ज्ञानाश्रयी शाखा की अवधारणा और उसकी विशेषताएं प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे
**ज्ञानाश्रयी शाखा** भक्ति आंदोलन की एक प्रमुख धारा थी, जिसका विकास मध्यकालीन भारत में हुआ। इस शाखा ने **ज्ञान (आत्मज्ञान) और भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति** पर बल दिया।
--**ज्ञानाश्रयी शाखा की अवधारणा**
1. **ज्ञान और भक्ति का समन्वय**:
- इस शाखा के अनुयायियों का मानना था कि **भक्ति के साथ-साथ आत्मज्ञान (ब्रह्मज्ञान) आवश्यक है**।
- इन्होंने **अद्वैत वेदांत** के सिद्धांतों को भक्ति से जोड़ा। 2. **निर्गुण ब्रह्म की उपासना**:
- ये संत **निराकार (निर्गुण) ईश्वर** में विश्वास रखते थे और मूर्तिपूजा का विरोध करते थे।
- ईश्वर को **सर्वव्यापी और निर्विकार** माना गया।
3. **गुरु का महत्व**: इनके अनुसार, **गुरु के मार्गदर्शन के बिना मोक्ष संभव नहीं** है। 4. **भेदभाव का विरोध**:
- जाति-पाति, ऊँच-नीच और धार्मिक आडंबरों का खंडन किया। - इन संतों ने **समानता और सामाजिक न्याय** पर जोर दिया। 3. **वैराग्य और साधना पर बल**: - इन संतों ने **सांसारिक मोह-माया से दूर रहकर ईश्वर भक्ति** करने का संदेश दिया।
- **नामस्मरण (ईश्वर के नाम का जाप)** को मुक्ति का मार्ग बताया। 4. **सामाजिक सुधार**: इन्होंने **स्त्री शिक्षा, दलित उत्थान और धार्मिक सहिष्णुता** को बढ़ावा दिया। *ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख संत (निर्गुण भक्ति धारा)** 1. **कबीरदास** - **विशेषता:** निराकार ईश्वर की भक्ति, अवतारवाद का खंडन, हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश। **रचनाएँ:** "बीजक", "साखी", "सबद"।
2. **रैदास (रविदास)** **विशेषता:** जाति व्यवस्था का विरोध, "बेगमपुरा" (आदर्श समाज) की अवधारणा। **रचनाएँ:** "रैदास की बानी", गुरु ग्रंथ साहिब में उनके पद। 3. **गुरु नानक देव** - **विशेषता:** "एक ओंकार" का सिद्धांत, लंगर प्रथा, व्यावहारिक नैतिकता। - **रचनाएँ:** गुरु ग्रंथ साहिब में उनके श्लोक। 4. **दादू दयाल** - **विशेषता:** निर्गुण भक्ति, "अलख" (अगोचर ईश्वर) की उपासना। 5. **सुंदरदास** - **विशेषता:** ज्ञान और भक्ति का समन्वय, ब्रजभाषा में रचनाएँ। 6. **भीखारीदास** **विशेषता:** सामाजिक समानता, रामभक्ति **ज्ञानाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताएँ**
✔ **निर्गुण ब्रह्म** की उपासना (बिना रूप-रंग के ईश्वर)।
✔ मूर्तिपूजा, जातिभेद और धार्मिक कर्मकांड का विरोध।
✔ **सधना और आत्मज्ञान** पर जोर।
✔ सीधी-सरल भाषा (हिंदी/ब्रजभाषा) में जनसंपर्क।
✔ गुरु की महत्ता, लेकिन बाह्य आडंबरों का त्याग।
पहलू | ज्ञानाश्रयी (कबीर, नानक)
| **ईश्वर** | निर्गुण (निराकार) | |
| **भाषा** | हिंदी/ब्रज |
| **प्रमुख ग्रंथ** | बीजक, गुरु ग्रंथ साहिब |
| **सामाजिक संदेश** | जाति-विरोध, एकेश्वरवाद | भक्ति के माध्यम से समता |
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