मैत्रेयी पुष्पा जीवन परिचय

मैत्रेयी पुष्पा


मैत्री पुष्पा एक प्रसिद्ध भारतीय लेखिका हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी साहित्य में अपने योगदान के लिए जानी जाती हैं। उनका लेखन समाज के विभिन्न पहलुओं, विशेषकर महिलाओं के जीवन और संघर्षों पर केंद्रित है।

मुख्य बिंदु:

  1. प्रारंभिक जीवन: मैत्री पुष्पा का जन्म उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा भी वहीं से प्राप्त की।
  2. लेखन शैली: उनकी लेखन शैली में ग्रामीण जीवन, महिलाओं की समस्याएं और सामाजिक मुद्दों का सजीव चित्रण होता है। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के यथार्थ को बखूबी दर्शाते हैं।
  3. प्रमुख कृतियाँ: उनकी प्रमुख कृतियों में “इदन्नमम”, “चाक”, “अल्मा कबूतरी”, “झूला नट” और “गोमा हंसती है” शामिल हैं। इन कृतियों ने उन्हें हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
  4. पुरस्कार और सम्मान: मैत्री पुष्पा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल 

मैत्रेयी पुष्पा हिंदी लेखिका हैं। उन्हें हिन्दी अकादमी दिल्ली का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।[1]

मैत्रेयी पुष्पा

मैत्रेयी पुष्पा

जीवन

उनका जन्म 30 नवंबर, 1944 को अलीगढ़ जिले के सिकुर्रा गाँव में हुआ। उनके जीवन का आरंभिक भाग बुंदेलखण्ड में बीता।

शिक्षा

उनकी आरंभिक शिक्षा झाँसी जिले के खिल्ली गाँव में तथा एम॰ए॰ (हिंदी साहित्य) बुंदेलखंड कालेज, झाँसी में हुआ।

कृतियाँ

उपन्यास

  • स्मृति दंश (१९९०)[2]
  • बेतवा बहती रही (१९९३)
  • इदन्‍नमम (१९९४)
  • चाक (१९९७)
  • झूला नट (१९९९)
  • अल्मा कबूतरी(2000)
  • कहै ईसुरी फाग(2004)
  • चिन्‍हार
  • गुनाह बेगुनाह

त्रिया हठ (2005) विजन

आत्‍मकथा

कहानी संग्रह

  • चिन्हार
  • ललमनियाँ तथा अन्‍य कहानियां
  • त्रिया हठ
  • फैसला
  • सिस्टर
  • सेंध
  • अब फूल नहीं खिलते
  • बोझ
  • पगला गई है भागवती
  • छाँह
  • तुम किसकी हो बिन्नी?

कविता संग्रह

  • लकीरें

यात्रा संस्‍मरण

  • अगनपाखी

लेख संग्रह

  • खुली खिड़कियां

सम्मान

हिंदी अकादमी द्वारा साहित्य कृति सम्मान

  • कहानी 'फ़ैसला' पर कथा पुरस्कार मिला
  • 'बेतवा बहती रही' उपन्यास पर उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा प्रेमचंद सम्मान(१९९५)
  • 'इदन्नमम' उपन्यास पर शाश्वती संस्था बंगलौर द्वारा नंजनागुडु तिरुमालंबा पुरस्कार
  • म.प्र. साहित्य परिषद द्वारा वीरसिंह देव सम्मान
  • वनमाली सम्‍मान 2011[3]


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