संत साहित्य और लोकमंगल भावना-डॉ संघप्रकाश दुड्डे सोलापुर
संत साहित्य और लोकमंगल भावना- डॉ संघप्रकाश दुड्डे संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर,9766997174,smdudde@gmail.com संत साहित्य और लोकमंगल भावना के बीच गहरा संबंध है। संत साहित्य भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भक्ति, आध्यात्मिकता, और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को बायां गया है। यह साहित्य आम लोगों के जीवन के मुद्दों और उनकी आध्यात्मिक भावना के साथ जुड़ा हुआ है।संत साहित्य में विभिन्न संतों की रचनाएँ शामिल हैं, जैसे कबीर, मीराबाई, सूरदास, नामदेव, तुकाराम, और बहुत से अन्य। ये संत साहित्यकार अपनी कविताओं, भजनों, और ग्रंथों के माध्यम से भगवान, प्रेम, और मानवता के महत्वपूर्ण संदेशों को साझा करते थे। उनके रचनाकार्यों में भक्ति और भाग्य के प्रति गहरा स्नेह होता था।लोकमंगल भावना संत साहित्य की एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें लोगों की सामाजिक, आध्यात्मिक, और भावनात्मक जरूरतों को समझाने का प्रयास किया जाता है। यह संत साहित्य के संदेशों को आम लोगों तक पहुंचाने का माध्यम होता है और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। इसका यह मतलब नहीं है कि यह साहित्य केवल धार्मिक होता है, बल्कि यह सभी प...