लल्लू कब लौटेगी" बनारसी दास चतुर्वेदी द्वारा रचित रेखचित्र को स्पष्ट कीजिए

"लल्लू कब लौटेगी" बनारसी दास चतुर्वेदी द्वारा रचित एक हास्यमय रेखा चित्र है, जिसमें उन्होंने एक सरकारी कार्यालय में होने वाली देरी और लापरवाही को व्यंग्यात्मक ढंग से चित्रित किया है।
इस रेखा चित्र में, चतुर्वेदी जी ने:
* लल्लू नामक एक कर्मचारी को दिखाया है, जो हमेशा काम में देरी से आता है और अपने काम को टालता रहता है।
* सरकारी कार्यालय की सुस्त और लापरवाही भरी व्यवस्था को उजागर किया है, जहां काम समय पर नहीं होता है।
* लल्लू के साथ-साथ अन्य कर्मचारियों की भी देरी और लापरवाही को दिखाया है, जो कार्यालय के काम को प्रभावित करती है।
* आम नागरिकों को परेशान करने वाली इस व्यवस्था पर व्यंग्य किया है, जो अपने काम के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं।
कुछ उदाहरण पंक्तियाँ यह हैं:
"लल्लू कब लौटेगा, यही सवाल है हर रोज़...
सरकारी दफ्तर में समय की कोई कीमत नही है

"लल्लू कब लौटेगी" बनारसी दास चतुर्वेदी द्वारा रचित रेखा चित्र का विस्तृत स्पष्टीकरण यह है:
**मुख्य विषय**: सरकारी कार्यालयों में होने वाली देरी और लापरवाही
**पात्र**:
* लल्लू: एक सरकारी कर्मचारी जो हमेशा देरी से आता है और अपने काम को टालता रहता है।
* अन्य कर्मचारी: लल्लू के साथ काम करने वाले अन्य कर्मचारी जो भी देरी से आते हैं और काम में लापरवाही दिखाते हैं।
* आम नागरिक: जो सरकारी कार्यालयों में अपने काम के लिए आते हैं और देरी के कारण परेशान होते हैं।
**रेखा चित्र के मुख्य बिंदु**:
1. सरकारी कार्यालयों में देरी और लापरवाही को उजागर किया गया है।
2. लल्लू के चरित्र के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों की देरी और लापरवाही को दिखाया गया है।
3. आम नागरिकों को परेशान करने वाली इस व्यवस्था पर व्यंग्य किया गया है।
4. सरकारी कार्यालयों में सुधार की आवश्यकता को दर्शाया गया ह

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