सम्राट अशोक अंतिम काल तथा निधन पाटलिपुत्र

सम्राट अशोक के अंतिम काल और अंतिम संस्कार के बारे में ऐतिहासिक जानकारी सीमित है, लेकिन उपलब्ध स्रोतों के आधार पर निम्नलिखित विवरण दिया जा सकता है:

### 1. **अंतिम काल और निधन स्थान**
सम्राट अशोक ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में बिताए। उनका निधन 232 ईसा पूर्व में हुआ था। कुछ स्रोतों के अनुसार, उन्होंने अपने अंतिम दिनों में राजकीय जीवन से विरक्त होकर धार्मिक जीवन व्यतीत किया और बौद्ध धर्म के प्रचार में समय बिताया ।

### 2. **अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन**
- सम्राट अशोक के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार बौद्ध परंपरा के अनुसार किया गया होगा, क्योंकि वह बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। हालाँकि, उस समय की विस्तृत विधि के बारे में स्पष्ट ऐतिहासिक विवरण उपलब्ध नहीं हैं।
- बौद्ध परंपरा के अनुसार, शव को जलाने के बाद अस्थियों को स्तूपों में रखा जाता था। सम्राट अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए कई स्तूपों का निर्माण करवाया था, इसलिए संभव है कि उनकी अस्थियों को भी किसी महत्वपूर्ण स्तूप में रखा गया हो ।
- हिंदू और बौद्ध दोनों परंपराओं में अस्थि विसर्जन का महत्व है, लेकिन बौद्ध परंपरा में स्तूपों को विशेष स्थान दिया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, अस्थियों को तीन दिन बाद एकत्र किया जाता है और पवित्र नदी (जैसे गंगा) में विसर्जित किया जाता है । हालाँकि, अशोक के मामले में यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी अस्थियों का क्या हुआ।

### 3. **उपस्थित लोग और संस्कार विधि**
- सम्राट अशोक के निधन के समय उनके परिवार के सदस्य, जैसे उनके पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा, जो बौद्ध धर्म के प्रचारक थे, उपस्थित रहे होंगे। उनके अन्य पुत्रों जैसे कुणाल और तिवरा का भी उल्लेख मिलता है ।
- बौद्ध विधि के अनुसार, अंतिम संस्कार में भिक्षुओं द्वारा मंत्रोच्चार और ध्यान साधना की गई होगी। अशोक के समय में बौद्ध भिक्षु उपगुप्त का प्रभाव था, जिन्होंने उन्हें बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी, इसलिए संभव है कि उन्होंने ही अंतिम संस्कार की रीति संपन्न कराई हो ।

### 4. **स्तूप या स्मारक**
- सम्राट अशोक के निधन के बाद उनकी स्मृति में कई स्तूप बनाए गए होंगे, लेकिन ऐतिहासिक रूप से कोई विशिष्ट स्तूप जो सीधे उनके अवशेषों से जुड़ा हो, का उल्लेख नहीं मिलता। हालाँकि, उनके द्वारा निर्मित कई स्तंभ और शिलालेख आज भी भारत और नेपाल में मौजूद हैं ।

### निष्कर्ष
सम्राट अशोक का अंतिम काल पाटलिपुत्र में बीता और उनका निधन वहीं हुआ। उनके अंतिम संस्कार की विधि बौद्ध परंपरा के अनुसार हुई होगी, लेकिन अस्थियों के विसर्जन या स्तूप निर्माण के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। उनके परिवार और बौद्ध भिक्षुओं ने संस्कार किया होगा, जिसमें ध्यान, मंत्रोच्चार और दाह संस्कार की प्रक्रिया शामिल रही होगी।

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