सम्राट अशोक का राजमहल पाटलिपुत्र एक विस्तृत रिपोर्ट

### **सम्राट अशोक का राजमहल, पाटलिपुत्र: एक विस्तृत रिपोर्ट**  

#### **1. पाटलिपुत्र: अशोक की राजधानी**  
सम्राट अशोक का राजमहल **पाटलिपुत्र** (वर्तमान पटना, बिहार) में स्थित था, जो मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी। पाटलिपुत्र को **अजातशत्रु** ने 490 ईसा पूर्व में स्थापित किया था और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य तथा अशोक ने इसे अपनी शासनिक एवं सांस्कृतिक केंद्र बनाया ।  

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#### **2. चीनी यात्रियों के वर्णन**  
तीन प्रमुख चीनी यात्रियों—**फाहियान, ह्वेनत्सांग, और इत्सिंग**—ने अपने यात्रा वृत्तांतों में पाटलिपुत्र का उल्लेख किया है:  
- **फाहियान (5वीं शताब्दी)**: उन्होंने पाटलिपुत्र को एक समृद्ध नगर बताया, जहाँ बौद्ध विहार और स्तूप थे।  
- **ह्वेनत्सांग (7वीं शताब्दी)**: उनके अनुसार, पाटलिपुत्र में अशोक के महल के अवशेष मौजूद थे, जो लकड़ी और पत्थर से बने थे।  
- **इत्सिंग**: उन्होंने नालंदा और पाटलिपुत्र के बीच के धार्मिक संबंधों का वर्णन किया ।  

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#### **3. पाटलिपुत्र के खंडहर: खुदाई और निष्कर्ष**  
- **खुदाई का इतिहास**:  
  - **1912-13 में** ब्रिटिश पुरातत्वविद् **डी.बी. स्पूनर** ने **कुम्हरार** (पटना) में पहली बार पाटलिपुत्र के अवशेष खोजे।  
  - **बुलंदी बाग** में 1926-27 में लकड़ी के तख्तों और मौर्यकालीन स्तंभों की खोज हुई ।  
- **प्रमुख खोजें**:  
  - **मौर्यकालीन हॉल**: 80 पत्थर के स्तंभों वाला एक विशाल सभागार।  
  - **लकड़ी की नालियाँ**: जल निकासी व्यवस्था के साक्ष्य।  
  - **महिला मूर्तियाँ एवं मोहरें** ।  
- **खुदाई बंद होने का कारण**:  
  - **जलस्तर की समस्या**: गंगा नदी के निकट होने के कारण भूमिगत जल ने अवशेषों को नुकसान पहुँचाया।  
  - **वित्तीय एवं संरक्षण चुनौतियाँ** ।  

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#### **4. अशोक के अभिलेख और उनका संरक्षण**  
- **अभिलेखों की खोज**: पाटलिपुत्र से प्राप्त अधिकांश अशोक के शिलालेख (जैसे **अशोक स्तंभ**) अब **पटना संग्रहालय** और **भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)** के संरक्षण में हैं ।  
- **प्रमुख अभिलेख**:  
  - **धम्म नीति** से संबंधित शिलालेख।  
  - **कलिंग युद्ध** के बाद के शिलालेख, जो अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रचार को दर्शाते हैं ।  

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#### **5. राष्ट्रीय स्मारक बनाने की प्रक्रिया**  
यदि पाटलिपुत्र में **अशोक का राष्ट्रीय स्मारक** बनाना है, तो निम्न कदम उठाने होंगे:  
1. **पुरातत्व विभाग से अनुमति**: ASI और बिहार सरकार की स्वीकृति आवश्यक है।  
2. **स्थल का पुनः उत्खनन**: नई तकनीक (जैसे GPR) से खुदाई कर अवशेषों को सुरक्षित करना।  
3. **संग्रहालय एवं पर्यटन केंद्र** का निर्माण।  
4. **यूनेस्को विश्व धरोहर** के लिए आवेदन ।  

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### **निष्कर्ष**  
पाटलिपुत्र का ऐतिहासिक महत्व अद्वितीय है, और अशोक के राजमहल के अवशेषों को संरक्षित कर एक **राष्ट्रीय स्मारक** बनाना भारत की सांस्कृतिक विरासत को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इसके लिए सरकार, पुरातत्वविदों और जनता का सहयोग आवश्यक है।  

**संदर्भ**: 

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