डॉ भरत पिक एम सतपाल महाथेरो एक विद्वान बौद्ध दार्शनिक का जीवन वृतांत-प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे

प्रो. डॉ. भिक्खु एम. सत्यपाल महथेरो: एक विद्वान्, शिक्षक एवं बौद्ध दार्शनिक का जीवन-कृतित्व -प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे संगमेश्वर कॉलेज सोलापूर 9766997174smdudde@gmail. com

*प्रस्तावना**  
भारतीय बौद्ध विद्वानों की परंपरा में प्रो. डॉ. भिक्खु एम. सत्यपाल महथेरो का नाम एक प्रकाशस्तंभ के समान है। उनका जीवन बौद्ध दर्शन, पाली साहित्य, शिक्षा और समाज कल्याण के प्रति समर्पित रहा है। उनकी विद्वता, लेखन क्षमता और धम्म प्रचार की अद्वितीय शैली ने उन्हें एक प्रमुख बौद्ध विचारक के रूप में स्थापित किया है।  
जीवन परिचय**  
**जन्म एवं प्रारंभिक जीवन**  
डॉ. सत्यपाल महथेरो का जन्म **1 मार्च 1994** को **उमरखेड तालुका, यवतमाल जिला, महाराष्ट्र** में हुआ। उनके बचपन से ही धार्मिक एवं शैक्षणिक वातावरण ने उन्हें आध्यात्मिक जिज्ञासा की ओर प्रेरित किया।  *शिक्षा**  
उन्होंने **एम.ए.** तथा **पीएच.डी.** की उपाधि प्राप्त की और **1969 में NET (UGC)** उत्तीर्ण किया। उनकी शोध-दक्षता ने उन्हें बौद्ध दर्शन एवं पाली भाषा के क्षेत्र में विशेषज्ञ बनाया।  
**दीक्षा एवं आध्यात्मिक यात्रा**  
- **1 जनवरी 1979** को उन्होंने **भदंत खमधमो भदंत धम्मसवजी महथेरो** के समक्ष दीक्षा ग्रहण की।  
- **7 जुलाई 1969** को **पुज्य भदंत सदानंद महाशापिर** के मार्गदर्शन में उन्होंने उपसंपदा (उच्चतर भिक्खु दीक्षा) प्राप्त की।  
*शैक्षणिक एवं प्रशासनिक योगदान**  
- **पूर्व विभागाध्यक्ष, पाली एवं प्रज्ञा विभाग**, मिलिंद आर्ट कॉलेज, नागसेनवन, औरंगाबाद।  
- **संस्थापक एवं उपाध्यक्ष**, भारतीय बौद्ध विद्वान शैक्षणिक संस्थान, यवतमाल।  
- **सदस्य**, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर शोध संस्थान (पाली एवं बौद्ध अध्ययन), धम्मचक्र, अजंता गुफाएँ।  
- **सहयोगी**, जाटवन बौद्ध प्रशिक्षण केंद्र, हिंगोली।  
- **संपादक**, *बुद्ध संदेश* पत्रिका, नांदेड़।  
*साहित्यिक कृतित्व**  
डॉ. सत्यपाल महथेरो एक प्रखर लेखक एवं शोधकर्ता रहे हैं। उनकी प्रकाशित कृतियाँ निम्नलिखित हैं:  
 **महत्वपूर्ण ग्रंथ**  
1. **महापरिनिब्बान सुत्त** – बुद्ध के अंतिम उपदेशों का गहन विश्लेषण।  
2. **श्रमण विनय** – बौद्ध भिक्षु संघ के नियमों का अध्ययन।  
3. **धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त** – बुद्ध के प्रथम उपदेश की व्याख्या।  
4. **त्रिपिटक की दृष्टि, रूपक एवं सादृश्यता** – त्रिपिटक साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन।  
5. **पाली भाषा का महत्व** – भाषाई एवं सांस्कृतिक अध्ययन।  
*प्रकाशित पुस्तकें (त्रिरत्न प्रकाशन द्वारा)**  
- **बौद्ध संस्कार** – भदंत धम्मसवजी महथेरो (द्वितीय संस्करण)।  
- **धम्मपद** – भदंत खमधमो महथेरो (द्वितीय संस्करण)।  
- **प्रकृति का संतुलन और शाक्यमुनि गौतम बुद्ध** – भंत अनोमादारशी।  
- **श्रीमान एवं भिक्खु जीवन मार्ग**।  
- **वेरुल एवं औरंगाबाद बौद्ध गुफाएँ** – प्रो. एस.आर. हनांत।  
- **बुद्ध नीति कथा** – प्रो. सुशीला मुला-जपद।   **समाज एवं धम्म प्रचार में योगदान**  
- **अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता केंद्र, फुलबरी** के अधिकारी के रूप में कार्य।  
- **बौद्ध शिक्षा एवं दीक्षा शिविरों** का आयोजन।  
- **युवाओं को बौद्ध दर्शन से जोड़ने** हेतु प्रवचन एवं लेखन।  
- **दलित-बौद्ध आंदोलन** को शैक्षणिक दिशा प्रदान करना।  
*विशेषताएँ एवं गुण**  
