में मानव हु-समीक्षा -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

"में मानव हूँ" विष्णु प्रभाकर एकांकी की एक महत्वपूर्ण  है, जिसमें वे मानव जीवन के महत्व को और मानवीयता के मूल सिद्धांतों को सुंदरता और गहराई से व्यक्त करते हैं। इस एकांकी  का मुख्य सारांश निम्नलिखित है:

कवि विष्णु प्रभाकर एकांकी के अनुसार, मानव जीवन अत्यधिक महत्वपूर्ण है और व्यक्ति के अद्वितीयता का प्रतीक है।

वे मानव को उसकी शक्तियों, स्वप्नों और साहस की महत्वपूर्णता को समझाते हैं, और उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मेहनत करने की प्रेरणा देते हैं।

कवि के अनुसार, मानव अपनी आत्मा में विश्वास करें और अपने सपनों की पूर्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहें, चाहे वो कितने भी बड़े और चुनौतीपूर्ण क्यों ना हों।

इस में मानव जीवन की महत्वपूर्णता, संघर्ष, और सपनों की महत्वपूर्णता को बेहद सुंदरता से दिखाया गया है, और यह प्रेरणास्पद है।



में मानव हूँ" विष्णु प्रभाकर एकांकी की  का मुख्य सारांश उसके विचारों और संदेश को सार्थकता से प्रस्तुत करता है कि मानव शक्ति और साहस का प्रतीक है। वह यह कहते हैं कि मानव अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जीवन में मेहनत करने के कबील हैं, और वे अपनी सपनों को पूरा कर सकते हैं।

एकांकी में मानवता, साहस, और विश्वास के महत्वपूर्ण मूल्यों का महत्व दर्शाया गया है। यह एकांकी  लोगों को संवाद करने और सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है, और उन्हें उनकी आत्म-सामर्थ्य के प्रति विश्वास दिलाती है।




प्रा डॉ संघप्रकाश दुड्डे
सोलापुर



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