जहाँ लक्ष्मी कैद है कहानी की भाषाशैली डॉ संघप्रकाश दुड्डे हिंदी विभाग प्रमुख संगमेश्वर कॉलेज (स्वायत) सोलापुर

जहाँ लक्ष्मी कैद है कहानी की भाषाशैली
 डॉ संघप्रकाश दुड्डे
  हिंदी विभाग प्रमुख
  संगमेश्वर कॉलेज (स्वायत)
  सोलापुर 

जहाँ लक्ष्मी कैद है कहानी की भाषाशैली - 'जहाँ लक्ष्मी कैद है' कहानी में पात्रानुकूल भाषा का प्रयोग हुआ है। भाषा पात्रों की योग्यता और संस्कार के अनुकूल है। पंक्चर जोड़ते समय मिस्त्री सलीम जैसी बात कहता है, उससे लाला रूपाराम की कंजूसी और मिस्त्री की झंझलाहट सामने स्पष्ट हो जाती है। वह कहता है - “अब मैं बाबूजी को किस्सा बताऊँ या इन ट्यूबों से सिर फोडूं ? साले सड़कर हलुआ तो हो गए हैं पर बदलेगा नहीं, मन तो होता है सबको उठाकर इस अंगीठी में रख दूं, होगा सुबह तो देखा जाएगा।"

चौकीदार की इस भाषा में अशालीनता लक्ष्य की जा सकती है - "क्या जिन्दगी है बेचारी की। बाप है सो भोग नहीं कर सकता और छोड़ तो सकता ही नहीं। मेरी तो उम्र नहीं रही, वरना कभी मन होता है ले जाऊँ भगाकर, होगा सो देखा जाएगा।"



लेकिन गोविन्द पढ़ा-लिखा युवक होने के नाते उसकी भाषा में शालीनता होती है- लक्ष्मी के बारे में अपनी अज्ञानता को बताते हुए आत्मसमर्पण के भाव से चौकीदार से कहता है - “ नहीं तो भाई, मैंने बताया तो, मैं इनके बारे में कुछ भी, कतई नहीं जानता।”

इस कहानी में व्यंग्य भी कहानी को जीवंत बना देते हैं। रामस्वरूप जब गोविन्द को 'मुंशीजी' कहकर संबोधित करता है, तब गोविन्द मन ही मन नाराज हो जाता है। क्योंकि मुंशी नाम के साथ जो एक कान पर कलम लगाए, गोल मैली टोपी, पुराना कोट पहने, मुड़े तुड़े आदमी की तस्वीर सामने आती है, उसे बीस-बाइस साल का युवक गोविन्द संभाल नहीं पाता।


कहानी में आलंकारिक प्रयोगों की भरमार है, जैसे - धीरे-धीरे उसे लगा, यह अक्षरों की पंक्ति एक ऐसी खिड़की की जाली है, जिसके पीछे बिखरे बालोंवाली एक निरीह लड़की का चेहरा झांक रहा है। 'लक्ष्मी के बारे में प्रश्नों का एक झुंड उसके दिमाग पर टूट पड़ा, जैसे शिकारी कुत्तों का बाड़ा खोल दिया गया हो।'


'एक बड़ी लोहे की तराजू कथकली की मुद्रा में एक बाँह ऊँची किए लटकी थी।'

'आतिशबाजी के अनार की तरह दिमाग फट पड़ेगा।' चौकीदार भी आवेश में आकर रूपाराम के लिए कह देता है - ' लोग जमा करते हैं कि बैठ कर भोगें। लेकिन यह राक्षस तो जमा करने में ही लगा रहता है। यहाँ प्रश्न है कि जिस घर में बेटी बाप द्वारा कैद हो, वहाँ उसकी तकदीर कैसे खुलेगी ?


 

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