एक नेत्र हैं की दृष्टि -एक चित्र- विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित रेखाचित्र का स्पष्टीकरण कीजिए

"एक नेत्रहीन की दृष्टि" विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित एक मर्मस्पर्शी रेखाचित्र है, जिसमें उन्होंने एक नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन और दृष्टिकोण को चित्रित किया है।
इस रेखाचित्र में, प्रभाकर जी ने नेत्रहीन के:
* आंतरिक दृष्टि को दर्शाया है, जो शारीरिक दृष्टि की अनुपस्थिति में भी जीवन को देखने का एक नया तरीका है।
* जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को चित्रित किया है, जो चुनौतियों का सामना करने और उन पर विजय पाने की भावना को दर्शाता है।
* स्पर्श और श्रवण इंद्रियों के माध्यम से दुनिया को अनुभव करने और समझने की क्षमता को दर्शाया है।
* समाज में नेत्रहीन लोगों के प्रति दृष्टिकोण और उनके अधिकारों की लड़ाई को भी उजागर किया है।
कुछ उदाहरण पंक्तियाँ यह हैं:
"मेरी आँखें नहीं देखतीं, लेकिन मेरा दिल देखता है...
मैं दुनिया को स्पर्श से जानता हूँ, श्रवण से समझता हूँ...
नेत्रहीनता नहीं है कमजोरी, बल्कि एक नई दृष्टि है जीवन की।"
यह रेखाचित्र नेत्रहीन लोगों के प्रति सम्मान और समझ बढ़ाने में मदद करता है और उनके जीवन की चुनौतियों और उपलब

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