महापरिनिर्वाण सुत्त एक विस्तृत अध्ययन-प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे

 **महापरिनिर्वाण सुत्त: एक विस्तृत अध्ययन**  
*1. महापरिनिर्वाण सुत्त का पूर्ण अर्थ**  
महापरिनिर्वाण सुत्त (संस्कृत: महापरिनिर्वाण सूत्र) थेरवाद बौद्ध ग्रंथ **त्रिपिटक** के **सुत्तपिटक** के **दीघनिकाय** का 16वाँ सूत्र है। यह भगवान बुद्ध के अंतिम दिनों, उनके देहान्त (परिनिर्वाण) और उसके बाद के घटनाक्रम का विस्तृत वर्णन करता है"महापरिनिर्वाण" का शाब्दिक अर्थ है **"पूर्ण मुक्ति"** या **"अंतिम निर्वाण"**, जो बुद्ध के शरीर के परित्याग और संसारिक बंधनों से मुक्ति को दर्शाता है ।  *2. महापरिनिर्वाण सुत्त की विशेषताएँ**  - **सबसे लंबा सूत्र**: त्रिपिटक का यह सबसे विस्तृत सूत्र है, जो बुद्ध के अंतिम उपदेशों, यात्राओं और शिष्यों के साथ संवादों को समेटे हुए है ।  - **ऐतिहासिक महत्व**: यह बुद्ध की मृत्यु का प्राथमिक स्रोत है और बौद्ध धर्म के इतिहास को समझने में मदद करता है ।  - **दार्शनिक गहराई**: इसमें **अनित्य (अनिश्चितता), अनात्म (निरात्मवाद), और अनीश्वर (ईश्वर की अनुपस्थिति)** जैसे बौद्ध दर्शन के मूल सिद्धांतों की पुष्टि की गई है ।   **व्यावहारिक शिक्षाएँ**: बुद्ध ने अपने अंतिम समय में भी **आत्मनिर्भरता, धम्म के अनुसरण और संघ की महत्ता** पर जोर दिया ।  *3. सुत्त का संगायन एवं संरचना**   **संगायन**: यह सूत्र बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद **प्रथम बौद्ध संगीति** में संकलित किया गया था और इसे **आनंद** जैसे प्रमुख शिष्यों द्वारा सुनाया गया ।  - **विषय-विभाजन**:    1. **बुद्ध की अंतिम यात्रा** (राजगृह से कुशीनगर तक)।   2. **अंतिम उपदेश** (धम्म और विनय का महत्व)।   3. **परिनिर्वाण की घटना** और अंतिम शब्द: *"अप्प दीपो भव"* (अपना दीपक स्वयं बनो) ।  
  4. **अवशेष वितरण** और आठ स्तूपों का निर्माण ।  *4. सुत्त का परिणाम एवं प्रभाव**  - **बौद्ध संघ की दिशा**: बुद्ध ने संघ को **"धम्म और विनय"** को अपना मार्गदर्शक मानने का निर्देश दिया ।  *अवशेषों का विभाजन**: बुद्ध के अवशेषों को **8 राज्यों** में बाँटकर स्तूप बनवाए गए, जो बौद्ध तीर्थस्थल बने ।  - **अनित्य, अनात्म और अनीश्वर की शिक्षा**:   - **अनित्य**: सभी वस्तुएँ क्षणभंगुर हैं।  
  - **अनात्म**: कोई स्थायी "आत्मा" नहीं है।  
  - **अनीश्वर**: ईश्वर की अवधारणा पर निर्भरता नहीं,बल्कि **कर्म और धम्म** पर जोर ।  
**5. बुद्ध का अंतिम संदेश**  बुद्ध ने आनंद से कहा:  
> *"हे आनंद, तुम्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि अब तुम्हारा कोई शिक्षक नहीं है। मैंने जो धम्म दिया है, वही तुम्हारा शिक्षक है।"*  उनका अंतिम वाक्य था:  "सभी संस्कार क्षयशील हैं, प्रमाद रहित होकर अपना उद्धार करो।"* (**"सब्बे संखारा अनिच्चा, अप्पमादेन सम्पादेथा"**) ।  **6. वैश्विक महत्व**  
- **बौद्ध धर्म का आधार**: यह सूत्र थेरवाद और महायान दोनों परंपराओं में पूज्य है।  
- **शांति और मुक्ति का संदेश**: बुद्ध की शिक्षाएँ आज भी **अहिंसा, करुणा और आत्मज्ञान** को प्रेरित करती हैं ।  **तिब्बती एवं चीनी बौद्ध ग्रंथों में**: इसका समानांतर संस्करण **महापरिनिर्वाण सूत्र** महायान में भी मिलता है ।  **निष्कर्ष**  महापरिनिर्वाण सुत्त न केवल बुद्ध के अंतिम दिनों का दस्तावेज है, बल्कि **जीवन, मृत्यु और मुक्ति** का दर्शन भी प्रस्तुत करता है। इसकी शिक्षाएँ आज भी मानवता को **आत्मनिर्भरता, नैतिकता और जागरूकता** का पाठ पढ़ाती हैं।

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