लुम्बिनी बुद्ध जन्म स्थान -डॉ संघप्रकाश दुड्डे
लुम्बिनी, नेपाल के रूपन्देही जिले में स्थित है और यह गौतम बुद्ध का जन्मस्थान है। इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।लुम्बिनी में मिला सम्राट अशोक स्तंभ का चित्र
धार्मिक महत्व: लुम्बिनी बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। यहाँ रानी महामायादेवी ने 563 ईसा पूर्व सिद्धार्थ गौतम को जन्म दिया था, जो बाद में ज्ञान प्राप्त कर गौतम बुद्ध बने12.
ऐतिहासिक महत्व: मौर्य सम्राट अशोक ने 249 ईसा पूर्व लुम्बिनी की यात्रा की और यहाँ एक स्तंभ स्थापित किया, जिसे अशोक स्तंभ के नाम से जाना जाता है। इस स्तंभ पर “हिंद बुधे जाते शाक्यमुनीति” लिखा है, जिसका अर्थ है "यहाँ शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म हुआ था"23.
पुरातात्विक महत्व: लुम्बिनी में कई पुरातात्विक अवशेष पाए गए हैं, जिनमें मायादेवी मंदिर, पवित्र पोखरी, और अन्य प्राचीन संरचनाएँ शामिल हैं। ये अवशेष लुम्बिनी के ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ाते हैं2.
विश्व धरोहर स्थल: लुम्बिनी को 1997 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई थी। यह स्थल न केवल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है1.
लुम्बिनी के अन्य महत्वपूर्ण संदर्भों में निम्नलिखित शामिल हैं:
अशोक स्तंभ: सम्राट अशोक ने 249 ईसा पूर्व लुम्बिनी की यात्रा की और यहाँ एक स्तंभ स्थापित किया, जिस पर “हिंद बुधे जाते शाक्यमुनीति” लिखा है, जिसका अर्थ है "यहाँ शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म हुआ था"12.
मायादेवी मंदिर: यह मंदिर गौतम बुद्ध की माता, रानी महामायादेवी को समर्पित है। यहाँ एक पवित्र पोखरी भी है, जहाँ माना जाता है कि बुद्ध का जन्म हुआ था1.
पुरातात्विक अवशेष: लुम्बिनी में कई पुरातात्विक अवशेष पाए गए हैं, जिनमें प्राचीन मठ, स्तूप और अन्य संरचनाएँ शामिल हैं। ये अवशेष लुम्बिनी के ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ाते हैं2.
चिनियाँ यात्री: चौथी और सातवीं शताब्दी में, प्रसिद्ध चीनी यात्री फाहियान और ह्वेनसांग ने लुम्बिनी की यात्रा की और अपने यात्रा विवरणों में इस स्थान का विस्तृत वर्णन किया1.
विश्व धरोहर स्थल: लुम्बिनी को 1997 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई थी। यह स्थल न केवल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है2.
लुम्बिनी विकास परियोजना: 1970 के दशक से, नेपाल सरकार और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने लुम्बिनी के संरक्षण और विकास के लिए कई परियोजनाएँ चलाई हैं1.
लुम्बिनी, नेपाल में स्थित, गौतम बुद्ध का जन्मस्थल है और यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ कई प्रसिद्ध स्तूप और मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
लुम्बिनी में इन स्तूपों के अलावा भी कई अन्य महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल हैं जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
लुम्बिनी में होने वाली परिक्रमा (यात्रा) का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यह परिक्रमा बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो उन्हें आध्यात्मिक शांति और पुण्य प्राप्त करने में मदद करता है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं:
धार्मिक महत्व: लुम्बिनी में परिक्रमा करने से बौद्ध धर्मावलंबियों को गौतम बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करने का अवसर मिलता है। यह यात्रा उन्हें आत्मनिरीक्षण और ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करती है1.
सांस्कृतिक महत्व: लुम्बिनी में परिक्रमा के दौरान विभिन्न देशों और संस्कृतियों के लोग एकत्रित होते हैं, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आपसी समझ बढ़ती है। यह यात्रा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के बीच एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देती है2.
ऐतिहासिक महत्व: लुम्बिनी में परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों और पुरातात्विक अवशेषों का दर्शन करते हैं, जिससे उन्हें बौद्ध धर्म के इतिहास और विरासत के बारे में गहन जानकारी मिलती है2.
आध्यात्मिक शांति: परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु ध्यान और प्रार्थना करते हैं, जिससे उन्हें मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। यह यात्रा उन्हें अपने जीवन के उद्देश्य और मार्ग के बारे में गहराई से सोचने का अवसर प्रदान करती है1.
