मानसशास्त्र का उद्भव विकास एवं संकल्पना -प्रा डॉ। संघप्रकाश दुड्डे

### **मानसशास्त्र (मनोविज्ञान) का उद्भव, विकास एवं संकल्पना**  

#### **1. परिभाषा एवं संकल्पना**  
मानसशास्त्र (Psychology) ग्रीक शब्द **"Psyche" (आत्मा/मन) + "Logos" (अध्ययन)** से बना है, जिसका अर्थ है **"मन या व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन"**। यह मनुष्य और जानवरों की **मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों, भावनाओं और व्यवहार** का विश्लेषण करता है।  

- **मुख्य ध्येय:** चेतना, सीखने, स्मृति, संवेग और सामाजिक संबंधों को समझना।  
- **विशेषता:** यह **विज्ञान और दर्शन** दोनों से प्रभावित है।  

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### **2. उद्भव एवं विकास**  
#### **पाश्चात्य मानसशास्त्र का इतिहास**  
1. **प्रारंभिक चरण (दार्शनिक आधार):**  
   - **डेकार्ट (1596–1650):** "मन-शरीर द्वैतवाद" का सिद्धांत दिया। मनुष्य में आत्मा और इच्छाशक्ति को महत्व दिया।  
   - **जॉन लॉक (1632–1704):** "टैबुला रासा" (खाली स्लेट) सिद्धांत—मनुष्य का मन अनुभव से भरता है।  

2. **वैज्ञानिक क्रांति (19वीं शताब्दी):**  
   - **विल्हेम वुण्ट (1832–1920):** 1879 में जर्मनी में पहली **मनोविज्ञान प्रयोगशाला** स्थापित की। इन्हें **"आधुनिक मनोविज्ञान का जनक"** कहा जाता है।  
   - **विलियम जेम्स:** "प्रैग्मेटिज्म" और "आत्म-संप्रत्यय" की अवधारणा दी।  

3. **20वीं शताब्दी के प्रमुख सिद्धांत:**  
   - **व्यवहारवाद (वाटसन, स्किनर):** केवल **प्रेक्षणीय व्यवहार** का अध्ययन।  
   - **मनोविश्लेषण (फ्रायड):** अचेतन मन और कामेच्छा पर जोर।  
   - **संज्ञानात्मक क्रांति (पियाजे):** सीखने और सोचने की प्रक्रियाओं का अध्ययन।  

#### **भारतीय मानसशास्त्र का विकास**  
- **प्राचीन स्रोत:** वेद, उपनिषद, योगसूत्र और बौद्ध दर्शन में **मन, चेतना और आत्मा** का विस्तृत विवरण।  
  - **मंडूक्य उपनिषद:** चेतना की 4 अवस्थाएँ—जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति, तुरीय।  
  - **पतंजलि का योगदर्शन:** "चित्तवृत्ति निरोध" (मन की गतिविधियों का नियंत्रण)।  
- **आधुनिक काल:** 1915 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में पहली **मनोविज्ञान प्रयोगशाला** स्थापित हुई।  

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### **3. प्रमुख सिद्धांत एवं विचारक**  
| **सिद्धांत**         | **विचारक**               | **योगदान**                                                                 |  
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| **संरचनावाद**       | वुण्ट, टिचनर           | मन के तत्वों (संवेदना, भावना) का विश्लेषण।         |  
| **व्यवहारवाद**      | वाटसन, स्किनर          | "S-R सिद्धांत" (उद्दीपन-अनुक्रिया)।                           |  
| **मनोविश्लेषण**     | फ्रायड                  | अचेतन मन, इड-ईगो-सुपरइगो।                                    |  
| **मानवतावाद**       | मास्लो, रोजर्स         | "आत्म-साक्षात्कार" और "श्रेणीकृत आवश्यकताएँ"।                |  
| **भारतीय दृष्टि**   | पतंजलि, बुद्ध          | "अष्टांग योग" और "मध्यम मार्ग"।                              |  

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### **4. मनुष्य का स्वभाव और माँ का संबंध**  
- **फ्रायड का दृष्टिकोण:** माँ-बच्चे का संबंध **"ओडिपस कॉम्प्लेक्स"** और **सुरक्षा की भावना** से जुड़ा है।  
- **भारतीय संदर्भ:** माँ को **प्रथम गुरु** माना गया है। उपनिषदों में **मातृ-स्नेह** को आध्यात्मिक विकास का आधार बताया गया है।  

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### **5. भारतीय दार्शनिक परंपरा और विचारक**  
1. **वैदिक काल (1500–600 ई.पू.):**  
   - **ऋग्वेद:** मन को "मानस" कहा गया, जो विचार, भावना और कर्म से जुड़ा है।  
   - **यजुर्वेद:** "शिव संकल्प मंत्र" में मन की शुद्धि पर जोर।  

2. **उपनिषद् काल (800–200 ई.पू.):**  
   - **तैत्तिरीय उपनिषद:** "पंचकोश" (शरीर से आनंदमय कोश तक की यात्रा)।  

3. **मध्यकालीन योग दर्शन:**  
   - **पतंजलि:** "योगसूत्र" में मन के नियंत्रण के लिए **ध्यान और प्राणायाम** बताए।  

4. **आधुनिक योगदान:**  
   - **गिरीन्द्रशेखर बोस:** भारत में **मनोविश्लेषण** के जनक।  

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### **6. विशेषताएँ**  
1. **भारतीय मनोविज्ञान:**  
   - आत्मा, मोक्ष और नैतिकता पर केंद्रित।  
   - **चेतना के स्तर:** जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति, तुरीय।  

2. **पाश्चात्य मनोविज्ञान:**  
   - वैज्ञानिक पद्धति और प्रयोगों पर आधारित।  

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### **निष्कर्ष**  
मानसशास्त्र का विकास **दर्शन, विज्ञान और संस्कृति** के समन्वय से हुआ है। भारतीय परंपरा में **आत्मज्ञान** और पश्चिम में **व्यवहारिक अनुसंधान** को प्राथमिकता दी गई। मनुष्य के स्वभाव और माँ के संबंध को दोनों परंपराओं में गहराई से समझा गया है।  

**स्रोत:** विकिपीडिया, धर्मविकी, एवं विभिन्न पुस्तकों के उद्धरण।  


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