जहां लक्ष्मी कैद है राजेंद्र यादव की कहानी की समीक्षा तथा विशेषता

# समीक्षा एवं विशेषताएँ: राजेंद्र यादव की कहानी "जहाँ लक्ष्मी कैद है"

## कहानी का सारांश
"जहाँ लक्ष्मी कैद है" राजेंद्र यादव की एक मार्मिक सामाजिक कहानी है जो अंधविश्वास, पितृसत्ता और सामाजिक रूढ़ियों के कारण एक युवती की मानसिक यातना को उजागर करती है। कहानी में लाला रूपाराम अपनी बेटी लक्ष्मी को "घर की लक्ष्मी" मानकर उसकी शादी नहीं करते, क्योंकि उन्हें डर है कि शादी के बाद उनका धन-संपत्ति चला जाएगा । इस कारण लक्ष्मी मानसिक रूप से बीमार हो जाती है और उसके मिरगी के दौरे पड़ने लगते हैं । दूसरी ओर, गोविंद नामक युवक जो लाला के यहाँ काम करता है, वह लक्ष्मी द्वारा एक पत्रिका में लिखी गई मदद की गुहार ("मुझे बचा लो, मुझे भगा ले चलो") से प्रभावित होकर उसे बचाने के बारे में सोचता है ।

## कहानी की समीक्षा

### 1. विषयवस्तु और सामाजिक संदर्भ
- **अंधविश्वास और पितृसत्ता का क्रूर चित्रण**: कहानी भारतीय समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और पितृसत्तात्मक मानसिकता की पड़ताल करती है जहाँ एक पिता अपनी बेटी को केवल "घर की लक्ष्मी" (धन-संपत्ति का प्रतीक) समझकर उसके मानवीय अधिकारों को नकार देता है ।
- **नारीवादी विमर्श**: लक्ष्मी का चरित्र उन सभी स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें पुरुषसत्तात्मक समाज में संपत्ति या सौभाग्य के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, न कि एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में ।
- **आर्थिक लालच बनाम मानवीय संबंध**: लाला रूपाराम का चरित्र उस मानसिकता को दर्शाता है जो धन संचय के लिए मानवीय रिश्तों तक को बलि चढ़ा देती है ।

### 2. पात्र और चरित्र-चित्रण
- **लक्ष्मी**: कहानी की नायिका जो शुरू में विद्रोही स्वभाव की है लेकिन धीरे-धीरे मानसिक रूप से टूट जाती है। उसका चरित्र सामाजिक दबावों में कुचले जाने वाले व्यक्तित्व का प्रतीक है ।
- **लाला रूपाराम**: एक कंजूस, अंधविश्वासी और स्वार्थी पिता का चरित्र जो धन के लोभ में अपनी बेटी का जीवन बर्बाद कर देता है। उसकी मानसिकता पर कहानीकार ने तीखा व्यंग्य किया है ।
- **गोविंद**: एक संवेदनशील युवक जो लक्ष्मी की पीड़ा को समझता है लेकिन सामाजिक ढाँचे के आगे असहाय महसूस करता है। उसका चरित्र युवा पीढ़ी की संवेदनशीलता और विवशता को दर्शाता है ।

### 3. भाषा शैली और शिल्प
- **यथार्थवादी भाषा**: राजेंद्र यादव ने सरल परंतु प्रभावी भाषा का प्रयोग किया है जो पाठक के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है ।
- **प्रतीकात्मकता**: "लक्ष्मी" नाम स्वयं एक प्रतीक है जो धन और स्त्री के परस्पर संबंधों को उजागर करता है ।
- **मनोवैज्ञानिक विवरण**: लक्ष्मी के मानसिक असंतुलन और गोविंद के आंतरिक संघर्षों का सूक्ष्म चित्रण कहानी को मनोवैज्ञानिक गहराई प्रदान करता है ।

## कहानी की प्रमुख विशेषताएँ

1. **सामाजिक यथार्थ का निर्मम चित्रण**: राजेंद्र यादव ने बिना किसी लाग-लपेट के समाज की कुरीतियों और विसंगतियों को उजागर किया है ।

2. **नई कहानी आंदोलन का प्रतिनिधि कार्य**: यह कहानी नई कहानी आंदोलन की मुख्य धारा का हिस्सा है जो मनोवैज्ञानिक और सामाजिक यथार्थ को नए ढंग से प्रस्तुत करती है ।

3. **व्यंग्य और आलोचनात्मक दृष्टि**: लेखक ने सामाजिक रूढ़ियों और अंधविश्वासों पर तीखा व्यंग्य किया है ।

4. **चरित्रों की मनोवैज्ञानिक गहराई**: कहानी के सभी प्रमुख पात्रों के आंतरिक संघर्षों और विरोधाभासों को गहनता से उकेरा गया है ।

5. **प्रासंगिकता**: आज भी यह कहानी स्त्री-अधिकारों, अंधविश्वासों और पितृसत्ता पर प्रश्न उठाती हुई प्रासंगिक बनी हुई है ।

## निष्कर्ष
"जहाँ लक्ष्मी कैद है" राजेंद्र यादव की एक कालजयी कहानी है जो अपनी यथार्थपरक दृष्टि, मार्मिक अभिव्यक्ति और सामाजिक सरोकारों के कारण हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान रखती है। यह कहानी न केवल एक युवती की त्रासदी है बल्कि उस सामाजिक व्यवस्था का दस्तावेज है जो स्त्रियों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करती है। राजेंद्र यादव की यह रचना अपनी शिल्पगत विशेषताओं और गहन मानवीय संवेदना के कारण पाठकों के मन पर अमिट छाप छोड़ती है ।

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