सम्राट अशोक सन्नती अभिलेख

सम्राट अशोक और कर्नाटक के सन्नती स्थल का संबंध उनके शिलालेखों और बौद्ध स्मारकों के माध्यम से स्थापित होता है। यहाँ विस्तृत जानकारी दी गई है:


### 1. **सम्राट अशोक और सन्नती का संबंध**

   - सन्नती (कर्नाटक) में खोजे गए अशोक के शिलालेखों से पता चलता है कि यह क्षेत्र मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत था। अशोक ने यहाँ धम्म (बौद्ध नीति) का प्रचार किया था, लेकिन ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह नहीं मिलता कि वे स्वयं सन्नती में रहते थे ।

   - सन्नती का **कनगनहल्ली बौद्ध चैत्यालय** देश का एकमात्र स्थान है जहाँ अशोक के परिवार (उनकी पत्नी और बच्चों) के साथ उत्कीर्ण छवि वाला शिलालेख मिला है। इस शिलालेख में अशोक को "रान्यो अशोक" (राजा अशोक) कहा गया है ।


### 2. **शिलालेख में क्या लिखा है?**

   - सन्नती के शिलालेख में अशोक की धम्म नीति और बौद्ध शिक्षाओं का उल्लेख है। यह शिलालेख ब्राह्मी लिपि में है और इसमें अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन मिलता है ।

   - अन्य अभिलेखों की तरह, इसमें भी अहिंसा, धार्मिक सहिष्णुता, और प्रजा के कल्याण के सिद्धांतों पर जोर दिया गया है ।


### 3. **सन्नती में स्तूप और उसकी खोज**

   - सन्नती में **सांची जैसा स्तूप** मिला है, जिसका निर्माण अशोक के शासनकाल (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) में हुआ था। यह स्तूप बौद्ध धर्म के प्रचार का एक प्रमुख केंद्र था ।

   - खुदाई में **धातु अवशेष, अस्थि कलश, और बौद्ध अवशेष** मिले हैं, जो इस स्थान के धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं। हालाँकि, विस्तृत विवरण (जैसे कलश में क्या था) अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है ।

   - इस स्तूप की खुदाई 1980 के दशक में शुरू हुई और 2000 के बाद से इसे व्यवस्थित रूप से संरक्षित किया जा रहा है .


### 4. **स्तूप निर्माण का उद्देश्य**

   - अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया और पूरे भारत में स्तूपों का निर्माण करवाया। सन्नती का स्तूप भी इसी श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रशासनिक नियंत्रण को मजबूत करना था ।

   - यह स्तूप व्यापार मार्गों (विदिशा और दक्षिण भारत के बीच) पर स्थित था, जिससे यह आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था .


### 5. **पुरातत्व विभाग की भूमिका और भविष्य की योजनाएँ**

   - **भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)** ने सन्नती को संरक्षित स्मारक घोषित किया है। हालाँकि, संसाधनों की कमी के कारण यहाँ की खुदाई और संरक्षण कार्य धीमी गति से चल रहा है ।

   - ASI की योजना इस स्थल को **पर्यटन स्थल** के रूप में विकसित करने की है, जिसमें संग्रहालय, आगंतुक केंद्र, और बेहतर बुनियादी सुविधाएँ (जैसे शौचालय, पेयजल) शामिल हैं। अभी यह योजना प्रारंभिक चरण में है ।

   - स्थानीय शोधकर्ताओं ने ASI से अनुरोध किया है कि सन्नती के शिलालेखों और स्तूप को **यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल** के रूप में नामित किया जाए, लेकिन अभी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है .


### 6. **सम्राट अशोक का प्रशासनिक संबंध**

   - अशोक ने सन्नती जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में **राजकीय अधिकारियों (धम्म महामात्र)** को नियुक्त किया था, जो धम्म नीति का प्रचार करते थे और स्थानीय प्रशासन में सहायता करते थे ।

   - शिलालेखों के माध्यम से अशोक ने यहाँ के निवासियों को नैतिक आचरण और सामाजिक एकता का संदेश दिया था .


### निष्कर्ष

सन्नती अशोक के बौद्ध धर्म प्रचार और मौर्य साम्राज्य के दक्षिणी विस्तार का महत्वपूर्ण केंद्र था। यहाँ मिले शिलालेख और स्तूप इसके ऐतिहासिक महत्व को उजागर करते हैं। हालाँकि, संरक्षण और विकास योजनाओं की कमी के कारण यह स्थल अभी भी उपेक्षित है। ASI और स्थानीय प्रशासन को इसकी देखभाल के लिए और प्रयास करने की आवश्यकता है .  


अधिक जानकारी के लिए आप [विजन आईएएस के लेख](https://visionias.in/current-affairs/hi/monthly-magazine/2025-05-02/art-and-culture/ashaka-ka-abhalkha-sathal-ashokan-edict-sites) या [पत्रिका की रिपोर्ट](https://www.patrika.com/hubli-channel2/buddhist-temple-of-sannati-the-only-place-with-the-inscription-of-emp-8509882) देख सकते हैं।


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