जायसी का साहित्यिक परिचय-प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे

### **मलिक मोहम्मद जायसी का साहित्यिक परिचय**  

#### **1. जीवन परिचय**  
- **जन्म**: जायसी का जन्म **1492 ई.** (अनुमानित) में **जायस नगर**, रायबरेली (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनके जन्मस्थान को लेकर कुछ विद्वानों में मतभेद है, परंतु उनकी स्वयं की पंक्ति **"जायस नगर मोर अस्थानू"** से यह स्पष्ट होता है कि वे जायस के निवासी थे ।  
- **मृत्यु**: **1542 ई.** में अमेठी के निकट जंगल में एक शिकारी द्वारा गोली लगने से उनकी मृत्यु हुई ।  
- **व्यक्तिगत जीवन**: जायसी शारीरिक रूप से विकलांग थे—एक आँख और एक कान से वंचित। उनके गुरु **सैयद अशरफ़** थे, जिन्होंने उन्हें सूफ़ी मत की दीक्षा दी ।  

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#### **2. साहित्यिक विशेषताएँ**  
- **भाषा**: जायसी ने **अवधी भाषा** में रचनाएँ कीं, जो लोकप्रिय और सरल थी। उनकी भाषा में लोकोक्तियाँ, मुहावरे और सूक्तियों का सुंदर प्रयोग मिलता है ।  
- **शैली**: उन्होंने **दोहा-चौपाई** छंद और **मसनवी शैली** (फारसी प्रभाव) का उपयोग किया। उनकी रचनाओं में सूफ़ी प्रेमाख्यानों की परंपरा दिखाई देती है ।  
- **प्रमुख विषय**:  
  - **प्रेम की पीर**: जायसी को "प्रेम का पीर" कहा जाता है। उनकी रचनाओं में लौकिक प्रेम के माध्यम से अलौकिक प्रेम (ईश्वर से मिलन) की व्यंजना की गई है ।  
  - **सूफ़ी दर्शन**: उनके काव्य में सूफ़ी सिद्धांतों जैसे **विरह**, **फ़ना (आत्मसमर्पण)**, और **इश्क़-ए-हक़ीक़ी (सच्चा प्रेम)** का गहरा प्रभाव है ।  

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#### **3. प्रमुख रचनाएँ**  
1. **पद्मावत** (1540 ई.):  
   - यह जायसी की सर्वश्रेष्ठ रचना है, जिसमें चित्तौड़ के राजा रतनसेन और सिंहल की राजकुमारी **पद्मावती** के प्रेम की कथा है।  
   - इसमें **नागमती विरह** खंड हिंदी साहित्य का उत्कृष्ट विरह वर्णन माना जाता है ।  

2. **अखरावट**:  
   - एक दार्शनिक रचना, जिसमें सूफ़ी सिद्धांतों की व्याख्या की गई है। इसमें **चेला-गुरु संवाद** का प्रयोग हुआ है ।  

3. **आख़िरी कलाम**:  
   - इसमें इस्लामिक विश्वासों के अनुसार **कयामत (प्रलय)** का वर्णन है ।  

4. **चित्ररेखा**:  
   - एक लोककथा पर आधारित रचना, जिसमें प्रेम और त्याग की कहानी है ।  

5. **कन्हावत**:  
   - कृष्ण-लीला पर आधारित यह रचना **राधा-कृष्ण** के प्रेम को दर्शाती है। इसमें पौराणिक और लोक तत्वों का मिश्रण है ।  

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#### **4. साहित्य में योगदान**  
- जायसी ने **हिंदू-मुस्लिम सांस्कृतिक एकता** को अपने साहित्य में प्रतिबिंबित किया।  
- उनकी **पद्मावत** को हिंदी का पहला सफल प्रेमाख्यान माना जाता है, जिसने अवधी साहित्य को नई ऊँचाइयाँ दीं ।  
- उनकी रचनाएँ **लोकसंस्कृति**, **भारतीय दर्शन**, और **सूफ़ी रहस्यवाद** का अनूठा संगम हैं।  

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### **निष्कर्ष**  
मलिक मोहम्मद जायसी मध्यकालीन हिंदी साहित्य के स्तंभ थे, जिन्होंने प्रेम, भक्ति और दर्शन को मिलाकर एक अद्वितीय साहित्यिक विरासत छोड़ी। उनकी **पद्मावत** आज भी शोध और समीक्षा का विषय बनी हुई है।  

**संदर्भ**: विभिन्न शोध आलेखों एवं पुस्तकों के आधार पर ।

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