वकील साहब -रेखाचित्र- विनय मोहन शर्मा

"वकील साहब" विनय मोहन शर्मा द्वारा रचित एक हास्यमय रेखाचित्र है, जिसमें उन्होंने एक वकील के चरित्र को व्यंग्यात्मक ढंग से चित्रित किया है।
इस रेखाचित्र में, शर्मा जी ने वकील साहब के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया है, जैसे कि:
* उनकी बड़बोलापन और झूठे वादे
* उनकी मुवक्किलों को लूटने की कला
* उनकी अदालत में अपने विरोधियों को हराने के लिए किए जाने वाले हथकंडे
* उनकी अपने पैसे और प्रतिष्ठा के प्रति लालसा
रेखाचित्र में शर्मा जी ने वकील साहब के चरित्र का मजाक उड़ाया है और समाज में वकीलों की भूमिका पर व्यंग्य किया है।
कुछ उदाहरण पंक्तियाँ यह हैं:
"वकील साहब की जुबान है चमकदार, 
मुवक्किलों को लूटने का हुनर है कमालदार...
अदालत में जीतने के लिए कानून नहीं, 
जीतने के लिए जरूरत है तो सिर्फ जुबानी दालदार!"
यह रेखाचित्र हास्य और व्यंग्य का एक अच्छा नमूना है और वकीलों के प्रति आम लोगों की राय को दर्शाता है।

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