संत काव्य की विशेषताएं? डॉ संघप्रकाश दुड्डे, हिंदी विभाग प्रमुख,संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर
संत काव्य हिंदी साहित्य के भक्ति काल की एक महत्वपूर्ण धारा है, जिसमें संत कवियों ने अपने अनुभवों और विचारों को सरल और प्रभावी भाषा में प्रस्तुत किया है। संत काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
निर्गुण भक्ति: संत कवियों ने निर्गुण ब्रह्म की उपासना की है, जो निराकार, अजर-अमर और सर्वव्यापक है। उनके ईश्वर का कोई रूप या आकृति नहीं है1.
सामाजिक समन्वय: संत काव्य में सामाजिक समन्वय और मानवता का संदेश दिया गया है। जाति-पांति, धर्म और वर्ण व्यवस्था का विरोध किया गया है2.
गुरु का महत्व: संत कवियों ने गुरु को अत्यधिक महत्व दिया है। उनके अनुसार, गुरु ही सच्चे ज्ञान का स्रोत है और मोक्ष का मार्गदर्शक है2.
रूढ़िवाद और आडंबरों का विरोध: संत काव्य में धार्मिक रूढ़ियों और आडंबरों का कड़ा विरोध किया गया है। संत कवियों ने सच्ची भक्ति और साधना पर जोर दिया है2.
भाषा और शैली: संत काव्य की भाषा सरल, सहज और जनसामान्य की भाषा है। इसमें ब्रजभाषा, अवधी, और अन्य लोक भाषाओं का प्रयोग किया गया है2.
रहस्यवाद: संत काव्य में रहस्यवाद की प्रधानता है। संत कवियों ने अपने अनुभवों और आध्यात्मिक साधना को रहस्यमय ढंग से प्रस्तुत किया है2.
प्रेम और भक्ति: संत काव्य में प्रेम और भक्ति का विशेष महत्व है। संत कवियों ने प्रेम को ईश्वर प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग माना है2.
माया और संसार: संत कवियों ने माया और संसार को अस्थायी और नश्वर माना है। उन्होंने संसारिक मोह-माया से दूर रहने की शिक्षा दी है2.
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