विपश्यना ध्यान और श्री सत्यनारायण गोयन्का जी का योगदान

# विपश्यना ध्यान और श्री सत्यनारायण गोयन्का जी का योगदान

## 🌟 श्री सत्यनारायण गोयन्का जी और विपश्यना आंदोलन

श्री सत्यनारायण गोयन्का (1924-2013) विपश्यना ध्यान के प्रख्यात गुरु थे जिन्होंने इस प्राचीन तकनीक को आधुनिक विश्व में पुनर्जीवित किया। भारतीय मूल के होते हुए भी उनका जन्म और पालन-पोषण म्यांमार (तत्कालीन बर्मा) में हुआ था। वहाँ उन्हें अपने गुरु सयाजी उ बा खिन से विपश्यना सीखने का सौभाग्य मिला ।

14 वर्षों तक गुरु के सानिध्य में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, गोयन्का जी ने 1969 में भारत आकर विपश्यना सिखाना शुरू किया। उनके प्रयासों से यह विधि न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में फैल गई। उन्हें 2012 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था ।

## 🕉️ विपश्यना का अर्थ और विधि

विपश्यना (Vipassana) का शाब्दिक अर्थ है "विशेष रूप से देखना" या "चीजों को जैसी हैं वैसी देखना"। यह भगवान बुद्ध द्वारा पुनः खोजी गई एक प्राचीन ध्यान तकनीक है जो लगभग 2500 वर्ष पुरानी है ।

### विपश्यना की तीन मुख्य अवस्थाएँ:

1. **शील (नैतिक अनुशासन)**: पाँच नैतिक नियमों का पालन - हिंसा न करना, चोरी न करना, झूठ न बोलना, कामुक दुराचार से बचना और नशीले पदार्थों से दूर रहना ।

2. **समाधि (एकाग्रता)**: श्वास पर ध्यान केंद्रित करके मन को स्थिर करना (आनापान साधना) ।

3. **प्रज्ञा (अंतर्दृष्टि)**: शरीर की संवेदनाओं का निरीक्षण करना और उनके प्रति समभाव रखना ।

## 🌍 भारत में प्रमुख विपश्यना केंद्र

श्री गोयन्का जी द्वारा स्थापित धम्मगिरि संस्थान के तहत भारत में कई विपश्यना केंद्र संचालित हैं:

1. **धम्म गिरि, इगतपुरी (महाराष्ट्र)**: विश्व के सबसे बड़े विपश्यना केंद्रों में से एक, जिसे "धम्म की पहाड़ी" कहा जाता है। 1976 में स्थापित, यहाँ 400 से अधिक ध्यान कोशिकाएँ हैं ।

2. **धम्म पट्टाना, मुंबई**: "धम्म का बंदरगाह" के नाम से प्रसिद्ध, यह ग्लोबल पैगोडा कॉम्प्लेक्स का हिस्सा है और विशेष रूप से व्यावसायिक अधिकारियों के लिए पाठ्यक्रम आयोजित करता है ।

3. **धम्म बोधि, बोधगया (बिहार)**: 18 एकड़ में फैला यह केंद्र "धम्म की जागृति" के रूप में जाना जाता है ।

4. **धम्म गंगा, दिल्ली**: उत्तर भारत का प्रमुख केंद्र ।

5. **धम्म पुण्य, पुणे**: पश्चिम भारत में लोकप्रिय ।

6. **धम्म शिवा, बेंगलुरु**: दक्षिण भारत का प्रमुख केंद्र ।

वर्तमान में पूरे विश्व में 234 स्थायी और 136 अस्थायी विपश्यना केंद्र हैं ।

## ✨ विपश्यना के लाभ और जीवन पर प्रभाव

विपश्यना के नियमित अभ्यास से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

1. **मानसिक शांति और स्पष्टता**: तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है ।

2. **आत्मशुद्धि**: नकारात्मक भावनाओं (क्रोध, भय, ईर्ष्या) से मुक्ति मिलती है ।

3. **शारीरिक स्वास्थ्य**: उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी समस्याओं में सुधार ।

4. **सामाजिक संबंध**: धैर्य, सहानुभूति और करुणा का विकास होता है ।

5. **आत्मज्ञान**: जीवन की वास्तविकता को समझने की क्षमता विकसित होती है ।

## ☮️ बुद्ध का संदेश और विश्व शांति

श्री गोयन्का जी ने 29 अगस्त 2000 को संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दि विश्व शांति सम्मेलन में भाषण देते हुए कहा:

"विश्व में शांति तब तक स्थापित नहीं हो सकती जबतक व्यक्तियों के मन में क्रोध एवं घृणा है। मैत्री एवं करुणा भरे हृदय से ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है" ।

उनका मानना था कि सभी धर्मों के मूल में मन की शुद्धता है, और हमें सांप्रदायिक कर्मकांडों को छोड़कर इस मूल सार पर ध्यान देना चाहिए ।

## 📅 विपश्यना पाठ्यक्रम की संरचना

10 दिवसीय आवासीय विपश्यना पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:

- सुबह 4:30 से रात 9:00 बजे तक कठोर अनुशासन
- नोबल साइलेंस (मौन) का पालन
- सादा शाकाहारी भोजन (शाम 5 बजे के बाद कोई भोजन नहीं)
- दिन में 10-12 घंटे ध्यान साधना
- कोई बाहरी संचार (मोबाइल, इंटरनेट आदि) की अनुमति नहीं 

पाठ्यक्रम पूरी तरह निःशुल्क है और पूर्व छात्रों के दान से संचालित होता है ।

## 🌱 निष्कर्ष

विपश्यना केवल एक ध्यान तकनीक नहीं बल्कि जीवन जीने की कला है। श्री गोयन्का जी ने इस प्राचीन विधि को आधुनिक युग में पुनर्जीवित करके मानवता को एक अमूल्य उपहार दिया है। विपश्यना का अभ्यास करके व्यक्ति न केवल स्वयं के लिए बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए शांति और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

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