1. **अद्वितीय विद्वता** – पाली, बौद्ध दर्शन एवं त्रिपिटक साहित्य में गहन पांडित्य दो बसंत एम सतपाल जी ने बौद्ध धर्म की सेवा करते हुए साहित्य के क्षेत्र में भी उन्होंने अनूठा योगदान देने का काम किया है उनका कार्य सदैव बुद्ध धर्म संघ के प्रति प्रेरित करता रहा है लोगों में एक प्रकार की चेतना निर्माण करने का काम उन्होंने किया है उनका जीवन लक्ष्य ही धर्म का प्रचार और प्रसार करना है उनके लिए ही उनका पूरा जीवन समर्पित है अपनी पूरी आयु में उन्होंने यही काम किया इसके अलावा उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर जी के जीवन कार्य को उनके धम्मा सिद्धांत को आगे बढ़ाने के लिए कई छात्रों को उन्होंने इस आंदोलन में प्रेषित करने का प्रयास किया इसी कारण आज उनका अद्वितीय योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है।  
2. **शिक्षण कौशल** – सैकड़ों छात्रों को बौद्ध अध्ययन में प्रशिक्षित किया बसंत डॉक्टर एम सतपाल जी ने एमफिल में 40 छात्रों को उच्च शिक्षा संशोधन हेतु अनुसंधान करने में बहुत ही बड़ा महत्वपूर्ण काम किया है आज के इस योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद देना बहुत ही आवश्यक है आज तक एचडी के लिए चार छात्रों को उन्होंने मार्गदर्शन किया है उनके मार्गदर्शन पर आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण योगदान होगा ही साथ ही साथ खोज अनुसंधान के क्षेत्र में उनका अद्वितीय योगदान हमेशा हमेशा के लिए याद रखा जाएगा।  
3. **साहित्यिक योगदान** – बौद्ध ग्रंथों का हिंदी-मराठी में सरल अनुवाद एवं विश्लेषण बदन तो डॉक्टर एम सतपाल जी ने बहुत साहित्य की सेवा करते समय मराठी हिंदी अंग्रेजी अन्य भाषाओं में उसका अनुवाद के रूप में पालि साहित्य का अन्य भाषाओं में अनुवाद करते हुए महापरिनिर्वंशिकता हो या अन्य संस्कार गाथा हो या बाकी जितने भी सारे ग्रंथ उन्होंने लिखे हैं वह बौद्ध धर्म के परंपरा के अनुसार बौद्ध विद्वत्ता के अनुसार अपनी खोज उन्होंने पूरी की है साहित्य के क्षेत्र में उनका यह योगदान हमेशा हमेशा के लिए याद रखा जाएगा बौद्ध पाली त्रिपिटक का पूरा साहित्य उन्होंने अपने अध्ययन के क्षेत्र से लेकर छात्रों तक अपना सबसे बड़ा योगदान देने का काम किया है।  
4. **सामाजिक प्रतिबद्धता** – शिक्षा, संस्कृति एवं धम्म प्रचार के माध्यम से समाज परिवर्तन दो बसंत एम सतपाल जी ने सामाजिक प्रतिबद्धता का अपना दायित्व निभाते हुए जीवन का लक्ष्य समाज में परिवर्तन लाना अंधविश्वास के खिलाफ रूढी परंपरा के खिलाफ आवाज उठाना समता स्वतंत्रता बंधुता न्याय इस भारतीय संविधान के मूल्य की स्थापना करना और देश में बंधुता भाईचारा रखने के लिए प्रयास करना यह उनका कार्य अनूठा माना जाता है उन्होंने अपने जीवन काल में भारत की प्रभुता अखंडता और सर्वभामट वाक्य तथा के लिए अपना योगदान देने का काम किया है।  
5. **विनम्रता एवं सादगी** – विद्वता के बावजूद सरल एवं सहज व्यक्तित्व एम सतपाल डॉक्टर बसंत जी का विनम्रता से भरा हुआ जीवन सादगी से भरा हुआ जीवन मधुरता से भाषा का प्रयोग हर एक के दिल में अपनेपन की भावना समाज के प्रति भिक्षु संघ के प्रति और उपासक उपाशिकाओं के प्रति उनके मन में जो स्नेह का भाव है जो कृतज्ञता का भाव है वह काबिले तारीफ है हर एक व्यक्ति के साथ नाता जोड़ना और उनके साथ क्षमता का भाव प्रस्तावित करना बुद्ध धर्म का प्रचार और प्रचार करना यही एक सरल काम उन्होंने अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करते हुए करने का प्रयास किया है हमारे लिए यह प्रेरणादाई और आगे आने वाले भिक्षुओं के लिए एक महत्वपूर्ण काम है जो कि बुद्ध संदेश मासिक के द्वारा इसका संपादन हो उसका लेखन हो संपादकीय हो लेख हो विचार हो इस माध्यम से भी उन्होंने सबसे बड़ा योगदान देने का काम किया है  
*उपसंहार**  
प्रो. डॉ. भिक्खु एम. सत्यपाल महथेरो आधुनिक युग के एक ऐसे विद्वान हैं, जिन्होंने बौद्ध दर्शन को शैक्षणिक एवं सामाजिक धरातल पर स्थापित किया। उनका जीवन **"बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय"** के आदर्श पर आधारित रहा है। उनके लेखन, शिक्षण एवं धम्म प्रचार ने न केवल बौद्ध समुदाय बल्कि समस्त मानवता को ज्ञान का प्रकाश दिया है।  

**"भवतु सब्ब मंगलं"** (सभी का कल्याण हो)  
– यही उनकी जीवन-दृष्टि का सार है।  

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