रेडियो का बदलता स्वरूप -डॉ संघप्रकाश दुड्डे हिंदी विभाग प्रमुख ,संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर

राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को सर्वस्वीकार्य बनाने में रेडियो की उल्लेखनीय भूमिका रही है। आकाशवाणी ने समाचार, विचार, शिक्षा, समाजिक सरोकारों, संगीत, मनोरंजन आदि सभी स्तरों पर अपने प्रसारण के माध्यम से हिंदी को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। इसमें हिंदी फिल्में और फ़िल्मी गीतों का विशेष स्थान रहा है। हिंदी फ़िल्मी गीतों की लोकप्रियता भारत की सीमाओं को पार कर रुस, चीन और यूरोप तक जा पहुंची। आकाशवाणी की विविध भारती सेवा तथा अन्य कार्यक्रमों के अन्तर्गत प्रसारित फ़िल्मी गानों नें हिंदी को देशभर के लोगों की ज़बान पर ला दिया। हिंदी को देशव्यापी मान्यता दिलाने में फिल्मों की भी महती भूमिका रही है किन्तु फिल्मों से अधिक लोकप्रिय उनके गीत रहे हैं जिन्हें जन-जन तक पहुंचाने का काम आकाशवाणी ने किया। अब वही काम निज़ी एफएम चैनल कर रहे हैं। एफएम चैनल हल्के-फुल्के कार्यक्रमों, वाद-संवाद और हास्य-प्रहसन के माध्यम से का प्रसार कर रहे हैं। इस समय आकाशवाणी के अधिकतर चैनल हिंदी में कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। रेडियो प्रसारण में हिंदी के महत्व को इसी प्रकरण से समझा जा सकता है कि जब मुम्बई में एफएम स्टेशनों के लाइसेंस दिए गए तो पहले आधे स्टेशन अंग्रेजी प्रसारण के लिए निर्धारित थे किंतु कुछ ही महीनों में वे भी हिंदी में प्रसारण करने लगे क्योंकि अंग्रजी श्रोता बहुत कम थे। मनोरंजन के अलावा आकाशवाणी के समाचार, खेल कार्यक्रम, प्रमुख खेल प्रतियोगिताओं का आंखों देखा हाल तथा किसानों, मजदूरों और बाल व महिला कार्यक्रमों ने हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ाने में बहुत बड़ा योग दिया है और आज भी दे रहे हैं।

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