ब्राह्मी लिपि उद्भव और विकास
ब्राह्मी लिपि भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्राचीन लिपियों में से एक है, जिससे आधुनिक भारतीय लिपियों (देवनागरी, बंगाली, तमिल आदि) का विकास हुआ। इसका उद्गम, विकास और अशोक के योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
*1. ब्राह्मी लिपि का उद्गम और विकास**
- **उद्गम**: ब्राह्मी लिपि का जन्म **लगभग 6वीं-5वीं शताब्दी ईसा पूर्व** में हुआ माना जाता है। कुछ विद्वान इसे **मौर्यकाल (322–185 ईसा पूर्व)** से जोड़ते हैं, जबकि अन्य इसे और पुराना मानते हैं।
- **स्रोत**: इसका सबसे पुराना प्रमाण **सम्राट अशोक के शिलालेख** (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) में मिलता है। **मूल**: इसके उद्गम के बारे में दो मत हैं:
1. **भारतीय मूल**: कुछ विद्वानों का मानना है कि यह सिंधु घाटी की लिपि से प्रभावित हो सकती है।
2. **विदेशी मूल**: कुछ का कहना है कि यह **आरमाईक** या **फोनीशियन** लिपि से विकसित हुई।**विकास**: ब्राह्मी से ही **गुप्त लिपि (4वीं-6वीं शताब्दी ईस्वी)**, फिर **शारदा (कश्मीर)**, **नागरी (उत्तर भारत)**, और **द्रविड़ लिपियाँ (तमिल, तेलुगु आदि)** विकसित हुईं।2. ब्राह्मी लिपि की विशेषताएँ**
1. **बाएँ से दाएँ**: यह बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी।
2. **ध्वन्यात्मक**: इसमें स्वर और व्यंजनों के लिए अलग-अलग चिह्न थे।3. **वर्णमाला**: इसमें **स्वर (अ, आ, इ, ई)** और **व्यंजन (क, ख, ग आदि)** का सुव्यवस्थित क्रम था।4. **अक्षरों का आकार**: अक्षर ज्यामितीय और सरल रेखाओं से बने होते थे, जैसे **अ (𐨀), क (𐨐)**।*3. ब्राह्मी लिपि की खोज और अभिलेख** **खोज**: ब्राह्मी को सबसे पहले **1837 में जेम्स प्रिंसेप** ने अशोक के शिलालेखों को पढ़कर डिकोड किया। उन्होंने इसे **अशोकन"ब्राह्मी"** नाम दिया, क्योंकि यह अशोक द्वारा प्रचारित प्रयुक्त होती थी।*प्रमुख अभिलेख**:
- **अशोक के शिलालेख** (ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी): सारनाथ, गिरनार, दौली आदि स्थानों पर मिले।हाथीगुम्फा शिलालेख** (खारवेल, ओडिशा)।
- **नानघाट शिलालेख** (सातवाहन काल)।
*4. सम्राट अशोक का योगदान**
- अशोक ने **ब्राह्मी लिपि को राष्ट्रीय लिपि के रूप में प्रचारित किया**। उसके **धर्मलिपियों** (धम्म के संदेश) इसी लिपि में उत्कीर्ण हैं।
- उसके शिलालेखों से पता चलता है कि ब्राह्मी उस समय की **प्रशासनिक और धार्मिक लिपि** थी।
- अशोक के **सारनाथ स्तंभलेख** में ब्राह्मी के साथ-साथ **खरोष्ठी लिपि** (दाएँ से बाएँ) का भी प्रयोग हुआ, जो इसके व्यापक प्रचार को दर्शाता है।
**5. भ्रम और निष्कर्ष****भ्रम**: कुछ लोग ब्राह्मी को **संस्कृत से जोड़ते हैं**, लेकिन यह मूल रूप से **प्राकृत और पालि** भाषाओं में प्रयुक्त हुई।
- **महत्व**: ब्राह्मी ने भारतीय लेखन परंपरा की नींव रखी और आधुनिक लिपियों का आधार बनी।
इस प्रकार, ब्राह्मी लिपि भारतीय सभ्यता की **सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत** का प्रतीक है, जिसमें अशोक का योगदान अमूल्य है।
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