राम भक्ति काव्य की अवधारणा और उसकी विशेषताएं -प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे

### **राम भक्ति काव्य: अवधारणा एवं विशेषताएँ**  

#### **1. अवधारणा**  
राम भक्ति काव्य **भक्ति आंदोलन** का एक प्रमुख अंग है, जिसमें **भगवान राम की भक्ति** को केंद्र में रखकर काव्य रचना की जाती है। यह मुख्यतः **मध्यकालीन भारतीय साहित्य** (12वीं से 18वीं शताब्दी) में विकसित हुआ और **भक्ति के सगुण रूप** को प्रस्तुत करता है।  

- **मूल आधार**: वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास की **रामचरितमानस**, संत कवियों की रचनाएँ।  
- **उद्देश्य**: राम के चरित्र के माध्यम से **धार्मिक भावना, नैतिक मूल्य और समर्पण** को प्रसारित करना।  

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#### **2. प्रमुख विशेषताएँ**  

##### **(क) भक्ति की अभिव्यक्ति**  
- **सगुण भक्ति**: राम को **मर्यादा पुरुषोत्तम** के रूप में चित्रित किया गया है।  
- **भावपूर्ण वर्णन**: भक्त और भगवान के बीच प्रेम संबंध को काव्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया जाता है।  
  - उदाहरण: तुलसीदास की चौपाई – *"सिय राम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरि जुग पानी।"*  

##### **(ख) नैतिक एवं आदर्शवादी संदेश**  
- **धर्म, कर्तव्य और न्याय** पर बल: राम के जीवन से **आदर्श पुत्र, पति, राजा और योद्धा** का उदाहरण प्रस्तुत किया गया।  
- **रावण वध** के माध्यम से **अधर्म पर धर्म की विजय** का संदेश।  

##### **(ग) भाषा एवं शैली**  
- **सरल एवं लोकप्रिय भाषा**: अवधी, ब्रज, राजस्थानी आदि लोकभाषाओं का प्रयोग।  
- **दोहा, चौपाई, कवित्त** जैसे छंदों का उपयोग।  
- **अलंकार योजना**: उपमा, रूपक, अनुप्रास आदि का सुंदर प्रयोग।  

##### **(घ) लोक कल्याण की भावना**  
- **सामाजिक समरसता**: रामकथा के माध्यम से **जाति-पाति के भेद को दूर** करने का प्रयास।  
- **सीता-राम के प्रेम** को **नारी सम्मान** का प्रतीक बनाया गया।  

##### **(ङ) संत कवियों का योगदान**  
- **तुलसीदास**: *रामचरितमानस, विनय पत्रिका*  
- **गोस्वामी तुलसीदास**: *हनुमान चालीसा*  
- **नाभादास, अग्रदास**: रामभक्ति परंपरा को आगे बढ़ाया।  

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#### **3. राम भक्ति काव्य का सामाजिक प्रभाव**  
- **धार्मिक एकता**: हिंदू-मुस्लिम संस्कृति के बीच साझा आदर्श (जैसे कबीर ने राम को निर्गुण रूप में भी प्रस्तुत किया)।  
- **लोक जागरण**: रामायण के प्रसंगों ने **नैतिक शिक्षा** का प्रसार किया।  
- **कला एवं संस्कृति**: रामलीला, नाटक, गायन में रामकथा का प्रभाव।  

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### **4. आधुनिक संदर्भ में महत्व**  
- **राम मंदिर आंदोलन** में रामकथा की प्रासंगिकता।  
- **टीवी सीरियल्स (रामानंद सागर की रामायण) और फिल्मों** के माध्यम से लोकप्रियता।  
- **शिक्षा प्रणाली** में रामचरितमानस को नैतिक शिक्षा के रूप में शामिल किया जाना।  

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### **निष्कर्ष**  
राम भक्ति काव्य **भारतीय साहित्य, धर्म और संस्कृति** की अमूल्य धरोहर है। इसने न केवल **आध्यात्मिक चेतना** को जगाया, बल्कि **सामाजिक एकता और नैतिक मूल्यों** को भी स्थापित किया। तुलसीदास जैसे कवियों ने इसे **जन-जन तक पहुँचाया**, जिससे यह परंपरा आज भी प्रासंगिक है। 🚩

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