बोधगया महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन और आज का संघर्ष
### **बोधगया और महाबोधि विहार का प्राचीन इतिहास एवं वर्तमान संघर्ष**
#### **1. सम्राट अशोक द्वारा महाबोधि विहार का निर्माण**
- **निर्माण काल**: सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व (लगभग 260 ईसा पूर्व) में बोधगया में महाबोधि विहार का निर्माण करवाया था। यह स्थान वही है जहाँ गौतम बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था ।
- **दान और वज्रासन**: अशोक ने विहार के लिए भव्य दान दिया, जिसमें हीरे जड़ित "वज्रासन" (ध्यान स्थल) का निर्माण शामिल था। वज्रासन को "पृथ्वी का नाभि केंद्र" माना गया और यह बुद्ध के बोधिसत्व की साक्षी है ।
- **प्रारंभिक संरचना**: अशोक ने पत्थर की रेलिंग और स्तूप भी बनवाए, जो आज भी विहार परिसर में देखे जा सकते हैं ।
#### **2. अतिक्रमण और ऐतिहासिक संघर्ष**
- **हिंदू अतिक्रमण**: मध्यकाल में बौद्ध धर्म के पतन के बाद, बोधगया पर हिंदू पुजारियों का अधिकार हो गया। ब्रिटिश काल में भी यह स्थान हिंदू महंतों के नियंत्रण में रहा ।
- **1949 का कानून**: भारत सरकार ने **बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949** (BT Act) बनाया, जिसके तहत महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) में 4 बौद्ध और 5 हिंदू सदस्य रखे गए। इस व्यवस्था को बौद्ध समुदाय ने "असंवैधानिक" बताया ।
#### **3. वर्तमान आंदोलन और बोधगया मुक्ति**
- **मांगें**:
- BT Act 1949 को रद्द करना।
- महाविहार का पूर्ण प्रबंधन बौद्धों को सौंपना।
- हिंदूकरण (जैसे बुद्ध की मूर्ति को शिवलिंग बताना) रोकना ।
- **प्रमुख घटनाएँ**:
- **12 मई 2025** को बुद्ध पूर्णिमा पर हिंदू पुजारियों द्वारा बुद्ध प्रतिमा के सामने वैदिक अनुष्ठान करवाया गया, जिससे बौद्धों में आक्रोश फैला ।
- **29 जुलाई 2025** को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अंतिम सुनवाई निर्धारित है ।
#### **4. बौद्ध धर्म की विरासत बचाने के प्रयास**
- **अंतर्राष्ट्रीय दबाव**: विश्वभर के बौद्ध संगठन (जैसे श्रीलंका, थाईलैंड) भारत सरकार पर दबाव बना रहे हैं ।
- **कानूनी लड़ाई**: बौद्ध नेता राजेंद्र पाल गौतम और अखिल भारतीय बौद्ध मंच (AIBF) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है ।
- **जनजागरण**: दलित-बौद्ध संगठन (जैसे दलित दस्तक) सोशल मीडिया और प्रदर्शनों के माध्यम से मुद्दे को उठा रहे हैं ।
#### **5. भविष्य की रणनीति**
- **एकजुटता**: बौद्ध समुदाय को अंबेडकरवादी संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध नेताओं और मानवाधिकार समूहों के साथ मिलकर आंदोलन तेज करना होगा।
- **राजनीतिक समर्थन**: बिहार और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए विपक्षी दलों को शामिल करना।
- **शैक्षिक अभियान**: बोधगया के ऐतिहासिक महत्व को लोगों तक पहुँचाना ताकि हिंदुत्ववादी नैरेटिव को चुनौती दी जा सके ।
### **निष्कर्ष**
बोधगया का संघर्ष केवल एक धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि भारत की बहुलवादी विरासत को बचाने की लड़ाई है। बौद्ध समुदाय को कानूनी, सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से खड़ा होना होगा ताकि महाबोधि विहार का नियंत्रण उन्हें मिल सके ।
Comments
Post a Comment