लुम्बिनी के पौराणिक कथाओं में सबसे प्रमुख कथा गौतम बुद्ध के जन्म से संबंधित है। यह कथा इस प्रकार है:
गौतम बुद्ध का जन्म: लुम्बिनी में, रानी महामायादेवी ने एक पवित्र साल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ गौतम को जन्म दिया था। कहा जाता है कि रानी महामायादेवी अपने मायके देवदह जा रही थीं, जब उन्होंने लुम्बिनी के बगीचे में विश्राम किया। वहीं पर उन्होंने एक साल वृक्ष की शाखा पकड़ी और सिद्धार्थ का जन्म हुआ1.
अशोक का स्तंभ: सम्राट अशोक ने 249 ईसा पूर्व लुम्बिनी की यात्रा की और यहाँ एक स्तंभ स्थापित किया, जिस पर लिखा है कि “यहाँ शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म हुआ था”। यह स्तंभ लुम्बिनी के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है2.
मायादेवी का सपना: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, रानी महामायादेवी ने बुद्ध के जन्म से पहले एक सपना देखा था जिसमें एक सफेद हाथी उनके गर्भ में प्रवेश कर गया था। इस सपने की व्याख्या राज ज्योतिषियों ने यह की थी कि उनका पुत्र एक महान राजा या एक महान संत बनेगा1.
फाहियान और ह्वेनसांग की यात्रा: प्रसिद्ध चीनी यात्री फाहियान और ह्वेनसांग ने भी लुम्बिनी की यात्रा की और अपने यात्रा विवरणों में इस स्थान का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने लुम्बिनी के महत्व और यहाँ के धार्मिक अनुष्ठानों का वर्णन किया2.
लुम्बिनी का अशोक स्तंभ ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ इसके महत्व के कुछ प्रमुख बिंदु हैं:
धार्मिक महत्व: अशोक स्तंभ पर अंकित शिलालेख में लिखा है कि “यहाँ शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म हुआ था”। यह शिलालेख सम्राट अशोक द्वारा 249 ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था, जो लुम्बिनी को गौतम बुद्ध के जन्मस्थान के रूप में प्रमाणित करता है12.
ऐतिहासिक महत्व: अशोक स्तंभ सम्राट अशोक की धार्मिक यात्रा और उनके बौद्ध धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक है। अशोक ने अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कई स्तंभ और शिलालेख स्थापित किए थे, जिनमें से लुम्बिनी का स्तंभ एक महत्वपूर्ण उदाहरण है2.
पुरातात्विक महत्व: यह स्तंभ प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे पॉलिश किए हुए बलुआ पत्थर से बनाया गया है और इसके शीर्ष पर एक घोड़े की आकृति है2.
लुम्बिनी में कई महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहाँ कुछ प्रमुख मंदिरों का वर्णन है:
मायादेवी मंदिर: यह मंदिर लुम्बिनी का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है, जहाँ गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। मंदिर के अंदर एक पत्थर का चिह्न है, जो बुद्ध के जन्मस्थान को दर्शाता है। इसके अलावा, यहाँ एक पवित्र तालाब भी है, जहाँ रानी महामायादेवी ने बुद्ध के जन्म से पहले स्नान किया था1.
अशोक स्तंभ: सम्राट अशोक द्वारा 249 ईसा पूर्व में स्थापित यह स्तंभ लुम्बिनी के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। स्तंभ पर अंकित शिलालेख में लिखा है कि “यहाँ शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म हुआ था”[2][2].
लुम्बिनी संग्रहालय: यह संग्रहालय मौर्य और कुशाण काल की कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है। यहाँ बौद्ध धर्म से संबंधित धार्मिक पाण्डुलिपियाँ, धातु की मूर्तियाँ और टिकटें भी प्रदर्शित की गई हैं3.
लुम्बिनी इंटरनैशनल रिसर्च इंस्टीच्यूट (LIRI): यह संस्थान बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करता है और लुम्बिनी संग्रहालय के सामने स्थित है3.
विभिन्न बौद्ध मठ: लुम्बिनी में विभिन्न देशों द्वारा बनाए गए बौद्ध मठ हैं, जैसे कि थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका, जापान और चीन के मठ। ये मठ विभिन्न स्थापत्य शैलियों में बने हुए हैं और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ध्यान और प्रार्थना के स्थल हैं1.
लुम्बिनी संग्रहालय में कई महत्वपूर्ण प्राचीन हस्तकलाएँ और कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं, जो बौद्ध धर्म और प्राचीन भारतीय संस्कृति के इतिहास को दर्शाती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख हस्तकलाओं का वर्णन है:
धातु की मूर्तियाँ: संग्रहालय में बुद्ध और बोधिसत्व की धातु की मूर्तियाँ हैं, जो मौर्य और कुशाण काल की हैं। ये मूर्तियाँ बौद्ध कला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं1.
