बिट्टन मर गई डॉ जयप्रकाश कर्दम' - समीक्षा डॉ संघप्रकाश दुड्डे हिंदी विभाग प्रमुख,संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर
बिट्टन मर गई" जयप्रकाश कर्दम-समीक्षा
डॉ संघप्रकाश दुड्डे
हिंदी विभाग प्रमुख,संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर
बिट्टन मर गई" जयप्रकाश कर्दम की एक संवेदनशील और मार्मिक कहानी है, जो समाज में जातिगत भेदभाव और दमन के कारण होने वाले मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न को उजागर करती है। यह कहानी दलित समाज की एक महिला बिट्टन के जीवन संघर्ष, उसकी पीड़ा और अंततः उसकी मृत्यु के इर्द-गिर्द घूमती है।
कथानक:
बिट्टन की जिंदगी और समाजिक परिस्थिति:
कहानी की नायिका, बिट्टन, एक दलित महिला है जो समाज के निचले पायदान पर रहती है। वह गरीब, दलित और महिला होने के कारण तीन स्तरों पर शोषण का शिकार है। समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और अमानवीयता ने उसके जीवन को असीम कष्टों से भर दिया है। उसके पास जीविका का कोई स्थायी साधन नहीं है, और उसकी जिंदगी मुश्किलों से भरी हुई है।
यथार्थवादी चित्रण:
कहानी में बिट्टन की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का यथार्थवादी चित्रण किया गया है। उसकी दैनिक जिंदगी और समाज में उसके साथ होने वाला दुर्व्यवहार और अपमान इस कहानी का मुख्य बिंदु है। बिट्टन की मजबूरी और समाज में उसकी स्थिति को दर्शाते हुए, लेखक ने समाज की कड़वी सच्चाइयों को उजागर किया है।
बिट्टन की मृत्यु:
कहानी का सबसे दर्दनाक हिस्सा बिट्टन की मृत्यु है। वह अत्यधिक कष्ट और अपमान सहते हुए अपनी अंतिम सांस लेती है। उसकी मौत केवल शारीरिक नहीं है, बल्कि यह उसके सपनों, आशाओं और मानवीय गरिमा की भी मृत्यु है। बिट्टन की मृत्यु का चित्रण यह दर्शाता है कि समाज ने उसे न केवल आर्थिक रूप से बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी मार डाला है।
समाज का बेरहम चेहरा:
बिट्टन की मृत्यु के बाद भी समाज में कोई संवेदनशीलता नहीं दिखती। उसकी मृत्यु समाज की अमानवीयता और कठोरता का प्रतीक बन जाती है। लेखक ने समाज के इस बेरहम चेहरे को बिना किसी आडंबर के प्रस्तुत किया है।
निष्कर्ष:
कहानी "बिट्टन मर गई" एक शक्तिशाली सामाजिक टिप्पणी है, जो समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता और सामाजिक अन्याय पर प्रकाश डालती है। जयप्रकाश कर्दम की यह कहानी पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे समाज में व्याप्त अन्याय और भेदभाव ने एक निर्दोष और कमजोर महिला के जीवन को समाप्त कर दिया। इस कहानी के माध्यम से, लेखक ने समाज में सामाजिक सुधार और समानता की आवश्यकता को बलपूर्वक उठाया है।
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