विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024

महाराष्ट्र विधानमंडल द्वारा पारित **विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024** एक विवादास्पद कानून है, जिसे वामपंथी उग्रवाद (विशेषकर "शहरी नक्सलवाद") से निपटने के लिए लाया गया है। इसकी प्रकृति, विशेषताएँ, लाभ-हानि और विरोध के कारणों को निम्नलिखित बिंदुओं में स्पष्ट किया गया है:

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### **1. विधेयक की प्रकृति: घटनाविहीन या घटनाविरोधी?**  
- **घटनाविरोधी (प्रतिक्रियात्मक):** यह विधेयक माओवादी/नक्सली गतिविधियों के विरुद्ध लाया गया है, जिन्हें सरकार "संविधान-विरोधी" और "सशस्त्र संघर्ष को बढ़ावा देने वाला" मानती है। मुख्यमंत्री फडणवीस के अनुसार, यह कानून **शहरी नक्सलवाद** (विश्वविद्यालयों, एनजीओ आदि में घुसपैठ) पर अंकुश लगाएगा ।  
- **संवैधानिक संबंध:** सरकार का दावा है कि यह विधेयक संविधान की रक्षा के लिए है, क्योंकि यह उन संगठनों को लक्षित करता है जो "संवैधानिक शासन को खत्म करने" का प्रयास करते हैं ।  

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### **2. विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ** :  
- **सलाहकार बोर्ड:** उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक बोर्ड गठित किया जाएगा, जो किसी संगठन को "गैरकानूनी" घोषित करेगा।  
- **जांच का स्तर:** केवल डिप्टी एसपी या उच्च पद के अधिकारी ही जांच कर सकेंगे।  
- **सजा:** गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों को **2 से 7 साल की जेल** और **5 लाख रुपये तक का जुर्माना**।  
- **परिभाषाएँ:** "शहरी नक्सलवाद" के बजाय "उग्रवादी वाम संगठन" शब्द का प्रयोग किया गया है।  

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### **3. लाभ एवं लाभार्थी**  
- **सरकार का दावा:**  
  - नक्सलवाद और आतंकवाद पर प्रभावी नियंत्रण ।  
  - संविधान-विरोधी तत्वों के खिलाफ कानूनी ढाँचा मजबूत होगा ।  
- **मुख्य लाभार्थी:**  
  - **सरकार और सुरक्षा एजेंसियाँ:** उग्रवादी संगठनों पर सीधी कार्रवाई की सुविधा।  
  - **आम नागरिक:** सरकार के अनुसार, इससे सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी ।  

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### **4. हानियाँ एवं प्रभावित समूह**  
- **विपक्ष की आशंकाएँ:**  
  - **अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार:** विपक्ष का मानना है कि यह कानून राजनीतिक विरोधियों, छात्रों, किसानों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बना सकता है ।  
  - **अस्पष्ट परिभाषाएँ:** "उग्रवादी विचारधारा" जैसे शब्दों का दुरुपयोग हो सकता है ।  
- **मुख्य प्रभावित:**  
  - **वामपंथी संगठन और नागरिक समाज:** विपक्ष का आरोप है कि इन्हें "अर्बन नक्सल" बताकर दबाया जाएगा ।  
  - **मीडिया और अकादमिक संस्थान:** सरकारी आलोचना करने वाले पत्रकारों/शिक्षकों पर कार्रवाई की आशंका ।  

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### **5. विरोध के कारण** :  
1. **राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका:** उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं ने इसे "भाजपा सुरक्षा कानून" बताया है, जो विरोधियों को दबाने के लिए लाया गया है।  
2. **मौजूदा कानूनों की पर्याप्तता:** विपक्ष का तर्क है कि UAPA और मकोका जैसे कानून पहले से मौजूद हैं, इसलिए नए कानून की आवश्यकता संदेहास्पद है।  
3. **पारदर्शिता का अभाव:** विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति को भेजे जाने के बावजूद विपक्ष को लगता है कि उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया।  

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### **6. निष्कर्ष: संतुलन बनाने की चुनौती**  
यह विधेयक **सुरक्षा बनाम स्वतंत्रता** के बीच एक जटिल संतुलन स्थापित करने का प्रयास है। जहाँ सरकार इसे "राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत" बताती है, वहीं विपक्ष इसे "लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला" मानता है। इसका सफल क्रियान्वयन इस बात पर निर्भर करेगा कि **सलाहकार बोर्ड** और न्यायपालिका कितनी निष्पक्षता से इसके दुरुपयोग को रोकते हैं ।  

**संदर्भ के लिए:**  
- [विधेयक का विवरण (जागरण)](https://www.jagran.com/news/national-maharashtra-special-public-safety-bill-2024-approved-to-curb-maoist-activities-23981010.html)  
- [विपक्षी आपत्तियाँ (TV9)](https://www.tv9hindi.com/india/maharashtra-public-security-bill-passed-legislative-council-uddhav-thackeray-criticism-bjp-3385426.html)

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