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Showing posts from December, 2023

में मानव हु-समीक्षा -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

"में मानव हूँ" विष्णु प्रभाकर एकांकी की एक महत्वपूर्ण  है, जिसमें वे मानव जीवन के महत्व को और मानवीयता के मूल सिद्धांतों को सुंदरता और गहराई से व्यक्त करते हैं। इस एकांकी  का मुख्य सारांश निम्नलिखित है: कवि विष्णु प्रभाकर एकांकी के अनुसार, मानव जीवन अत्यधिक महत्वपूर्ण है और व्यक्ति के अद्वितीयता का प्रतीक है। वे मानव को उसकी शक्तियों, स्वप्नों और साहस की महत्वपूर्णता को समझाते हैं, और उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मेहनत करने की प्रेरणा देते हैं। कवि के अनुसार, मानव अपनी आत्मा में विश्वास करें और अपने सपनों की पूर्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहें, चाहे वो कितने भी बड़े और चुनौतीपूर्ण क्यों ना हों। इस में मानव जीवन की महत्वपूर्णता, संघर्ष, और सपनों की महत्वपूर्णता को बेहद सुंदरता से दिखाया गया है, और यह प्रेरणास्पद है। में मानव हूँ" विष्णु प्रभाकर एकांकी की  का मुख्य सारांश उसके विचारों और संदेश को सार्थकता से प्रस्तुत करता है कि मानव शक्ति और साहस का प्रतीक है। वह यह कहते हैं कि मानव अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जीवन में मेहनत करने के कबील हैं, और वे अपनी सप...

मौत की घाटी में-समीक्षा -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

मौत की घाटी में- सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन (प्रश्न उत्तर) डॉ संघप्रकाश दुड्डे 1मौत की घाटी में पत्थर क्यों हिलते हैं? एक शोध परियोजना ने सुझाव दिया है कि बारिश और हवा की स्थिति का एक दुर्लभ संयोजन चट्टानों को हिलने में सक्षम बनाता है। लगभग 1/2 इंच की बारिश, प्लाया की सतह को गीला कर देगी, जिससे एक मजबूत लेकिन बेहद फिसलन भरी सतह मिलेगी। 50 मील प्रति घंटे या उससे अधिक की तेज़ हवाएँ, चिकनी मिट्टी के साथ बड़े पत्थरों को खिसका सकती हैं। 2मौत की घाटी कौन सी विधा है? उस संस्मरण का नाम ही है, 'मौत की घाटी में'. 3मौत की घाटी को इंसानों ने कैसे प्रभावित किया है? मानवीय प्रभाव 1800 के अंत से लेकर 1900 की शुरुआत तक डेथ वैली एक ऐसा दृश्य था जहां सोना समृद्ध और अयस्क से भरपूर होता था। हालाँकि आज खनन बंद हो गया है, हालाँकि नुकसान पहले ही हो चुका है। उदाहरण के लिए , खनन ने डेथ वैली में नमक देवदार और रूसी थीस्ल जैसी कई प्रकार की प्रजातियाँ खो दी हैं। 4मृत घाटी क्यों प्रसिद्ध है? मृत घाटी पूर्वी कैलिफोर्निया के मोजाबे मरूस्थल के डेथ वैली नेशनल पार्क में स्थित है। यह उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का स...

भक्तिन -महादेवी वर्मा /समीक्षा डॉ संघप्रकाश दुड्डे

भक्तिन -महादेवी समीक्षा (डॉ संघप्रकाश दुड्डे) 1भक्तिन महादेवी वर्मा की क्या है? (क) वह देहातिन अर्थात् भक्तिन महादेवी के यहाँ काम करने वाली एक सेविका थी। उसने लेखिका से अपने वास्तविक नाम लक्ष्मी का उपयोग न करने की प्रार्थना की क्योंकि वह अपने नाम के अनुरूप नहीं थी। उसका नाम समृद्धिसूचक था और वह गरीब थी। 2भक्तिन पाठ का मूल भाव क्या है? उत्तर-भक्तिन महादेवी के साहित्यिक मित्र के प्रति सद्भाव रखती थी जिसके प्रति महादेवी स्वयं सद्भाव रखती थी | वह सभी से परिचित हैपर उनके प्रति सम्मान की मात्रा महादेवी जी के सम्मान की मात्रा पर निर्भर करती है। वह एक अद्भुत ढंग से जान लेती थी कि कौन कितना सम्मान करता है । उसी अनुपात में उसका प्राप्य उसे देती थी। 3महादेवी वर्मा जी ने भक्तिन का नामकरण क्या देखकर किया? जब भक्तिन से लेखिका ने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम तो बताया मगर साथ में लेखिका से निवेदन किया कि उसे उसके वास्तविक नाम से पुकारा नहीं जाए। लेखिका ने उसकी बात मान ली। भक्तिन ने गले में कंठी माला पहन रखी थी। उसकी संन्यासी जैसी छवि देखकर लेखिका ने उसको भक्तिन नाम दे दिया। 4भक्तिन पाठ की विधा क्या ...