प्राचीन बौद्ध राजाओं का इतिहास और योगदान-प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे
### प्राचीन बौद्ध राजाओं का इतिहास और योगदान
#### 1. **बुद्ध कालीन राजाओं का परिचय और योगदान**
- **राजा बिम्बिसार (मगध के शासक, लगभग 543–491 ईसा पूर्व)**:
- गौतम बुद्ध के समकालीन थे और उनके प्रमुख शिष्यों में से एक बने। बुद्ध के उपदेशों से प्रभावित होकर उन्होंने बौद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण दिया।
- राजगृह (वर्तमान राजगीर) को अपनी राजधानी बनाया और बौद्ध संघ के लिए विहारों का निर्माण करवाया .
- **राजा प्रसेनजित (कोशल के शासक)**:
- बुद्ध के अन्य प्रमुख संरक्षकों में से एक थे। उन्होंने श्रावस्ती में जेतवन विहार दान किया, जो बौद्ध भिक्षुओं के लिए एक प्रमुख केंद्र बना .
#### 2. **बुद्ध के उपदेशों का राजाओं पर प्रभाव**
- बुद्ध ने राजाओं को **अहिंसा, नैतिक शासन, और प्रजा के कल्याण** का संदेश दिया। इससे राजाओं ने युद्धों की बजाय धर्म और शिक्षा के प्रसार पर ध्यान दिया।
- उदाहरण: राजा बिम्बिसार ने बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाकर मगध में शांति और समृद्धि स्थापित की .
#### 3. **सम्राट अशोक का योगदान (269–232 ईसा पूर्व)**
- **धर्मप्रचार**: कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और इसे राजधर्म घोषित किया। उन्होंने **धम्म** (नैतिक सिद्धांतों) का प्रचार किया .
- **शिलालेख और स्तंभ**:
- अशोक ने **40 से अधिक शिलालेख** और स्तंभ बनवाए, जिन पर बौद्ध सिद्धांतों को ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण किया गया। प्रमुख उदाहरण:
- **सारनाथ का सिंहस्तंभ** (भारत का राष्ट्रीय चिह्न)।
- **रुम्मिनदेई स्तंभ** (नेपाल), जहाँ बुद्ध का जन्म हुआ .
- इन शिलालेखों में **दया, सत्य, और अहिंसा** के संदेश थे, जो जनता तक पहुँचाने के लिए स्थानीय भाषाओं का उपयोग किया गया .
- **विदेशों में धर्मप्रचार**: अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा, जहाँ उन्होंने थेरवाद बौद्ध धर्म की स्थापना की .
#### 4. **बौद्ध साहित्य के प्रसार में राजाओं का योगदान**
- **त्रिपिटक का संकलन**: अशोक ने **तृतीय बौद्ध संगीति (250 ईसा पूर्व)** का आयोजन किया, जहाँ बौद्ध ग्रंथों को पाली भाषा में लिखित रूप दिया गया .
- **महावंश और दीपवंश**: श्रीलंका के राजाओं ने इतिहास ग्रंथों को संरक्षित किया, जिसमें बुद्ध और अशोक के कार्यों का विवरण मिलता है .
#### 5. **प्राचीन गुफाओं और मूर्तिकला में योगदान**
- **गुफा वास्तुकला**:
- **कार्ले की गुफाएँ (महाराष्ट्र)**: सातवाहन राजाओं द्वारा प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित। यहाँ **चैत्यगृह** और बुद्ध की मूर्तियाँ हैं .
- **अजंता-एलोरा**: ये गुफाएँ वाकाटक और राष्ट्रकूट राजाओं के संरक्षण में बनीं, जिनमें बौद्ध चित्रकारी और मूर्तियाँ हैं .
- **मूर्तिकला**:
- **गांधार कला**: कुषाण राजा कनिष्क (78–101 ईस्वी) ने गांधार क्षेत्र में यूनानी-बौद्ध मूर्तिकला को प्रोत्साहित किया .
- **अमरावती स्तूप**: आंध्र के सातवाहन राजाओं ने इसका निर्माण करवाया, जो बौद्ध कला का उत्कृष्ट उदाहरण है .
#### 6. **शिल्प और मूर्ति निर्माण में अग्रणी**
- **मौर्य काल**: अशोक के शासन में **चमकदार पॉलिश वाले स्तंभ** और **यक्ष-यक्षिणी मूर्तियाँ** बनीं .
- **गुप्त काल**: इस दौरान **सारनाथ की बुद्ध मूर्तियाँ** बनीं, जो शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं .
### निष्कर्ष
प्राचीन भारत के राजाओं ने बौद्ध धर्म के प्रसार में **राजनीतिक संरक्षण, साहित्यिक संकलन, और कलात्मक निर्माण** के माध्यम से अद्वितीय योगदान दिया। अशोक जैसे सम्राटों ने धर्म को विश्व स्तर पर पहुँचाया, जबकि कनिष्क और सातवाहनों ने कला और स्थापत्य को समृद्ध बनाया। इनके प्रयासों से बौद्ध धर्म आज भी एक जीवंत परंपरा के रूप में विद्यमान है।
**संदर्भ**: .
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