नालासोपारा का प्राचीन इतिहास एवं सम्राट अशोक का संबंध-प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे
### 📜 **नालासोपारा का प्राचीन इतिहास एवं सम्राट अशोक का संबंध**
#### 1. **प्राचीन नाम एवं महत्व**
- नालासोपारा को प्राचीन काल में **शूर्पारक** या **सोपारा** कहा जाता था। यह पश्चिमी भारत का एक प्रमुख बंदरगाह था, जो मेसोपोटामिया, मिस्र, ग्रीस, रोम और पूर्वी अफ्रीका के साथ व्यापार करता था ।
- यह बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र था और यहाँ **सम्राट अशोक** ने एक स्तूप का निर्माण करवाया था ।
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#### 2. **सम्राट अशोक का अभिलेख एवं विशेषताएँ**
- अशोक ने **ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी** में नालासोपारा में एक शिलालेख उत्कीर्ण करवाया, जो **ब्राह्मी लिपि** में है। यह अभिलेख उसके **14 प्रमुख शिलालेखों** में से एक है ।
- **विशेषता**:
- इस अभिलेख में अशोक ने **धम्म (धर्म) के प्रचार** और **प्रजा के कल्याण** की बात कही है।
- यह अभिलेख अशोक के साम्राज्य की पश्चिमी सीमा को निर्धारित करता है, जो पश्चिमी समुद्र तक फैली थी ।
- अभिलेख का एक हिस्सा **मुंबई के प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय** में संरक्षित है ।
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#### 3. **अशोक की यात्रा एवं स्तूप निर्माण**
- अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद पूरे भारत में बौद्ध स्थलों का दौरा किया। नालासोपारा में उसने **एक स्तूप** बनवाया, जिसे **पूर्ण मैत्रायनिपुत्र** (एक धनी व्यापारी) ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्थापित किया था ।
- **स्तूप की विशेषता**:
- यह स्तूप **चंदन की लकड़ी से सजाया गया** था और इसका डिज़ाइन **साँची के स्तूप** जैसा था ।
- इसका उद्घाटन **स्वयं भगवान बुद्ध** ने किया था। बुद्ध यहाँ **एक सप्ताह** तक रुके थे और उन्होंने अपना **भिक्षापात्र** यहाँ छोड़ा था ।
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#### 4. **महेंद्र और संघमित्रा की यात्रा**
- अशोक ने अपने पुत्र **महेंद्र** और पुत्री **संघमित्रा** को बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए **श्रीलंका** भेजा। माना जाता है कि वे नालासोपारा से ही श्रीलंका के लिए रवाना हुए थे ।
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#### 5. **खोजे गए अवशेष एवं उनका वर्तमान स्थान**
- **1882 में** पुरातत्वविद् **भगवानलाल इंद्रजी** ने स्तूप के केंद्र से एक **खजाना** खोजा, जिसमें शामिल थे:
- **8वीं शताब्दी की बुद्ध की कांस्य मूर्तियाँ**।
- **अवशेष ताबूत, सोने के फूल, चांदी के सिक्के और भिक्षापात्र के टुकड़े** ।
- **9वाँ अशोक शिलालेख**, जो अब **मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय** में रखा है ।
- **अस्थि स्तूप**: खुदाई में कोई **अस्थि धातु (रिलिक्स)** नहीं मिली, लेकिन **बुद्ध के भिक्षापात्र** के अवशेष मिले थे ।
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#### 6. **भगवान बुद्ध की नालासोपारा यात्रा**
- बुद्ध **ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी** में नालासोपारा आए थे। यहाँ उन्होंने **पूर्ण मैत्रायनिपुत्र** के निमंत्रण पर **एक सप्ताह** बिताया और स्तूप का उद्घाटन किया ।
- बुद्ध के जाने के बाद, इस स्थान को **बौद्ध तीर्थ** के रूप में मान्यता मिली।
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#### 7. **वर्तमान स्थिति एवं संरक्षण**
- आज यह स्तूप **भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)** के संरक्षण में है, लेकिन यह **उपेक्षित** है। स्थानीय लोगों को भी इसके इतिहास की जानकारी कम है ।
- **यूनेस्को** ने इसे **विश्व धरोहर** के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है ।
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### 🌟 **निष्कर्ष**
नालासोपारा का बौद्ध स्तूप और अशोक का अभिलेख **भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत** का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह स्थान बौद्ध धर्म के प्रसार और भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों का गवाह है। हालाँकि, इसके संरक्षण और प्रचार की अभी भी आवश्यकता है।
**स्रोत**:
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