मानव शास्त्र का उद्भव विकास विशेषताएं

### **मानवशास्त्र (Anthropology) का उद्भव, विकास, विशेषताएँ एवं संकल्पना**  

#### **1. मानवशास्त्र की परिभाषा एवं संकल्पना**  
मानवशास्त्र (Anthropology) शब्द ग्रीक भाषा के **"Anthropos" (मनुष्य) + "Logos" (अध्ययन)** से बना है, जिसका अर्थ है—**"मनुष्य का विज्ञानसम्मत अध्ययन"**। यह एक **बहुआयामी विषय** है जो मानव समाज, संस्कृति, जैविक विकास, भाषा और पुरातात्विक इतिहास का व्यवस्थित अध्ययन करता है।  

#### **2. मानवशास्त्र का उद्भव एवं विकास**  
- **प्रारंभिक चरण (19वीं शताब्दी):**  
  - यूरोपीय औपनिवेशिक काल में विभिन्न संस्कृतियों के अध्ययन की आवश्यकता से इसका जन्म हुआ।  
  - **चार्ल्स डार्विन** के **"विकासवाद के सिद्धांत"** (1859) ने मानवशास्त्र को वैज्ञानिक आधार दिया।  
  - **एडवर्ड टायलर** (सांस्कृतिक मानवशास्त्र) और **लुईस हेनरी मॉर्गन** (सामाजिक संरचना) जैसे विद्वानों ने इसे एक अकादमिक विषय के रूप में स्थापित किया।  

- **20वीं शताब्दी में विकास:**  
  - **फ्रांज बोअस** (जनक of आधुनिक मानवशास्त्र) ने **"सांस्कृतिक सापेक्षवाद"** की अवधारणा दी।  
  - **ब्रॉनिस्लाव मालिनोव्स्की** ने **"कार्यात्मकवाद"** (Functionalism) का सिद्धांत प्रस्तुत किया।  
  - **क्लॉड लेवी-स्ट्रॉस** ने **"संरचनावाद"** (Structuralism) के माध्यम से मानवीय विचारों के मूल पैटर्न का अध्ययन किया।  

#### **3. मानवशास्त्र की प्रमुख शाखाएँ एवं विशेषताएँ**  
1. **सामाजिक-सांस्कृतिक मानवशास्त्र:**  
   - मानव समाज के रीति-रिवाज, धर्म, राजनीति और परिवारिक संरचनाओं का अध्ययन।  
   - **विशेषता:** तुलनात्मक दृष्टिकोण (जैसे—ग्रामीण vs शहरी संस्कृति)।  

2. **जैविक/शारीरिक मानवशास्त्र:**  
   - मानव के जैविक विकास, आनुवंशिकी और प्राइमेट (वानर) से संबंध का अध्ययन।  
   - **विशेषता:** **होमो सेपियन्स** के उद्भव और विकास पर शोध।  

3. **पुरातात्विक मानवशास्त्र:**  
   - प्रागैतिहासिक काल के अवशेषों (जैसे—हड़प्पा सभ्यता) के माध्यम से मानव इतिहास की खोज।  

4. **भाषाई मानवशास्त्र:**  
   - भाषाओं के विकास, समाज पर उनके प्रभाव और संचार के तरीकों का अध्ययन।  

#### **4. मानवशास्त्र के प्रमुख आचार्य एवं उनके सिद्धांत**  
| विचारक | योगदान |  
|---------|---------|  
| **फ्रांज बोअस** | सांस्कृतिक सापेक्षवाद ("प्रत्येक संस्कृति अपने आप में अनूठी है") |  
| **ब्रॉनिस्लाव मालिनोव्स्की** | कार्यात्मकवाद ("संस्कृति मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करती है") |  
| **क्लॉड लेवी-स्ट्रॉस** | संरचनावाद ("मानवीय विचारों में सार्वभौमिक पैटर्न") |  
| **मार्गरेट मीड** | लिंग और संस्कृति पर शोध ("सेक्स एंड टेम्परामेंट इन थ्री प्रिमिटिव सोसाइटीज") |  
| **एमाइल दुर्खीम** | सामाजिक तथ्यों का अध्ययन ("सुसाइड" पर शोध) |  

#### **5. मानवशास्त्र और मनुष्य का संबंध**  
- **समग्र दृष्टिकोण:** मानवशास्त्र मनुष्य को **जैविक, सामाजिक और सांस्कृतिक** सभी पहलुओं से समझता है।  
- **अनुकूलन:** मानव ने पर्यावरण के साथ अनुकूलन करके ही सभ्यता विकसित की (जैसे—कृषि का उद्भव)।  
- **सांस्कृतिक विविधता:** यह विभिन्न समुदायों के रीति-रिवाजों को **निर्णयात्मक दृष्टि से न देखकर** वैज्ञानिक ढंग से समझता है।  

#### **6. महत्वपूर्ण सिद्धांत**  
- **सांस्कृतिक विकासवाद (टायलर):** संस्कृति एक रेखीय ढंग से विकसित होती है।  
- **ऐतिहासिक विशेषवाद (बोअस):** प्रत्येक संस्कृति का अपना अलग इतिहास होता है।  
- **नव-विकासवाद (जूलियन स्टीवर्ड):** पर्यावरण के अनुसार संस्कृति का विकास होता है।  

### **निष्कर्ष:**  
मानवशास्त्र **मनुष्य की उत्पत्ति, विकास और विविधताओं** का एक व्यापक अध्ययन है। यह न केवल अतीत को समझने में सहायक है, बल्कि **वैश्विक सामाजिक समस्याओं** (जैसे—जलवायु परिवर्तन, सांस्कृतिक संघर्ष) के समाधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  


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