बिट्टन मर गई -डॉ जयप्रकाश कर्दम ,समीक्षा डॉ संघप्रकाश दुड्डे हिंदी विभाग प्रमुख,संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर

जयप्रकाश कर्दम की कहानी “बिट्टन मर गई” एक मार्मिक और संवेदनशील रचना है, जो समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और दलित समाज की पीड़ा को उजागर करती है। इस कहानी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. कथानक: कहानी बिट्टन नामक एक दलित महिला की जीवन यात्रा और उसकी मृत्यु के इर्द-गिर्द घूमती है। बिट्टन का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है, और उसकी मृत्यु समाज की क्रूरता और अन्याय का प्रतीक बन जाती है1.

  2. चरित्र चित्रण: जयप्रकाश कर्दम ने बिट्टन के चरित्र को अत्यंत संवेदनशीलता और गहराई से उकेरा है। बिट्टन का संघर्ष, उसकी पीड़ा और उसकी अंततः मृत्यु पाठकों के मन को झकझोर देती है1.

  3. सामाजिक संदेश: कहानी समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और अन्याय के खिलाफ एक सशक्त संदेश देती है। यह कहानी दलित समाज की वास्तविकता को उजागर करती है और समाज को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती है1.

  4. भाषा और शैली: जयप्रकाश कर्दम की भाषा सरल, सहज और प्रभावी है। उन्होंने अपनी शैली में संवेदनशीलता और यथार्थवाद का समावेश किया है, जिससे कहानी पाठकों के दिलों को छू जाती है1.

  5. भावनात्मक प्रभाव: “बिट्टन मर गई” कहानी का भावनात्मक प्रभाव अत्यंत गहरा है। यह कहानी पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में व्याप्त अन्याय और भेदभाव को कैसे समाप्त किया जा सकता है1.

जयप्रकाश कर्दम की यह कहानी न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रासंगिक है। 

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