जनसंचार का स्वास्थ्य विषयक लाभ -डॉ संघप्रकाश दुड्डे ,हिंदी विभाग प्रमुख ,संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर
17वें एशिया मीडिया शिखर सम्मेलन में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय मीडिया की भूमिका की सराहना की।
कोविड-19 के दौरान मीडिया की भूमिका:
- सकारात्मक भूमिका:
- इसने सुनिश्चित किया कि कोविड-19 पर जागरूकता संदेश, महत्त्वपूर्ण सरकारी दिशा-निर्देश और डॉक्टरों के साथ मुफ्त परामर्श तक देश के सभी लोगों की पहुँच होे।
- इसने वास्तविक समय के आधार पर फेक न्यूज़ और गलत सूचनाओं के खतरे के खिलाफ ज़ोरदार आवाज़ उठाई।
- मीडिया ने सार्वजनिक सेवा के अपने जनादेश को त्वरित कवरेज, ज़मीनी रिपोर्ट और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से पूरा किया है।
- नकारात्मक भूमिका:
- सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता एवं जानकारी प्रसारित करने मेंं सोशल मीडिया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, हालांँकि महामारी के दौरान फेक न्यूज़ फैलाने, नफरत फैलाने और नस्लवाद पैदा करने के लिये इसका दुरुपयोग भी किया गया है।
- भारत में COVID-19 का पहला मामला सामने आने से पहले ही सोशल मीडिया पर दहशत फैल गई थी, जिससे बाज़ार में मास्क और सैनिटाइज़र खत्म हो गए थे।
- हवा के माध्यम से वायरस के संचरण और विभिन्न सतहों पर इसके जीवित रहने के झूठे दावों ने दहशत पैदा कर दी।
- यात्रा और दैनिक गतिविधियों के दौरान आम लोगों द्वारा N-95 मास्क के अनुचित उपयोग के परिणामस्वरूप फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों के लिये इसकी कमी हो गई, जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता थी।
- भारत में मौजूद कई मीडिया हाउसों ने हर्बल और प्रतिरक्षा-बूस्टर दवाओं के उपयोग के बारे में नकली दावों वाले संदेश, रोकथाम और उपचार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक तरीकों को व्यापक रूप से प्रसारित किया, जिसने भ्रम की स्थिति को और बढ़ावा दिया।
- लॉकडाउन को बढ़ाने की संभावना जैसी अफवाहों से और दहशत फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप लोग क्वारंटीन तथा आइसोलेसन की प्रक्रिया से दूर भागते रहे और लोगों को अपने घरों की ओर लौटने के लिये लॉकडाउन से पहले या यहाँ तक कि लॉकडाउन के दौरान अनावश्यक यात्राएँ करनी पड़ी।
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