### **कान्हेरी बौद्ध लेणी, मुंबई: एक विस्तृत अध्ययन**
#### **1. इतिहास एवं निर्माण**
- **स्थान**: संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (बोरीवली), मुंबई में स्थित ।
- **निर्माण काल**: **ई.पू. 1ली शताब्दी से ई.स. 10वीं शताब्दी** तक (लगभग 2000 वर्ष पुराना) ।
- **निर्माता**:
- प्रारंभिक गुफाएँ **हीनयान बौद्ध भिक्षुओं** द्वारा बनाई गईं।
- बाद में **सातवाहन राजा वाशिष्ठीपुत्र सतकर्णी** (ई.स. 2री शताब्दी) और अन्य शासकों ने विस्तार किया ।
- **गौतमीपुत्र सातकर्णी** (ई.स. 173–211) के काल में चैत्य गुफाओं का निर्माण हुआ ।
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#### **2. शिलालेखों की जानकारी**
- **कुल शिलालेख**: **51 शिलालेख** और **26 वचननामे (एपिग्राफ्स)** ।
- **भाषाएँ**:
- **ब्राह्मी लिपि** (प्राचीनतम)
- **देवनागरी**
- **पहलवी** (पारसी प्रभावित) ।
- **महत्वपूर्ण शिलालेख**:
- **गुफा संख्या 90** में सातवाहन राजा वाशिष्ठीपुत्र का शिलालेख, जिसमें उसकी कन्या सतकरणी के विवाह का उल्लेख है ।
- **शक राजा नहपान** (ई.पू. 124) के मंत्री अयम का अभिलेख ।
- **शिलालेखों का विषय**:
- दान, राजकीय आदेश, भिक्षुओं के निवास संबंधी नियम।
- व्यापारिक संबंध (सोपारा, कल्याण, नाशिक जैसे बंदरगाहों से जुड़े रिकॉर्ड) ।
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#### **3. पुरातात्विक विशेषताएँ**
- **कुल गुफाएँ**: **109** (जिनमें 10 चैत्यगृह और शेष विहार) ।
- **विश्व प्रसिद्ध गुफाएँ**:
- **गुफा संख्या 3**: सबसे भव्य चैत्यगृह, जिसमें **स्तूप** और अलंकृत स्तंभ हैं ।
- **गुफा संख्या 11, 34, 41, 67, 89, 90**: महत्वपूर्ण मूर्तिकला वाली गुफाएँ ।
- **गुफा संख्या 3 की विशेषता**:
- **भगवान बुद्ध की अभय मुद्रा** में दो मूर्तियाँ स्थापित हैं।
- **स्तूप**: चैत्यगृह के केंद्र में **बुद्ध के अवशेष** या धर्मचक्र प्रतीक रखे गए हैं ।
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#### **4. वास्तुकला एवं धार्मिक महत्व**
- **चैत्यगृह**:
- गोलाकार या आयताकार डिज़ाइन, जिनमें **स्तूप** बौद्ध पूजा का केंद्र है।
- छत पर **उकेरी गई बुद्ध की छवियाँ** (गुफा 27 में अधूरी पेंटिंग) ।
- **विहार**: भिक्षुओं के रहने, अध्ययन और ध्यान के लिए बने कक्ष।
- **जल प्रबंधन**:
- पानी की टंकियाँ और वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था ।
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#### **5. अन्य रोचक तथ्य**
- **अवलोकितेश्वर की मूर्ति**: 11 सिर वाली दुर्लभ प्रतिमा ।
- **यूनेस्को संबंध**: हालांकि अभी विश्व धरोहर सूची में नहीं, परंतु भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित ।
- **2015 की खोज**: संशोधक सूरज पंडित ने 7 नई गुफाओं का पता लगाया ।
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### **निष्कर्ष**
कान्हेरी लेणी **भारत के बौद्ध इतिहास, वास्तुकला और शिलालेखों का अनूठा संगम** है। यहाँ के शिलालेख प्राचीन भारत के **राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक जीवन** पर प्रकाश डालते हैं, जबकि गुफाओं की कला **बौद्ध धर्म के विकास** को दर्शाती है। यह स्थल न केवल धर्मावलंबियों, बल्कि इतिहासकारों और कला प्रेमियों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
> *"कृष्णगिरी" (काला पर्वत) से निकला नाम "कान्हेरी" इसकी प्राचीनता का प्रतीक है* ।
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