जनसंचार का स्वरूप स्पष्ट कीजिए
***जनसंचार का स्वरूप (Nature of Mass Communication)**
जनसंचार एक **व्यापक, तकनीकी एवं बहुआयामी प्रक्रिया** है, जिसका स्वरूप निम्नलिखित पहलुओं से स्पष्ट होता है:
### 1. **विस्तृत एवं सार्वजनिक पहुँच**
- जनसंचार का लक्ष्य **बड़े और विविध दर्शक समूह** तक पहुँचना होता है।
- यह सामूहिक रूप से समाज के सभी वर्गों (शहरी, ग्रामीण, शिक्षित-अशिक्षित) को प्रभावित करता है।
### 2. **माध्यम-केंद्रित प्रक्रिया**
- जनसंचार **विभिन्न तकनीकी माध्यमों** के ज़रिए काम करता है, जैसे:
- **प्रिंट मीडिया** (अखबार, पत्रिकाएँ)
- **इलेक्ट्रॉनिक मीडिया** (टीवी, रेडियो)
- **डिजिटल मीडिया** (सोशल मीडिया, ऑनलाइन न्यूज़)
- **आउटडोर मीडिया** (होर्डिंग्स, पोस्टर)
### 3. **एकतरफ़ा या द्विमार्गी संचार**
- **पारंपरिक मीडिया** (टीवी, रेडियो, अखबार) में संचार **एकतरफ़ा** (One-way) होता है, यानी संदेश प्रसारित किया जाता है, लेकिन तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिलती।
- **नवीन मीडिया** (सोशल मीडिया, यूट्यूब) में **द्विमार्गी** (Two-way) संचार होता है, जहाँ श्रोता/दर्शक तुरंत प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
### 4. **संस्थागत एवं व्यावसायिक स्वरूप**
- जनसंचार **संगठित संस्थाओं** (मीडिया हाउस, न्यूज़ चैनल्स, प्रकाशन समूह) द्वारा संचालित होता है।
- अधिकांश मीडिया संचालन **व्यावसायिक हितों** से जुड़ा होता है (जैसे विज्ञापन, सब्सक्रिप्शन)।
### 5. **प्रभावशाली एवं सामाजिक दायित्व**
- जनसंचार **जनमत निर्माण, सामाजिक बदलाव और राजनीतिक प्रभाव** डालने में सक्षम है।
- इसकी **जवाबदेही** भी होती है, क्योंकि यह नैतिकता, सत्यता और निष्पक्षता पर आधारित होना चाहिए।
### 6. **गतिशील एवं बदलता स्वरूप**
- पहले जनसंचार सीमित माध्यमों (जैसे रेडियो, अखबार) तक ही सीमित था, लेकिन आज **डिजिटल युग** में इसका स्वरूप तेज़ी से बदल रहा है।
- **सोशल मीडिया, वायरल कंटेंट, AI और वर्चुअल रियलिटी** जैसे नए तरीके इसमें शामिल हो रहे हैं।
### **निष्कर्ष:**
जनसंचार का स्वरूप **गतिशील, प्रौद्योगिकी-आधारित, सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव वाला और व्यावसायिक** है। यह समाज के विकास, शिक्षा, मनोरंजन और राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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