14 दलाईलामा जीवन संदेश-प्रा डर संघप्रकाश दुड्डे

# 14वें दलाई लामा का जीवन संदेश: करुणा, शांति और मानवता का मार्ग

14वें दलाई लामा, तेनज़िन ग्यात्सो, जिनका जन्म 6 जुलाई 1935 को हुआ था, ने अपने जीवन के माध्यम से विश्व को गहन आध्यात्मिक और नैतिक संदेश दिया है। उनके शिक्षाओं का मूल सार मानवता, करुणा और आंतरिक शांति पर केंद्रित है। आइए उनके जीवन के प्रमुख संदेशों को विस्तार से समझते हैं।

## 1. करुणा और प्रेम: जीवन का मूल आधार

दलाई लामा का मूल संदेश यह है कि "प्रेम और करुणा कोई लग्ज़री नहीं, ज़रूरत हैं - इनके बिना इंसानियत नहीं चल सकती" । उनका कहना है कि मेरा धर्म बहुत सरल है - यह दयालुता है। मंदिर या जटिल विचारों की ज़रूरत नहीं ।

वे सिखाते हैं कि:
- "जब भी संभव हो, दयालु बनो - और ये हमेशा संभव है" 
- "इस जीवन का मुख्य उद्देश्य दूसरों की मदद करना है। अगर मदद नहीं कर सकते, तो कम से कम उन्हें नुकसान मत पहुंचाओ" 
- "अगर आप दूसरों को खुश देखना चाहते हैं - करुणा दिखाओ। अगर खुद खुश रहना चाहते हैं - तब भी करुणा अपनाओ" 

## 2. आंतरिक शांति: बाहरी शांति की नींव

दलाई लामा का एक प्रमुख संदेश यह है कि "जब तक अपने भीतर शांति नहीं होगी, तब तक बाहर की दुनिया में शांति नहीं मिल सकती" । वे कहते हैं कि "हम बाहरी दुनिया में कभी शांति नहीं पा सकते हैं, जब तक कि हम अंदर से शांत ना हों" ।

शांति प्राप्ति के लिए वे सुझाव देते हैं:
- ध्यान और आत्मचिंतन का अभ्यास
- नकारात्मक विचारों और भावनाओं पर नियंत्रण
- सरल जीवन शैली अपनाना

## 3. खुशी: जीवन का उद्देश्य

दलाई लामा का मानना है कि "हमारे जीवन का मकसद है - खुश रहना" । वे कहते हैं, "मैं मानता हूं कि जीवन का उद्देश्य खुश रहना है" । उनके अनुसार, "खुशी कहीं से बनी-बनाई नहीं मिलती - ये आपके कामों से आती है" ।

खुशी प्राप्ति के उनके सूत्र:
- दूसरों की सेवा और मदद करना
- सकारात्मक सोच रखना
- भौतिक वस्तुओं पर निर्भर न रहना
- "आभार की भावना रखना - हर अच्छाई की जड़, आभार की मिट्टी में होती है" 

## 4. धार्मिक सद्भाव और अंतर्धर्म संवाद

दलाई लामा ने विभिन्न धर्मों के बीच संवाद और सद्भाव को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। उनका मानना है कि "सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराएं मूल रूप से एक ही संदेश देती हैं - प्रेम, दया, और क्षमा" ।

उनके इस संदेश के प्रमुख बिंदु:
- धर्मों के बीच समानता पर बल
- धार्मिक कट्टरता का विरोध
- सर्वधर्म समभाव की भावना

## 5. पर्यावरण संरक्षण

दलाई लामा ने प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण पर भी जोर दिया है। वे मानते हैं कि प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन मानवता के लिए आवश्यक है ।

## 6. आत्म-सुधार और निरंतर सीख

दलाई लामा का संदेश है कि "हमें दूसरों से बेहतर नहीं, बल्कि खुद के पहले वाले रूप से बेहतर बनना है" । वे कहते हैं, "अगर हार जाओ, तो भी सीखना मत छोड़ो" ।

स्वयं को विकसित करने के उनके सुझाव:
- निरंतर सीखते रहना
- गलतियों से सीखना
- आत्म-विश्लेषण करना

## 7. सरल जीवन और विनम्रता

दलाई लामा स्वयं को "एक साधारण बौद्ध भिक्षु" कहलाना पसंद करते हैं । उनका जीवन सादगी और विनम्रता का उदाहरण है। वे कहते हैं, "मैं हमेशा स्वयं को सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से एक भिक्षु मानता हूं। दलाई लामा उसके बाद आता है" ।

## 8. अहिंसा और शांति

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने हमेशा अहिंसा के मार्ग का समर्थन किया है। उनका कहना है कि "हिंसा से एक समस्या सुलझ सकती है - लेकिन कई और समस्याएं जन्म लेती हैं" ।

## 9. वर्तमान क्षण में जीना

दलाई लामा वर्तमान क्षण में जीने पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि "हर सुबह सोचो - मैं आज ज़िंदा हूं, ये मेरा सौभाग्य है" ।

## 10. सार्वभौमिक उत्तरदायित्व

दलाई लामा ने "सार्वभौमिक उत्तरदायित्व" की अवधारणा को प्रतिपादित किया है, जिसके अनुसार हम सभी को न केवल मानवजाति बल्कि समस्त सृष्टि के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

## निष्कर्ष

14वें दलाई लामा का जीवन संदेश मानवता को एक सार्थक और शांतिपूर्ण जीवन जीने का मार्ग दिखाता है। उनकी शिक्षाएँ सार्वभौमिक हैं और सभी धर्मों, संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों के लिए प्रासंगिक हैं। उनका मूल संदेश यही है कि प्रेम, करुणा और आंतरिक शांति के माध्यम से ही हम एक बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं। जैसा कि उन्होंने कहा है, "दुनिया में बड़ा बदलाव - एक इंसान से शुरू होता है" ।

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