए, **"आत्मजयी"** जैसी रचनाओं में उन्होंने पौराणिक कथाओं को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया ।
5. **मानवीय संवेदना का पक्ष**
- कुंवर नारायण की कविताएँ मनुष्य के भावनात्मक और बौद्धिक पहलुओं को समेटती हैं।
- वे **प्रेम, संघर्ष, मृत्यु और अस्तित्व** जैसे गहन विषयों को छूती हैं ।
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### **निष्कर्ष**
कुंवर नारायण की कविता **"कविता की जरूरत"** (या संबंधित कविताएँ) न केवल काव्य-शिल्प की दृष्टि से उत्कृष्ट हैं, बल्कि वे पाठक को जीवन के मूलभूत प्रश्नों से भी रूबरू कराती हैं। उनकी **सरल भाषा, गहन प्रतीकात्मकता और दार्शनिक गहराई** उन्हें आधुनिक हिंदी कविता के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में स्थापित करती है।
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