समाजशास्त्र का उद्भव और विकास उसकी विशेषताएं -प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे
समाजशास्त्र (Sociology) एक ऐसा विषय है जो मानव समाज, उसकी संरचना, विकास, संस्थाओं और सामाजिक संबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। इसका उद्भव और विकास 19वीं शताब्दी में हुआ, जब औद्योगिक क्रांति और सामाजिक परिवर्तनों ने नए सामाजिक प्रश्न खड़े किए।
### **1. समाजशास्त्र का उद्भव और विकास**
समाजशास्त्र का जन्म **19वीं शताब्दी** में यूरोप में हुआ, विशेष रूप से फ्रांस और जर्मनी में। इसके प्रमुख कारण थे:
- **औद्योगिक क्रांति** – नए आर्थिक ढाँचे और शहरीकरण ने सामाजिक संबंधों को बदल दिया।
- **फ्रांसीसी क्रांति (1789)** – समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के विचारों ने सामाजिक विचारधारा को प्रभावित किया।
- **विज्ञान का विकास** – ऑगस्ट कॉम्टे ने समाज के अध्ययन को "सामाजिक भौतिक विज्ञान" (Social Physics) और बाद में "समाजशास्त्र" (Sociology) नाम दिया।
### **2. समाजशास्त्र के प्रमुख विचारक एवं उनके सिद्धांत**
| विचारक | मुख्य योगदान |
|---------|--------------|
| **ऑगस्ट कॉम्टे (1798–1857)** | समाजशास्त्र के जनक, "पॉजिटिविज्म" (विज्ञान आधारित समाज अध्ययन) का सिद्धांत दिया। |
| **कार्ल मार्क्स (1818–1883)** | "वर्ग संघर्ष" सिद्धांत, पूँजीवाद की आलोचना, "दास कैपिटल" लिखी। |
| **एमिल दुर्खीम (1858–1917)** | "सामाजिक एकता", "आत्महत्या पर अध्ययन", "सामाजिक तथ्य" की अवधारणा दी। |
| **मैक्स वेबर (1864–1920)** | "प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म", "सामाजिक क्रिया सिद्धांत"। |
| **हर्बर्ट स्पेंसर (1820–1903)** | "सामाजिक डार्विनवाद", समाज को एक जैविक प्रणाली माना। |
### **3. समाजशास्त्र की विशेषताएँ**
- यह **वैज्ञानिक पद्धति** पर आधारित है।
- यह **सामाजिक संरचना, संस्थाओं और परिवर्तन** का अध्ययन करता है।
- यह **सामाजिक समस्याओं** (जैसे असमानता, अपराध, जाति व्यवस्था) का विश्लेषण करता है।
- यह **तुलनात्मक अध्ययन** करता है (अलग-अलग समाजों की तुलना)।
### **4. समाजशास्त्र की परंपराएँ एवं रीति-रिवाज**
- **फ्रांसीसी परंपरा** (दुर्खीम) – सामाजिक तथ्यों का वस्तुनिष्ठ अध्ययन।
- **जर्मन परंपरा** (वेबर) – सामाजिक क्रिया और व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर।
- **ब्रिटिश परंपरा** (स्पेंसर) – विकासवादी दृष्टिकोण।
### **5. समाजशास्त्र की गतिविधियाँ**
- सामाजिक शोध (सर्वेक्षण, केस स्टडी, सांख्यिकीय विश्लेषण)।
- सामाजिक नीतियों का मूल्यांकन।
- सामाजिक समस्याओं का समाधान ढूँढना।
### **6. समाज का आज से क्या लेना-देना है?**
आज समाजशास्त्र **डिजिटल समाज, जेंडर असमानता, पर्यावरणीय न्याय, वैश्वीकरण और सांस्कृतिक परिवर्तन** जैसे विषयों पर शोध करता है।
### **7. सामाजिक सिद्धांतों की स्थापना क्यों की गई?**
- समाज को समझने के लिए एक वैज्ञानिक ढाँचा देना।
- सामाजिक असमानता, शोषण और परिवर्तन की व्याख्या करना।
### **8. सामाजिक विषमता के खिलाफ समाजशास्त्रियों के विचार**
- **मार्क्स** – पूँजीवादी व्यवस्था ही असमानता की जड़ है।
- **दुर्खीम** – श्रम विभाजन से असमानता पैदा होती है।
- **वेबर** – वर्ग, स्थिति और पार्टी तीनों असमानता पैदा करते हैं।
- **आंबेडकर** – जाति व्यवस्था सबसे बड़ी सामाजिक विषमता है।
### **9. प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री**
- **डॉ. बी. आर. आंबेडकर** – जाति व्यवस्था और सामाजिक न्याय पर शोध।
- **एम. एन. श्रीनिवास** – "संस्कृतिकरण" और "सामाजिक परिवर्तन" पर कार्य।
- **आर. के. मुखर्जी** – भारतीय समाज की संरचना का अध्ययन।
### **निष्कर्ष**
समाजशास्त्र एक गतिशील विज्ञान है जो समाज की समस्याओं को समझने और उनका समाधान खोजने में मदद करता है। यह न केवल सैद्धांतिक बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
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