मिट्टी के बर्तन: यहाँ प्राचीन मिट्टी के बर्तन और अन्य घरेलू वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं, जो उस समय के समाज की जीवनशैली और संस्कृति को दर्शाती हैं1.
शिलालेख और पाण्डुलिपियाँ: संग्रहालय में विभिन्न शिलालेख और पाण्डुलिपियाँ हैं, जो बौद्ध धर्म के धार्मिक ग्रंथों और शिक्षाओं को संरक्षित करती हैं1.
धातु के सिक्के: संग्रहालय में प्राचीन धातु के सिक्कों का संग्रह है, जो विभिन्न राजवंशों और शासकों के समय के हैं। ये सिक्के उस समय की आर्थिक स्थिति और व्यापारिक गतिविधियों को दर्शाते हैं1.
पत्थर की मूर्तियाँ: संग्रहालय में पत्थर की मूर्तियाँ भी हैं, जो बुद्ध और अन्य धार्मिक व्यक्तियों की हैं। ये मूर्तियाँ प्राचीन भारतीय मूर्तिकला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं1.
चित्र और पेंटिंग्स: संग्रहालय में बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं पर आधारित चित्र और पेंटिंग्स भी प्रदर्शित की गई हैं। ये चित्र बौद्ध धर्म के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं1.
लुम्बिनी संग्रहालय में इन प्राचीन हस्तकलाओं के अलावा भी कई अन्य महत्वपूर्ण कलाकृतियाँ हैं, I
खोज के पश्चातरुम्मिनदेई स्तम्भ पर अंकित लेख अनुवाद
(हिंदी)Transliteration
(मूल ब्राह्मी लिपि में)लेख
(प्राकृत , ब्राह्मी लिपि में)- देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी राजा ने (अपने) राज्याभिषेक के 20 वर्ष बाद स्वयं आकर इस स्थान की पूजा की,
- क्योंकि यहाँ शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म हुआ था।
- यहाँ पत्थर की एक दीवार बनवाई गई और पत्थर का एक स्तंभ खड़ा किया गया।
- बुद्ध भगवान यहाँ जनमे थे, इसलिए लुम्बिनी ग्राम को कर से मुक्त कर दिया गया और
- (पैदावार का) आठवां भाग भी (जो राजा का हक था) उसी ग्राम को दे दिया गया है।
— रुम्मिनदेई शिलालेख, लुम्बिनी,नेपाल[3]𑀤𑁂𑀯𑀸𑀦𑀁𑀧𑀺𑀬𑁂𑀦 𑀧𑀺𑀬𑀤𑀲𑀺𑀦 𑀮𑀸𑀚𑀺𑀦𑀯𑀻𑀲𑀢𑀺𑀯𑀲𑀸𑀪𑀺𑀲𑀺𑀢𑁂𑀦
देवानांपियेन पियदसिना लाजिन वीसति-वसाभिसितेन
𑀅𑀢𑀦𑀆𑀕𑀸𑀘 𑀫𑀳𑀻𑀬𑀺𑀢𑁂 𑀳𑀺𑀤𑀩𑀼𑀥𑁂𑀚𑀸𑀢 𑀲𑀓𑁆𑀬𑀫𑀼𑀦𑀺𑀢𑀺
अतन आगाच महीयिते हिद बुधे जाते सक्यमुनि ति
𑀲𑀺𑀮𑀸𑀯𑀺𑀕𑀥𑀪𑀺𑀘𑀸𑀓𑀸𑀳𑀸𑀧𑀺𑀢 𑀲𑀺𑀮𑀸𑀣𑀪𑁂𑀘 𑀉𑀲𑀧𑀸𑀧𑀺𑀢𑁂
सिला विगडभी चा कालापित सिला-थभे च उसपापिते
𑀳𑀺𑀤𑀪𑀕𑀯𑀁𑀚𑀸𑀢𑀢𑀺 𑀮𑀼𑀁𑀫𑀺𑀦𑀺𑀕𑀸𑀫𑁂 𑀉𑀩𑀮𑀺𑀓𑁂𑀓𑀝𑁂
हिद भगवं जाते ति लुँइनि-गामे उबलिके कटे
𑀅𑀞𑀪𑀸𑀕𑀺𑀬𑁂𑀘
अठ-भागिये च1896 में खोज के समय लुंबिनी रुम्मिनदेई स्तंभ, शिलालेख के स्थान के साथ, जो जमीन के स्तर से लगभग 1 मीटर नीचे छिपा हुआ था।[5][6] स्तम्भ की वर्तमान स्थिति वहीं है जहाँ इसे पाया गया था। किन्तु अंकित सन्देश अब आँख के ऊँचाई पर आ गया है क्योंकि स्तम्भ के आधार की मिट्टी हटा दी गयी है। सन्दर्भ
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