बौद्ध संगीतियों का इतिहास एवं त्रिपिटक का विकास-प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे
### बौद्ध संगीतियों (संगायनों) का इतिहास एवं त्रिपिटक का विकास
बौद्ध धर्म में **संगीति** (संगायन) का अर्थ है—बौद्ध भिक्षुओं की महासभा, जहाँ बुद्ध के उपदेशों को संकलित, संशोधित और लिपिबद्ध किया गया। अब तक **6 बौद्ध संगीतियाँ** हुई हैं, लेकिन प्रमुख रूप से **4 संगीतियों** को मान्यता दी जाती है।
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## **1. प्रथम बौद्ध संगीति (483 ईसा पूर्व)**
- **स्थान:** राजगृह (वर्तमान बिहार) की **सप्तपर्णी गुफा**
- **शासक:** मगध के राजा **अजातशत्रु**
- **अध्यक्ष:** **महाकश्यप**
- **प्रमुख सहयोगी:** आनंद (सुत्तपिटक का वाचन) और उपाली (विनयपिटक का वाचन)
- **उद्देश्य:**
- बुद्ध के महापरिनिर्वाण (544 ईसा पूर्व) के बाद उनके उपदेशों को संकलित करना।
- भिक्षुओं के बीच फैल रहे मतभेदों को दूर करना।
- **क्या हुआ?**
- बुद्ध के उपदेशों को **सुत्तपिटक** (भाषण) और **विनयपिटक** (नियम) में विभाजित किया गया।
- इन्हें **पाली भाषा** में मौखिक रूप से संरक्षित किया गया ।
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## **2. द्वितीय बौद्ध संगीति (383 ईसा पूर्व)**
- **स्थान:** **वैशाली** का बलुकाराम विहार
- **शासक:** **कालाशोक** (शिशुनाग वंश)
- **अध्यक्ष:** **सब्बकामी**
- **प्रमुख मुद्दा:**
- भिक्षुओं के आचार-विचार में मतभेद (जैसे—धन रखने की अनुमति)।
- **परिणाम:**
- बौद्ध धर्म **दो शाखाओं** में बँट गया—
1. **स्थविरवादी (थेरवाद)** – परंपरावादी।
2. **महासांघिक** – उदारवादी ।
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## **3. तृतीय बौद्ध संगीति (250 ईसा पूर्व)**
- **स्थान:** **पाटलिपुत्र** (अशोक का अशोकाराम विहार)
- **शासक:** मौर्य सम्राट **अशोक**
- **अध्यक्ष:** **मोग्गलिपुत्त तिस्स**
- **उद्देश्य:**
- भ्रष्ट भिक्षुओं को संघ से निकालना।
- बौद्ध धर्म को शुद्ध करना।
- **क्या हुआ?**
- **अभिधम्मपिटक** (दार्शनिक विश्लेषण) को संकलित किया गया।
- **कथावत्थु** नामक ग्रंथ लिखा गया ।
- अशोक ने बौद्ध धर्म का **विश्व प्रचार** शुरू किया।
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## **4. चतुर्थ बौद्ध संगीति (72 ईस्वी)**
- **स्थान:** **कश्मीर** का कुंडलवन विहार
- **शासक:** कुषाण राजा **कनिष्क**
- **अध्यक्ष:** **वसुमित्र** (महायान) एवं **अश्वघोष** (उपाध्यक्ष)
- **प्रमुख परिणाम:**
- बौद्ध धर्म **दो प्रमुख सम्प्रदायों** में विभाजित हुआ—
1. **हीनयान** (मूल मार्ग)
2. **महायान** (नया मार्ग)
- **विभाषा शास्त्र** नामक ग्रंथ की रचना हुई।
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## **5. पंचम एवं षष्ठम संगीति (आधुनिक काल में)**
- **पाँचवीं संगीति (1871 ई.)** – **म्यांमार (मांडले)** में हुई, जहाँ त्रिपिटक को **पाली से बर्मी भाषा** में अनुवादित किया गया।
- **छठी संगीति (1954-56 ई.)** – **बर्मा (रंगून)** में आयोजित, जिसमें **त्रिपिटक का पुनः संपादन** हुआ।
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## **त्रिपिटक कब और कैसे लिपिबद्ध हुआ?**
- प्रारंभ में बुद्ध के उपदेश **मौखिक परंपरा** से संरक्षित थे।
- **लिखित रूप में संकलन:**
- **पहली संगीति (483 ईसा पूर्व)** – सुत्तपिटक और विनयपिटक का मौखिक संकलन।
- **तीसरी संगीति (250 ईसा पूर्व)** – अभिधम्मपिटक जोड़ा गया।
- **लिखित रूप में प्रकाशन:** **1री शताब्दी ईसा पूर्व** (श्रीलंका में) ।
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## **सप्तपर्णी गुफा का महत्व**
- यह **प्रथम संगीति** का स्थल है।
- यहाँ भगवान बुद्ध ध्यान करते थे।
- आज भी **बौद्ध तीर्थस्थल** के रूप में प्रसिद्ध है, हालाँकि पर्यटन सुविधाओं की कमी है ।
### **निष्कर्ष**
बौद्ध संगीतियों ने धर्म को संगठित किया और त्रिपिटक को अंतिम रूप दिया। आज भी ये ग्रंथ **थेरवादी बौद्धों** के लिए मूलभूत हैं।
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