आदिकाल का नामकरण स्पष्ट कीजिए? डॉ संघप्रकाश दुड्डे, हिंदी विभाग संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर
हिंदी साहित्य के आदिकाल का नामकरण विभिन्न विद्वानों द्वारा अलग-अलग तरीकों से किया गया है। यह काल 10वीं से 14वीं शताब्दी तक माना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख नामकरण और उनके आधार दिए गए हैं:
वीरगाथा काल: आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इस काल को वीरगाथा काल कहा है। उन्होंने इसे वीर रस की प्रधानता के कारण यह नाम दिया1.
चारण काल: जॉर्ज ग्रियर्सन और डॉ. रामकुमार वर्मा ने इसे चारण काल कहा है, क्योंकि इस काल में चारण कवियों की रचनाएँ प्रमुख थीं2.
सिद्ध-सामंत काल: राहुल सांकृत्यायन ने इसे सिद्ध-सामंत काल कहा है, जो इस काल की सामाजिक और साहित्यिक प्रवृत्तियों को दर्शाता है2.
बीजवपन काल: आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने इसे बीजवपन काल कहा है, क्योंकि इस काल में हिंदी साहित्य के बीज बोए गए थे2.
आदिकाल: आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इसे आदिकाल कहा है, जो हिंदी साहित्य के प्रारंभिक चरण को दर्शाता है2.
इन नामकरणों के पीछे विद्वानों के अपने-अपने तर्क और दृष्टिकोण थे, जो इस काल की विभिन्न विशेषताओं और प्रवृत्तियों को दर्शाते हैं।
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